कांग्रेस की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. झारखंड (Jharkhand) में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने वाले हैं. कांग्रेस (Congress) ने संगठन को मजबूत करने के लिए रामेश्वर उरांव को झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. रामेश्वर उरांव (Rameshwar Oraon) पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और सांसद रह चुके हैं. उनके साथ ही पांच कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं. पार्टी ने यह कदम पार्टी में नेताओं के आपसी मतभेद दूर करने और संगठन को मजबूत करने के लिए उठाया है. लेकिन इससे नेताओं में असंतोष पैदा हो गया है. बताया जाता है कि झारखंड में कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

झारखंड में कांग्रेस के सात विधायक हैं. इनमें से चार विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं. प्रदेश के कांग्रेस नेता हाईकमान से मांग कर रहे थे कि ऐसा अध्यक्ष नियुक्त किया जाए, जो आक्रामक अंदाज में पार्टी को चुनाव लड़वा सके. रामेश्वर उरांव इस उम्मीद पर खरे नहीं उतरते हैं, क्योंकि एक दो उनकी सेहत ठीक नहीं रही और दूसरी बात यह कि पूरे प्रदेश पर उनकी पकड़ नहीं है. उरांव को प्रदेशाध्यक्ष बनाने से कांग्रेस को खूंटी, लोहरदा, गुमला जैसे इलाकों में कुछ फायदा हो सकता है. इन इलाकों में कांग्रेस पहले से ही मजबूत स्थिति में है. उरांव की नियुक्त से इन इलाकों के दमदार नेता पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखदेव भगत नाराज हो गए हैं. भगत फिलहाल विधायक हैं और पिछले लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट पर वह सिर्फ नौ हजार वोटों से हारे थे.

सुखदेव भगत कांग्रेस छोड़ सकते हैं, इस तरह की अटकलें पहले चल रही थी, जब उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाया गया था. उनकी पत्नी ने पिछले दिनों महापौर का चुनाव जीता है. अगर भगत कांग्रेस छोड़ते हैं, तो इससे विधानसभा चुनाव में पार्टी को बहुत नुकसान हो सकता है. पिछले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार के भी पार्टी छोड़ने की अटकलें चल रही हैं. पूर्व आईपीएस अधिकारी अजय कुमार ने झारखंड विकास मोर्चा में शामिल होकर राजनीति शुरू की थी. बाद में वह कांग्रेस में चले गए थे. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वह भाजपा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं.

जमशेदपुर के कांग्रेस के बन्ना गुप्ता भी भाजपा के संपर्क में हैं. बन्ना गुप्ता और अजय कुमार, दोनों की निगाहें जमशेदपुर की एक ही सीट पर है, जहां से फिलहाल भाजपा के सरयू राय विधायक हैं, जो कि राज्य सरकार में मंत्री भी हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और रांची से कई बार सांसद रहे सुबोध कांत सहाय भी हाईकमान से नाराज बताए जाते हैं. वह प्रदेश के प्रभारी आरएनपी सिंह के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयानबाजी कर चुके हैं. उसके बाद से ही अनुमान लगाया जा रहा है कि वह कभी भी कांग्रेस छोड़ सकते हैं. उनके भाजपा या तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है.

सुबोध कांत सहाय खाली बैठने वाले नेताओं में से नहीं हैं. अगर वह तृणमूल कांग्रेस में गए तो तीसरा मोर्चा बनाकर झारखंड में राजनीति करेंगे. कांग्रेस के एक और विधायक मनोज यादव के बारे में लंबे समय से चर्चा चल रही है कि वह पार्टी छोडने वाले हैं.

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