अब राजभवन में अटका मैरिज रजिस्ट्रेशन बिल, बाल विवाह को बढ़ावा देने का हवाला, पहले ही अटके कई बिल

राजभवन में अटका विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन संशोधन विधेयक, राजस्थान सरकार ने विधानसभा सत्र में हाल ही में करवाया है पास, चाइल्ड मैरिज के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन से उपजे हैं विवाद, भाजपा और संयम लोढ़ा ने उठाई थी आपत्ति, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने भी कहा था विचार करने के लिए, सरकार दे रही है सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग का हवाला, पहले से अटके हैं कई बिल

मैरिज रजिस्ट्रेशन बिल पर राजभवन का रोड़ा!
मैरिज रजिस्ट्रेशन बिल पर राजभवन का रोड़ा!

Politalks.News/Rajasthan. राजभवन ने एक बार फिर गहलोत सरकार को झटका दिया है. राजस्थान विधानसभा में पारित मैरिज रजिस्ट्रेशन में संशोधन बिल-2021 विवादों के कारण राजस्थान के राजभवन में अटक गया है. राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए दिल्ली भेजे जाने वाले दो विधेयकों में राज्य में मिलावट खोरी रोकने का दण्ड विधियां संशोधन विधेयक 2021 और रजिस्ट्रीकरण राजस्थान संशोधन विधेयक 2021 शामिल हैं, लेकिन तीसरा विधेयक विवाह की अनिवार्यता में संशोधन का था, जिसे नहीं भेजा जा रहा है. इससे पहले भी तीन विधेयक रोके गए राजभवन में ही. अब गहलोत सरकार के रुख पर रहेंगी सभी की नजरें..

भाजपा ने की थी राज्यपाल से शिकायत- बाल विवाह को मिलेगा बढ़ावा
राजस्थान विधानसभा में सितम्बर महीने में हुए सेशन में राजस्थान विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक 2021 समेत 15 विधेयक पारित हुए थे. जिनमें से 9 विधेयक तो राज्यपाल मिश्र की मंजूरी के बाद पहले ही कानून बन चुके हैं. जबकि कुछ विधेयक अभी प्रोसेस में हैं. इनमें विवादों में रहे मैरिज रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करने वाले संशोधन बिल को फिलहाल राजभवन में ही रोक रखा है. क्योंकि बीजेपी ने आरोप लगाया है कि इस विधेयक के कानून बन जाने पर चाइल्ड मैरिज को बढ़ावा मिलेगा. इस बिल में बाल विवाह का भी अनिवार्य रजिस्ट्रेशन करने का प्रोविजन है. इसी के विरोध में बीजेपी विधायकों के डेलिगेशन ने पिछले दिनों राज्यपाल को भी शिकायत की थी. इस विधेयक के खिलाफ कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने भी आवाज उठाई थी. विवाद के कारण ही माना जा रहा है कि राजभवन ने अब तक इसे आगे नहीं बढ़ाया है. राजभवन पहले खुद इसे लेकर संतुष्ट होना चाहता है.

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बाल विवाह को बढ़ावा देने के हैं बिल पर आरोप
इस संशोधन विधेयक में कम उम्र बच्चों की शादी होने उस बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन के लिए पैरेंट्स को ऑथोराइज करने के प्रावधान के खिलाफ हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कई मामले पहुंच गए हैं. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष ने भी इस संशोधन विधेयक पर आपत्ति जताते हुए फिर से राज्य सरकार को विचार करने को कहा था. राजभवन में पेंडिंग इस बिल पर हालांकि राज्यपाल कलराज मिश्र ने अब तक अपना कोई स्टैंड या कमेंट नहीं दिया है.

गहलोत सरकार का यह है तर्क
इस बिल पर अशोक गहलोत सरकार ने कई बार सफाई दी है लेकिन उसे सफलता नहीं मिली है. संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि, ‘बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन का मतलब उन्हे वैधता देना नहीं है. बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ उसका रजिस्ट्रेशन करने के बाद भी कार्रवाई होगी’. धारीवाल ने कहा कि, ‘सुप्रीम कोर्ट ने सीमा बनाम अश्विनी चौबे के मामले में फैसला देते हुए निर्देश दिए थे कि सभी तरह के विवाहों का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. किसी बालिग का विवाह हुआ है तो उसके बालिग होते ही उसे रद्द करने का अधिकार होगा’ .

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पहले से अटके हैं 3 विधेयक दिल्ली में
ऑनर किलिंग के मामले में कार्रवाई के प्रावधान से संबंधित राजस्थान सम्मान और परंपरा के नाम पर वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक-2019. दूसरा राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक-2019 मॉब लिंचिंग मामलों में कार्रवाई के प्रावधान से संबंधित, तीसरा धर्म स्वातंन्त्र विधेयक- धर्म परिवर्तन रोकने के प्रावधान से संबंधित.

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