मोदी समर्थक अनुपम खेर ने माना- सरकार से हुई है चूक, छवि बनाने से ज्यादा जरूरी लोगों की जान बचाना

कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है, अधिकारियों की सार्वजनिक आलोचना ‘कई मामलों में वैध’- अनुपम खेर

अनुपम खेर
अनुपम खेर

Politalks.News/Bharat. देशभर में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कोहराम मचाया हुआ है और ऑक्सीजन की आपूर्ति से लेकर अस्पतालों में बेड की व्यवस्था तक को लेकर मोदी सरकार आलोचनाओं का शिकार हो रही है. विपक्ष के साथ अब तो बीजेपी के कुछ नेता भी ऑफ द स्क्रीन ये मान रहे हैं कि कोरोना से बिगड़ते हालातों के लिए कहीं न कहीं मोदी सरकार जिम्मेदार है. इसी बीच मोदी सरकार की नीतियों की अक्सर तारीफ करने वाले अभिनेता अनुपम खेर के सुर भी कोरोना के इस महाकहर के बाद बदले नजर आ रहे हैं. बॉलीवुड के महान अभिनेता अनुपम खेर ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है और कहा कि अधिकारियों की सार्वजनिक आलोचना ‘कई मामलों में वैध’ है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के करीबी माने जाने वाले खेर ने कहा कि मोदी सरकार के लिए समय यह समझने का है कि छवि बनाने से ज्यादा जरूरी जीवन बचाना है.

नेशनल न्यूज़ चैनल एनडीटीवी को दिए गए एक साक्षात्कार में प्रसिद्ध अभिनेता के साथ एफटीआईआई के पूर्व चेयरपर्सन ने कहा कि सरकार से स्वास्थ्य संकट के प्रबंधन में कहीं न कहीं चूक हो गई है. यह पूछे जाने पर कि सरकार के प्रयास अभी राहत देने की बजाय अपनी खुद की छवि एवं समझ को बनाने पर अधिक है तो राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता एक्टर ने कहा कि सरकार के लिए आवश्यक है कि वह इस चुनौती का सामना करे और उन लोगों के लिए कुछ करें जिन्होंने उन्हें चुना है. इसके साथ ही अनुपम खेर ने यह भी कहा कि लेकिन दूसरे राजनीतिक दलों का इन खामियों का फायदा उठाना भी गलत है.

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आगे अभिनेता अनुपम खेर ने गंगा और अन्य कई नदियों में मिल रहे शवों को लेकर कहा कि, ‘कई मामलों में आलोचना लीगल है…कोई अमानवीय व्यक्ति ही नदियों में बहती लाशों से प्रभावित नहीं होगा.’ खेर ने कहा, ‘लेकिन दूसरी पार्टियों का इसका अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करना, मेरे विचार में ठीक नहीं है. मेरे हिसाब से, लोगों के तौर पर हमें गुस्सा आना चाहिए. जो हो रहा है उसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है. कहीं न कहीं उनसे चूक हुई है. उनके लिए यह समझने का वक्त है कि छवि निर्माण से जरूरी और भी बहुत कुछ है.’

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