लोकसभा में राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर सदन हुई विशेष चर्चा में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर आघात किए. सांसद बेनीवाल ने देश में बढ़ती बेरोजगारी, धीमी आर्थिक उन्नति और अल्संख्यक समुदाय में व्याप्त भय को मोदी सरकार की सबसे बड़ी विफलता बताया. आरएलपी सुप्रीमो ने सदन में गरजते हुए सितम्बर महीने में मीडिया रिपोर्ट्स के एक सर्वे का जिक्र करते हुए कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 सालों में उनकी सबसे बड़ी असफलता युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी है.
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हनुमान बेनीवाल ने बताया कि 2014 में करोड़ों रोजगार का वादा करके आए प्रधानमंत्री मोदी को लेकर करीब 27.1 फीसदी लोगों का मानना है कि बेरोजगारी उनकी सरकार की सबसे बड़ी असफलता है 6.5 फीसदी लोगों ने आर्थिक उन्नति का धीमे होने को उनकी विफलता बताया. 5.8 फीसदी लोगों को मुताबिक मोदी सरकार के रहते हुए अल्पसंख्यक समुदाय में भय का माहौल, 5.3 फीसदी ने महिला सुरक्षा और 4.8 फीसदी लोगों के मुताबिक आतंकवाद को न संभाल पाना मोदी सरकार का सबसे बड़ा फेलियर है.
राजनीति से उठकर देशहित को प्राथमिकता दे सरकार
सांसद बेनीवाल ने आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा, ‘यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम पर चर्चा की शुरुआत की है. ‘वंदे मातरम’ और ‘जय हिंद’ देश की संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े नारे हैं लेकिन वही सरकार, जिसने राज्यसभा में इन नारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध संबंधी अधिसूचना जारी की थी, जब इन्हीं पर चर्चा करती है तो यह कुछ हास्यास्पद लगता है.’ बेनीवाल ने आगे कहा कि चर्चा में राजनीति से ऊपर उठकर देशहित को प्राथमिकता देना चाहिए लेकिन यह दुर्भाग्य है कि आज इस चर्चा में भी भारतीय जनता पार्टी के लोग राजनीति कर रहे है.
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सांसद ने कहा कि वर्तमान सरकार को सिर्फ इस विषय पर नहीं, बल्कि देश के सामने मौजूद जटिल समस्याओं महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक विकास, महिला सुरक्षा, किसानों की व्यापक समस्याओं, सांप्रदायिक हिंसाओं पर रोक पर ध्यान देना चाहिए और उनकी योजना बनानी चाहिए.
जाट समाज की शहादत को याद किया
नागौर सांसद ने चर्चा के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों और जाट समाज द्वारा दी गई शहादत को याद करते हुए कहा, ‘वो राजस्थान की शक्ति एवं भक्ति, वीरों की धरती से आते है, राजस्थान प्रदेश से आता हूं. हम 150वें वर्ष का महाउत्सव मना रहे हैं,ये पुण्य अवसर हमें नई प्रेरणा देगा, कोटि-कोटि देशवासियों को नई ऊर्जा से भर देगा तथा इस दिन को इतिहास की तारीख में अंकित करने के लिए आज वंदे मातरम पर यह चर्चा हो रही है…
जब बंकिम बाबू ने वंदे मातरम की रचना की थी, तब भारत अपने उस स्वर्णिम दौर से बहुत दूर जा चुका था और विदेशी आक्रमणकारियों के हमले, लूटपाट अंग्रेजों की शोषणकारी नीतियाँ, उस समय हमारा देश गरीबी और भुखमरी के चंगुल में कराह रहा था. तब भी बंकिम बाबू ने, उस बुरे हालात के स्थितियों में भी, चारों तरफ दर्द था, विनाश था, शोक था, सब कुछ डूबता हुआ नज़र आ रहा था. ऐसे समय बंकिम बाबू ने समृद्ध भारत का आह्वान किया, क्योंकि, उन्हें विश्वास था कि मुश्किलें कितनी भी क्यों ना हों, भारत अपने स्वर्णिम दौर को पुनर्जीवित कर सकता है. यही वजह रही कि उन्होंने वंदे मातरम् का आह्वान किया.’



























