Politalks.News/UttarPradeshPolitics. साम-दाम-दंड-भेद के साथ सारे प्रपंच के बाद भी पश्चिम बंगाल चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब भाजपा आगे कोई गलती दोहराना नहीं चाहती. क्योंकि अब आठ महीने बाद देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की ‘सबसे बड़ी‘ परीक्षा होनी है. कोरोना संकटकाल और पंचायत चुनावों के बाद उत्तरप्रदेश में वर्तमान में जो हालात हैं वह कतई भाजपा के अनुकूल नहीं हैं. खास तौर पर यूपी के गांवों में कोरोना से हुई बदहाल व्यवस्था भी योगी सरकार के लिए ‘सिरदर्द‘ बन गई है. इसलिए पिछले कई दिनों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस कर तूफानी दौरे कर रहे हैं.
दूसरी ओर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने भी कोरोना काल में ही यूपी के विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर 23 मई को रणनीति की ‘पटकथा‘ तैयार कर ली है. उत्तर प्रदेश को लेकर रविवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित हुई ‘मैराथन बैठक‘ देर रात तक चलती रही. इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के भाजपा संगठन मंत्री सुनील बंसल के साथ संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले मौजूद रहे. बता दें कि होसबोले सरकार्यवाह पद संभालने के बाद पहली बार भाजपा की बैठक में शामिल हुए हैं. वहीं भाजपा संगठन मंत्री सुनील बंसल भी कई दिनों से राजधानी दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं.
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बता दें कि भाजपा और संघ ने उत्तरप्रदेश में अगले साल होने वाले चुनावों की सियासी रणनीति तैयार कर ली है. हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में पार्टी को मिली हार पर भी मंथन किया गया. समीक्षा बैठक में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, क्षेत्रीय अध्यक्ष और पंचायत चुनाव से जुड़े पदाधिकारी मौजूद रहे. ‘विधानसभा चुनाव से पूर्व पंचायत चुनाव में खराब प्रदर्शन और कोरोना की दूसरी लहर से उत्पन्न स्थिति से भाजपा अपनी रणनीति में परिवर्तन करना चाहती है‘. देश के सबसे महत्वपूर्ण सूबे की वर्तमान स्थिति और भविष्य की रणनीति पर प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच कई दौर की बैठक हुई.
विशेष सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव के मध्यनजर बीजेपी और संघ ने अपने संगठन को मजबूत करने के साथ ही सरकार के स्तर पर भी छवि सुधारने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. जिसके चलते उत्तर प्रदेश सरकार को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय इस बैठक में लिए गए हैं. बता दें कि कोरोना महामारी से उत्तर प्रदेश सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों में से एक है. पिछले दिनों गंगा में तैरती लाशों और प्रयागराज में गंगा किनारे बिना अंतिम संस्कार के दफन हुए हजारों शवों ने पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में योगी सरकार के साथ-साथ मोदी सरकार की ‘छवि‘ पर भी चोट पहुंचाई है.
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मिशन 2022 को ध्यान में रखते हुए जल्द होगा योगी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार
विधानसभा चुनाव में बचे बहुत कम समय और विधायकों में बढ़ते असंतोष को देखते हुए योगी सरकार का जल्द से जल्द मंत्रिमंडल का विस्तार होना तय है. बता दें कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों और कोरोना महामारी की वजह से यूपी में मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो पाया है. कई बड़े विभाग भी खाली पड़े हुए हैं. वहीं हाल ही में कोविड-19 से मंत्री चेतन चौहान, कमल रानी वरुण और विजय कुमार कश्यप की मृत्यु हो गई थी, जिसके चलते भी मंत्रिमंडल में पद खाली चल रहे हैं. भाजपा ‘मिशन 2022‘ को ध्यान में रखते हुए ही यह ‘फाइनल कैबिनेट’ विस्तार करेगी.
ए. के. शर्मा को बड़ा मंत्री पद या उपमुख्यमंत्री पद मिलना है तय
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर ही पिछले दिनों एके शर्मा ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और दूसरे दिन ही वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने लखनऊ पहुंचे. बता दें कि अरविंद कुमार शर्मा को पीएम मोदी का काफी करीबी माना जाता है. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एके शर्मा गुजरात से ही यानी नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री के समय से उनके साथ रहे हैं. हाल ही में कुछ महीनों पहले ही पीएम मोदी ने उन्हें यूपी से भाजपा का विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बनाया है और तभी से ए के शर्मा को उत्तरप्रदेश सरकार में कोई बड़ा पद मिलना तय माना जा रहा है. ऐसे में अब एक बार फिर उन्हें योगी कैबिनेट में ‘बड़ा मंत्री पद’ या उपमुख्यमंत्री का पद मिलने की चर्चाएं जोरों पर है. अभी हाल ही में पीएम मोदी ने कोविड संक्रमण के नियंत्रण को लेकर ‘काशी मॉडल‘ की जमकर तारीफ की थी. प्रधानमंत्री ने कहा था कि काशी मॉडल न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश में रोल मॉडल के रूप में देखा जा रहा है. आपको बता दें, काशी मॉडल को साकार करने के पीछे पीएम मोदी के खास एके शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वाराणसी प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र है.
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5 नए चेहरों के साथ योगी मंत्रिमंडल में 7 मंत्रियों की छुट्टी होना माना जा रहा तय
एके शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाने पर सरकार में दो डिप्टी सीएम रहेंगे या तीन, इस पर मंथन जारी है. इसी बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मई में कभी भी मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है और इस विस्तार में 5 नए चेहरे शामिल किए जाएंगे और करीब 7 हटाए जाएंगे. बता दें, उत्तर प्रदेश सरकार के 7 ऐसे मंत्रियों की शिकायत पीएमओ तक पहुंची है, जिनके विभागों में लगातार भ्रष्टाचार और अन्य गड़बड़ियों की जानकारी सामने आई हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कुछ मंत्रियों को आगामी मंत्रिमंडल विस्तार में हटाया जा सकता है, जिसमें पिछली बार हुए मंत्रिमंडल विस्तार में जगह पाने वाले दो मंत्रियों के भी नाम शामिल होने की संभावना हैं.
यहां हम आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के लिए शुरू से ही उत्तर प्रदेश की राजनीति महत्वपूर्ण रही है. यूपी ने जब-जब भाजपा का साथ दिया, तब-तब बीजेपी को केंद्र की सत्ता पर काबिज होने में आसानी हुई. भाजपा और आरएसएस के लिए यूपी की चिंता इसलिए भी अहम है क्योंकि विधानसभा चुनाव के लिहाज से तो यह सबसे बड़ा राज्य है ही, लोकसभा के लिए भी महत्वपूर्ण है. कहते हैं प्रधानमंत्री की कुर्सी यूपी से ही निकलती ही, ऐसा इसलिए कि लोकसभा के सबसे ज्यादा 80 सांसद उत्तर प्रदेश से आते हैं, ऐसे में यदि 2022 में बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो मिशन 2024 भी उसके लिए बहुत कठिन नहीं होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने यूपी विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार करना अभी से शुरू कर दिया है.