रैली में आरक्षण का एलान नहीं होने से भड़के निषाद बोले- भाजपा को सरकार बनानी है तो रखें ख्याल

भाजपा और निषाद की संयुक्त रैली से निकली बड़ी खबर, नाराज बताए जा रहे संजय निषाद, सीएम योगी को लिखा पत्र- '2022 में भाजपा को सरकार बनानी है तो निषाद युवाओं का रखना होगा ख्याल', निषादों को थी आरक्षण को लेकर ऐलान की आस, लेकिन शाह ने नहीं छेड़ा मुद्दा, रैली में भी कुछ युवाओं ने डाला था व्यवधान भी लेकिन बात संभाली थी निषाद ने, अब योगी को पत्र में लिखी मन की बात

शाह ने तोड़ी 'आस' तो भड़के निषाद
शाह ने तोड़ी 'आस' तो भड़के निषाद

Poitalks.News/Uttarpradesh. उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) की सियासत से बड़ी खबर निकल कर आ रही है. बीजेपी के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहने के बात करने वाले संजय निषाद (sanjay nishad) नाराज बताए जा रहे हैं. सियासी जानकारों का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की लखनऊ के रमाबाई पार्क में आयोजित रैली में निषाद समाज के लिए आरक्षण की घोषणा होनी थी. इसी ख़ास घोषणा को लेकर यहां हज़ारों की संख्या में निषाद समाज के लोग आए थे. लेकिन ऐसी कोई घोषणा न होने से निषाद पार्टी (Nishad party) के चीफ संजय निषाद बेहद नाराज़ बताए जा रहे हैं. इसको लेकर संजय निषाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi AdityaNath) को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि, ‘अगर वोट चाहिए तो निषाद समाज के लोगों को ख्याल रखना होगा’. लखनऊ के सियासी गलियारों में चर्चा है कि, ‘क्या नाराजगी की बलि गठबंधन तो नहीं चढ़ जाएगा’. आपको बता दें कि निषाद समुदाय ने पहले कांग्रेस को फिर बसपा को सपा को सबको झोली भर भर के अपना वोट दिया था लेकिन किसी ने आरक्षण की मांग नहीं मानी. अब निषाद को भाजपा से आस है.

‘2022 में भाजपा को सरकार बनानी है तो निषाद युवाओं का रखना होगा ख्याल’
निषाद पार्टी के ‘कर्ताधर्ता’ संजय निषाद ने कहा है कि, ‘मेरे कार्यकर्ता मुझ पर भरोसा करके रैली में आए. मंच पर मैंने कहा भी कहा था कि बीजेपी हमारे मुद्दों की वकालत करती आई है. बीजेपी आज मालिक है. अमित शाह जी को आज कुछ न कुछ कहना चाहिए था. अमित शाह ने कहा कि सरकार बनने पर हमारे मुद्दों का हल होगा, लेकिन कुछ मुद्दों को सरकार बनने से पहले हल होंगे तो विशेष फायदा निषादों को होगा. ये आरक्षण का मुद्दा है.’ संजय निषाद ने आगे कहा कि, ‘हमारा समाज अमित शाह और मुझसे से खुश था. साल 2022 में बीजेपी को सरकार बनानी है तो निषादों के युवाओं का ख्याल रखना होगा. अमित शाह जब बोल रहे थे तो हमारे लोग हाथ हिला रहे थे कि आरक्षण नहीं तो वोट नहीं, लेकिन हमने मना किया. कुछ लोगों ने बीजेपी के साथ रहने के लिए मना किया. 160 सीटों पर निषाद जगे हुए हैं, लेकिन हमारा प्रभाव 400 सीटों पर है. मैं बीजेपी के साथ हूं’

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बहुजन समाज पार्टी पर लगाए गंभीर आरोप
संजय निषाद ने बसपा पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘हमारा आरक्षण जब देश आजाद हुआ है, उस वक्त से ही लागू है. 1992 तक ये आरक्षण हमें मिलता रहा है. बहुजन समाज पार्टी ने इसे लूटने का प्रयास किया. सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट भी कहती है कि जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी. हमें कुछ मिलना नहीं है, संविधान में जो इस आरक्षण पर धूल पड़ी थी, बस वही हटाई जा रही है’.

निषाद को था आरक्षण के आश्वासन का भरोसा
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी जंग जीतने के लिए बीजेपी जातीय समीकरण दुरुस्त करने में जुटी है. बीजेपी सूबे में अपने सहयोगी दलों के साथ चुनावी रैलियां कर माहौल बनाने की कवायद में है. लखनऊ में रमाबाई अंबेडकर मैदान में शुक्रवार को हुई बीजेपी-निषाद पार्टी की संयुक्त से संजय निषाद को आरक्षण की लंबे समय की जा रही मांग पर अमित शाह कई ओर से ठोस आश्वासन का भरोसा था. लेकिन शाह ने इस मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं कहा.

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निषाद पार्टी उठा रही आरक्षण की मांग
बीजेपी के साथ मिलकर यूपी चुनाव में किस्मत आजमा रहे निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद लगातार निषाद समाज को अनुसूचित जाति में शामिल कराने की मांग कर रहे हैं. हाल ही में संजय निषाद ने कहा था कि निषाद समुदाय तब तक वोट नहीं देगा जब तक उसे आरक्षण नहीं दिया जाता है. अब ये बीजेपी सरकार का कर्तव्य बनता है कि वो अपना वादा पूरा करे. आरक्षण की मांग को लेकर नवंबर के दूसरे सप्ताह में प्रदेश में आंदोलन भी किया था. उत्तर प्रदेश में निषाद समाज 5 फीसदी के करीब है, जो मल्लाह, मांझी, निषाद, धीवर, बिंद, कहार, कश्यप के नाम से जानी जाती है. निषाद वोटों के सियासी समीकरण और राजनीतिक ताकत को देखते हुए बीजेपी ने निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है. डा. संजय निषाद ने निषाद समाज के आरक्षण की मांग को बीजेपी के पाले में डाल रखा है.

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