नर्सिंग भर्ती 2013: 43 से ज्यादा विधायक और मंत्री कर चुके नियुक्ति देने की अनुशंसा, बढ़ी न्याय की आस

2013 की एएनएम और जीएनएम भर्ती के 11233 पदों पर अभ्यर्थी पिछले 7 साल से नियुक्ति पाने का टक-टकी लगाए कर रहे हैं इंतजार, करीब 60 प्रतिशत अभ्यर्थी अब तक हो चुके हैं ओवरऐज जो कि नियुक्ति नहीं मिलने के चलते हैं बेरोजगार

नर्सिंग भर्ती 2013
नर्सिंग भर्ती 2013

पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. प्रदेश में 2013 की एएनएम और जीएनएम भर्ती के 11233 पदों पर अभ्यर्थी पिछले 7 साल से नियुक्ति पाने का टक-टकी लगाए इंतजार कर रहे हैं. पहले वसुंधरा राजे सरकार और अब गहलोत सरकार में भी इन अभ्यर्थियों की कोई सुध नहीं ले रहा है. ये अभ्यर्थी नर्सिंग भर्ती 2013 संघर्ष समिति के बैनर तले अब तक पिछले सात साल में मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्रियों तक को नियुक्ति देने की मांग को लेकर सैंकडों ज्ञापन दे चुके हैं. तो वहीं इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने को लेकर सैंकडों जनप्रतिनिधि भी मुख्यमंत्री गहलोत और चिकित्सा मंत्री से मांग कर चुके है. लेकिन इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति है कि मिलने का नाम नहीं ले रही है.

कोरोना की लडाई को मजबूती से लडने और चिकित्सा विभाग में चिकित्सा कर्मियों की आवश्यकता को देखते हुए इन 2013 भर्ती के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की मांग को लेकर कोरोना काल में अब तक 42 विधायक और एक कैबिनेट मंत्री सीएम गहलोत से इन्हें नियुक्ति देने की मांग कर चुके है. लेकिन सीएम गहलोत ने 2013 की भर्ती को छोडकर पिछले महीने 2018 की एएनएम और जीएनएम भर्ती के 9 हजार अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का फैसला लिया है. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 2018 के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने से पहले शायद यह भूल गए कि वर्ष 2013 में उन्हीं की सरकार द्वारा निकाली गई नर्सिंग भर्ती के एएनएम पद पर 6719 और जीएनएम के 4514 पदों पर कुल 11233 अभ्यर्थी अपने संवेदनशील मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पिछले 7 साल से नौकरी पाने की आस लगाए बैठे हैं.

दरअसल, पिछली गहलोत सरकार ने संविदा कर्मी एवं नए अभ्यर्थियों को समान रूप से स्थाई रोजगार देने के लिए फरवरी 2013 की नर्सिंग भर्ती के तहत 12278 पदों पर एएनएम और 15773 पदों पर जीएनएम की भर्ती निकाली थी. उस समय बोनस अंक के विरूद्ध में मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक चला गया. इस दौरान राज्य में सत्ता का परिवर्तन हुआ और बीजेपी की वसुंधरा सरकार सत्ता में आई. वसुंधरा सरकार के दौरान 7 जनवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट से भर्ती का रास्ता साफ हो गया लेकिन बीजेपी सरकार ने नर्सिंग भर्ती 2013 के एएनएम व जीएनएम के पदों में कटौती करते हुए क्रमशः 5559 व 11259 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई. बाकी के क्रमशः एएनएम के 6719 और जीएनएम के 4514 पदों को बजट का अभाव बताते हुए लेप्स कर दिया गया.

एनएमभर्ती 2013 के अभ्यर्थियों ने पॉलिटॉक्स को बताया कि वसुंधरा सरकार ने सिर्फ राजनीतिक द्वेष्ता के कारण हमारी भर्ती के पदों में कटौती की जिसकी सबसे ज्यादा मार हम अभ्यर्थियों पर पड़ी है. अभ्यर्थियों ने आगे कहा कि हमारा भविष्य सिर्फ और सिर्फ नर्सिंग भर्ती 2013 में ही बन सकता है, अन्य किसी भी भर्ती में हमारा भविष्य नहीं बन सकता क्योंकि हमारी मेरिट फिक्स है. इसके साथ ही अधिकांश लोग अब ओवरऐज हो गए है जो कि अब किसी अन्य भर्ती में शामिल नहीं हो सकते.

अभ्यर्थियों ने पॉलिटॉक्स के माध्यम से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अपील करते हुए कहा कि हम 11233 अभ्यर्थियों को राहत दिलवाने की दिशा में कार्य करते हुए सबसे पहले नर्सिंग भर्ती 2013 के सभी शेष 11233 पदों पर नियुक्ति करवाएं. अभ्यर्थियों ने आगे कहा कि हमारे पास नियुक्ति पाने का यह आखिरी मौका है. राजनीतिक द्वेष्ता के कारण हमें वसुंधरा सरकार ने नियुक्ति नहीं दी अब सीएम अशोक गहलोत वसुंधरा सरकार के द्वारा निकाली गई भर्ती के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे रहे है. जिसके तहत पहले हमें नियुक्ति मिलनी चाहिए.

अभ्यर्थियों ने आगे बताया कि जनवरी माह में 2013 की भर्ती के शेष पदों को पुनसृजित करने के लिए सीएम गहलोत ने एक सब कमेटी का गठन किया था जिसका अध्यक्ष उर्जा मंत्री बी डी कल्ला को बनाया गया था. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 2013 भर्ती शेष पदों पर नियुक्ति देने सिफारिश की. लेकिन सरकार ने भेदभाव करते हुए 2013 भर्ती के अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं देकर 2018 भर्ती के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे रही है.

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अभ्यर्थियों ने आगे बताया कि 2013 भर्ती के करीब 60 प्रतिशत अभ्यर्थी अब तक ओवरऐज हो चुके जो कि नियुक्ति नहीं मिलने के चलते बेरोजगार हो चुके है. प्रदेश में 2018 के बाद से कोई भी भर्ती नहीं निकाली है. कोरोना संकट को देखते हुए प्रदेश में एएनएम और जीएनएम की आवश्यकता है इसके बावजूद भी सरकार भर्ती नहीं निकाल रही है. 2013 भर्ती के शेष 11233 पदों पर नियुक्ति दे दी जाए तो चिकित्सा विभाग को शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक मजबूती मिल सकती है.

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