महाराष्ट्र: सीएए के मुद्दे पर पलट सकती है महाविकास अघाड़ी गठबंधन की तीन पहियों की गाड़ी

महाराष्ट्र सीएम उद्दव ठाकरे ने किया सीएए और एनपीआर का समर्थन तो राकंपा के मुखिया शरद पवार ने किया विरोध, कांग्रेस पहले से सीएए के विरोध में खड़ी, ठाकरे के बयान के बाद बंटने लगा गठबंधन

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार बने दो एक महीने ही हुए हैं कि इस तीन पहियों की गाड़ी ने अभी से हिचकोले खाना शुरु कर दिया है. बेहद कठिन परिस्थितियों में और एकदम विपरित विचारधाराओं में बने इस त्रिगुट (महाविकास अघाड़ी गठबंधन) में नागरिकता कानून को लेकर रार पड़ना शुरु हो गई है. जहां एक ओर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्दव ठाकरे ने सीएए कानून पर कहा कि अगर ये प्रदेश में लागू हुआ तो दिक्कत नहीं है. वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने कहा कि पार्टी इसके खिलाफ है और हमने सदन में सीएए के खिलाफ वोट किया था. कांग्रेस भी शुरु से सीएए के खिलाफ मुखर रही है. ठाकरे के बयान के बाद लगने लगा है कि इस मुद्दे पर गठबंधन बंटने लगा है.

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सीएए और एनपीआर मुद्दे पर बोलते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि सीएए-एनपीआर से किसी पर असर नहीं पड़ेगा. ठाकरे ने कहा कि सीएए और एनपीआर दोनों एनआरसी से पूरी तरह से अलग हैं. हालांकि उन्होंने एनआरसी को प्रदेश में किसी भी हालत में लागू नहीं करने की बात भी कही. उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘सीएए और एनआरसी दोनों अलग है और एनपीआर अलग है. सीसीए लागू होने पर किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. राज्य में एनआरसी नहीं है और इसे लागू नहीं किया जाएगा. यदि एनआरसी लागू किया जाता है तो यह न केवल हिंदू या मुस्लिम बल्कि आदिवासियों को भी प्रभावित करेगा. केंद्र ने अभी NRC पर चर्चा नहीं की है. एनपीआर एक जनगणना है और मुझे नहीं लगता कि कोई भी प्रभावित होगा क्योंकि यह हर दस साल में होता है.’ (महाविकास अघाड़ी गठबंधन)

सीएम ठाकरे के बयान के बाद राकंपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, ‘महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे का अपना नजरिया है लेकिन जहां तक पार्टी का सवाल है, हमने सीएए के खिलाफ मतदान किया था.’

बता दें, कांग्रेस भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ है लेकिन शिवसेना ने कई मौकों पर सीएए का पक्ष लिया है. सीएए के खिलाफ और पक्ष में मुंबई में कई रैलियां हो चुकी हैं. कांग्रेस शासित प्रदेशों में सीएए को लेकर प्रस्ताव भी पास हो चुके हैं. राजस्थान की गहलोत सरकार तो सीएए, एनआरसी और एनपीआर तीनों के खिलाफ विधानसभा में संकल्प पत्र पारित करा चुकी है. राजस्थान तीनों (CAA, NRC, NPR) के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराने वाला देश का इकलौता राज्य है.

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लोकसभा और राज्यसभा में भी कांग्रेस और राकंपा ने सीएए के खिलाफ वोट किया जबकि शिवसेना सांसदों ने दोनों बार अपने आपको वोटिंग से दूर रखा. हिंदूत्व विचारधारा की समर्थक शिवसेना का ऐसा करना जरूरी भी था. लेकिन अब सीएए और एनपीआर की उबड़ खाबड़ सड़क पर त्रिगुट (महाविकास अघाड़ी गठबंधन) के तीन पहियों पर चल रही महाराष्ट्र सरकार हिचकोले खाती हुई नजर आ रही है.

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