राजस्थान विधानसभा में बिलों पर बहस के दौरान सीएम सलाहकार व निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा और बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी के बीच जमकर हुई नोक-झोंक, विधायक लाहोटी ने कहा कि प्रदेश के सभी मंदिरों के संचालक मंडल में दिव्यागों और कुष्ठ रोगियों को अध्यक्ष, सदस्य बनने से रोकने के प्रावधान हटाने का बिल आना चाहिए था एक साथ, एक लाइन के बदलाव के लिए अलग बिल लाया गया, यह बिल तो ऐसा ही है जिस तरह से यह भी उसी प्रकार से आया जिस तरह से एक मंत्री को को-ऑपरेटिव में मदद करने के लिए लाया गया था एक लाइन का बिल, मतलब कि हमने इस्तीफा दिया और आप मंत्री बन गए,’ अशोक लाहोटी के मंत्री पर इशारा करने पर आपत्ति जताते हुए विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि किसी मंत्री पर बिना नोटिस आरोप लगाना है गलत, इसे निकाला जाना चाहिए कार्यवाही से, लाहोटी ने कहा मैंने नहीं लगाया किसी पर कोई आरोप, आप हर मामले में क्यों खड़े होते हैं जबरदस्ती? मैं तो किसी पर आरोप भी नहीं लगा रहा, फिर इस मुद्दे पर दोनों के बीच शुरू हो गई जमकर नोक-झोंक, संयम लोढ़ा ने सभापति से कहा कि इसे निकालिए कार्यवाही से, लाहोटी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ये कौन होते हैं कार्यवाही से निकालने के आदेश देने वाले? इस पर सभापति ने दखल देते हुए कहा कि जो बोला गया है, उसको चेक करके किया जाएगा फैसला, इस तरह सभापति के दखल के बाद शांत हुआ सदन का माहौल