पुडुचेरी में सियासी संकट के बीच अचानक हटाई गईं किरण बेदी का कार्यकारी जीवन रहा है प्रभावशाली

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किरण बेदी को तुरंत प्रभाव से हटाते हुए तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन को पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया है, बेदी ने ट्वीट किया- दिल से दयालु, दिमाग से तेज और साहसी स्वभाव की होना चाहिए, विपक्ष का सरकार के अल्पमत में होने का दावा

पुडुचेरी में सियासी संकट के बीच अचानक हटाई गईं किरण बेदी का कार्यकारी जीवन रहा है प्रभावशाली
पुडुचेरी में सियासी संकट के बीच अचानक हटाई गईं किरण बेदी का कार्यकारी जीवन रहा है प्रभावशाली

Politalks.News/Puducherry: विधानसभा चुनाव से पहले पुडुचेरी की सियासत गर्माई हुई है. पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में गहराए राजनीतिक संकट के बीच मंगलवार देर शाम अचानक किरण बेदी को एलजी पद से हटा दिया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किरण बेदी को तुरंत प्रभाव से हटाते हुए तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन को पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया. वहीं उपराज्यपाल पद से हटाए जाने के कुछ घंटों बाद किरण बेदी ने टिप्पणी की है. पूर्व उपराज्यपाल बेदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि उन्हें अपनी डायरी के कवर पर मैसेज लिखा मिला है, जिसमें बताया गया है कि उन्हें ‘दिल से दयालु, दिमाग से तेज और साहसी स्वभाव की होना चाहिए.’

आपको बता दें, किरण बेदी को ऐसे समय पर हटाया गया है जब केंद्र शासित प्रदेश में एक और कांग्रेस विधायक ए जॉन कुमार के इस्तीफे के बाद राज्य की नारायणसामी सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया. मौजदा सदन में कांग्रेस नीत गठबंधन के अब 14 विधायक रह गए हैं. इस मौके का लाभ उठाते हुए विपक्ष ने मुख्यमंत्री वी नारायणसामी से इस्तीफा मांगते हुए कहा कि सरकार अल्पमत में है. बता दें, पुडुचेरी की 33 सदस्यीय विधानसभा में अब विपक्ष के सदस्यों की संख्या भी 14 ही है. हालांकि, नारायणसामी ने विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए दावा किया कि उनकी सरकार को सदन में ‘बहुमत हासिल है.

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गौरतलब है कि पुडुचेरी के कांग्रेस विधायक ए जॉन कुमार ने मंगलवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, इसके साथ ही गत एक महीने में वह चौथे विधायक हो गए हैं जिन्होंने विधायक पद छोड़ा है. कुमार के इस्तीफे के साथ ही विधानसभा में स्पीकर सहित कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 10 सदस्य रह गई है. जबकि उसके सहयोगी द्रमुक के तीन सदस्य हैं एवं निर्दलीय सदस्य भी नारायणसामी की सरकार को समर्थन दे रहा है. सदन में प्रभावी सदस्यों की संख्या के आधार पर बहुमत का आंकड़ा 15 है. पुडुचेरी विधानसभा का चुनाव अप्रैल में होने की उम्मीद है क्योंकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 21 जून 2021 को समाप्त हो रहा है. बता दें, कांग्रेस विधायक के इस्तीफे और उपराज्यपाल पद से बेदी को हटाने का घटनाक्रम पार्टी नेता राहुल गांधी के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करने आने के एक दिन पहले हुआ है.

आपको बता दें, पुडुचेरी के उपराज्यपाल के तौर पर किरण बेदी लगभग 100 दिन के बाद रिटायर होने वाली थीं. किरण बेदी ने 29 मई 2016 को पुडुचेरी के उपराज्यपाल की शपथ ली थी, इस हिसाब से 29 मई 2021 को उनका कार्यकाल पूरा होने वाला था. लेकिन इस बीच एक बड़े मंगलवार रात हुए घटनाक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें उपराज्यपाल के पद से हटा दिया. भारत का संविधान कहता है कि एलजी की नियुक्ति भले ही राष्ट्रपति 5 साल के लिए करते हैं, लेकिन एलजी अपने पद पर तभी तक बने रह सकते/सकती हैं, जब तक कि उसे राष्ट्रपति का विश्वास हासिल है.

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राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता अजय कुमार सिंह द्वारी जारी की गई संक्षिप्त विज्ञप्ति में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने निर्देश दिया है कि किरण बेदी ‘अब पुडुचेरी की उपराज्यपाल नहीं रहेंगी’. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन को पुडुचेरी के उपराज्यपाल पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है. उपराज्यपाल का पदभार संभालने के बाद से उनकी यह नई जिम्मेदारी प्रभावी हो जाएगी और वह पुडुचेरी के उपराज्यपाल की नियमित व्यवस्था होने तक इस पद पर रहेंगी.

प्रेरणादायी रहा है किरण बेदी का जीवन

आपको बता दें, 1972 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईपीएस के लिए सेलेक्ट हुई किरण बेदी ने आईपीएस बनने के बाद एक बात उनका सामना एक दिन ऐसे सीनियर से हुआ जिन्होंने उन्हें छोकरी कहकर पुकारा. किरण बेदी पहले तो ये सुनकर चौंकी, लेकिन उन्होंने तुरंत अपने आप को संभालते हुए इस ऑफिसर को कहा, “सर मेरा एक नाम है जिसे दुनिया किरण नाम से जानती है.” किरण के जवाब में कॉफिडेंस देखकर इस ऑफिसर को सांप सूंघ गया.

देशभर के युवाओं को किरण बेदी के नाम और काम की जानकारी GK की किताबों से ही मिल जाती है, जहां लिखा मिलता है, ‘देश की प्रथम महिला आईपीएस अध‍िकारी-किरण बेदी.’ अगर काम की बात करें तो कड़क अधिकारी के तौर पर काम करते हुए किरण बेदी ने कई मुकाम हासिल किए और जब निर्णय लेने की बारी आई तो कानून तोड़ने वालों के खिलाफ वो जरा भी नहीं हिचकिचाईं.

दिल्ली ट्रैफिक में काम करते हुए उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार को क्रेन से उठवा लिया था. इसके बाद उन्हें क्रेन बेदी के नाम से जाना जाने लगा. तिहाड़ जेल में तैनाती के समय उन्होंने जेल रिफॉर्म्स पर व्यापक काम किया. कैदियों के कल्याण के लिए जेल में नशामुक्ति अभियान चलाया. इसके काम से प्रभावित होकर उन्हें मैग्सैसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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