मोदी के मंत्री कुलस्ते ने उठाया सरकारी कंपनियों के निजीकरण का मुद्दा, बोले- निजी क्षेत्र में लागू हो आरक्षण

जयपुर में हुए दो दिवसीय आदिवासी सम्मेलन को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं, केंद्रीय मंत्री कुलस्ते ने मोदी सरकार को किया कटघरे में खड़ा, सम्मेलन में कर दी निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग, आंदोलन खड़ा करने की कह डाली बात, तेजी से सरकारी उपक्रमों का निजीकरण कर रही है मोदी सरकार, निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर अभी स्थिति नहीं है साफ, ऐसे में आदिवासी समाज को अपने आरक्षण को लेकर सता रहा है डर, इसी डर के चलते दिल की बात आ गई जुबान पर

सरकार के खिलाफ प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण लागू करने के लिए आंदोलन भी खड़ा करना चाहिए- कुलस्ते
सरकार के खिलाफ प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण लागू करने के लिए आंदोलन भी खड़ा करना चाहिए- कुलस्ते

Politalks.News/Rajasthan. एक ओर जहां बीते लंबे समय से केंद्र सरकार (Central Goverment)किसानों के मुद्दे पर घिरी हुई नजर आई. वहीं अब सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के नेताओं के बीच भी सरकार की नीतियों को लेकर अंर्तकलह दिखाई देने लगा है. इसकी बानगी जयपुर में मंगलवार को देखने को मिली. जयपुर (Jaipur) में आदिवासी विकास परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते (Minister of State for Steel and Rural Development) ने प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की वकालत कर डाली. कुलस्ते ने मोदी सरकार की निजीकरण की नीति पर सवाल उठाते हुए अपने समाज को आंदोलन की राह पर जाने की सलाह भी दे डाली. सियासी गलियारों में कुलस्ते के बयान की चर्चाएं हो रही हैं. साल 2014 के बाद से ये माना जाता है कि मोदी सरकार के खिलाफ किसी भी केंद्रीय मंत्री ने इस तरह से मोर्चा नहीं खोला है. अब कुलस्ते का बयान क्या गुल खिलाता है ये आने वाला समय ही बताएगा.

प्राइवेट सेक्टर में भी रिजर्वेशन लागू हो- कुलस्ते
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि, ‘सरकारी कंपनियों का निजीकरण हो रहा है. ऐसे में सरकार को प्राइवेट सेक्टर में भी रिजर्वेशन लागू करना चाहिए. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है, तो हमें सरकार के खिलाफ प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण लागू करने के लिए आंदोलन भी खड़ा करना चाहिए’. कुलस्ते यही नहीं रुके उन्होंने आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि, ‘हमें अपने नेताओं और राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ आंदोलन करना चाहिए, तभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के कान खुलेंगे, जिस दिन इन प्रतिनिधियों ने इस बात का अहसास करवा दिया उस दिन वहां का मुख्यमंत्री भी डरेगा. क्योंकि मांगने से कोई देने वाला नहीं होता और अपने हक के लिए लड़ना ही पड़ता है’.

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‘निजीकरण के बाद अपने आरक्षण के लिए करना होगा आंदोलन’
जयपुर में दो दिवसीय आदिवासी सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने आदिवासी समुदाय के अधिकारों की बात करते हुये प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण (Reservation) की पैरवी की है. इसके लिये उन्होंने समाज को आंदोलन करने की सलाह दे दी. कुलस्ते ने कहा कि, ‘हमें निजीकरण के बाद अपने आरक्षण के लिए आंदोलन करना होगा. जमीन अधिग्रहण से लेकर बैकलॉग और आरक्षण नीति पर हमें गंभीरता से विचार करना होगा’. कुलस्ते ने यह भी कहा कि, ‘हमें समुदाय के अधिकारों के लिये कानूनी लड़ाई के मामले भी एक्टिव होना होगा’.

‘चुनाव में ताकत दिखानी चाहिए’
केंद्रीय मंत्री कुलस्ते ने आगे कहा कि, ‘आदिवासी वर्ग को चुनाव में अपनी ताकत दिखानी चाहिए, ताकि राजनीतिक पार्टियों में संदेश जाए. उन्हें पता लग सके कि हमारे बिना आप की सरकार नहीं बनेगी. यह बात मुख्यमंत्री के जेहन में भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा की आदिवासी एमपी-एमएलए सामूहिक रूप से एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाएं. तब ही आदिवासियों की समस्या सदन में पहुंच पाएंगी और उनका समाधान निकल पाएगा.

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निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर है ये डर
आरक्षण को लेकर विवाद लंबे समय से चला आ रहा है. इसे वोट बैंक की राजनीति से भी जोड़कर देखा जाता है. लेकिन राजधानी जयपुर में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने इसे लेकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. मौजूदा समय में अगर किसी सरकारी कंपनी में वैकेंसी निकलती है तो आपको दिखता होगा कि उसमें कई पोस्ट कुछ विशेष वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित रहती हैं. वहीं निजीकरण के बाद कंपनियां जाति-वर्ग या आरक्षण के हिसाब से भर्तियां नहीं करेंगी. ऐसे में दबे-कुचले वर्ग को आगे बढऩे के लिए सहारा नहीं मिल पाएगा. इसी बात पर कुलस्ते अपने समाज मंच से केन्द्र सरकार को संदेश दे रहे थे कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण मिलना चाहिए.

इसी साल हुए हैं ये 3 बड़े निजीकरण
सीईएल- मोदी सरकार की तरफ से कई कंपनियों का निजीकरण किया जा चुका है. इसमें सबसे लेटेस्ट है सीईएल यानी सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड. मोदी सरकार ने इसके निजीकरण को मंजूरी दे दी है और नंदल फाइनेंस ने इसके लिए सबसे बड़ी बोली लगाई है. दूसरा सबसे बड़ा और सबसे चर्चित निजीकरण है एयर इंडिया का, जिसे करीब 68 साल पहले सरकार ने टाटा से खरीद लिया था. इस साल टाटा ने एयर इंडिया को फिर से सरकार से खरीद लिया है. आईडीबीआई का भी मोदी सरकार ने इसी साल निजीकरण किया है. सरकार ने इस बैंक में पूरी हिस्सेदारी बेच दी है. हालांकि, यहां एक दिलचस्प बात ये है कि इसे सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी ने ही खरीदा है. बता दें कि इसी साल सरकार एलआईसी का आईपीओ भी लाने वाली है.

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