Politalks.News/Rajasthan. जयपुर में दो दिन चला आदिवासी विकास परिषद (Aadiwasi Vikas Parishad) का सम्मेलन संपन्न तो हो गया, लेकिन अपने पीछे कई विवाद छोड़ गया. सम्मेलन के दौरान रिटायर्ड आईआरएस लेखक रूपचंद वर्मा ने अपनी पुस्तक (Roopchand Verma controversial book) ‘अधूरी आजादी’ वितरित की. सम्मेलन में बांटी गई किताब में ब्राह्मणों को यूरेशिया से आया हुआ आक्रांता और महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को रुढिवादी-नस्लभेदी बताया गया है. ‘अधूरी आजादी’ टाइटल से लिखी गई इस किताब में महात्मा गांधी और पंडित नेहरू के लिए भी कई आपत्तिजनक बातें लिखी हुई हैं. महात्मा गांधी को रूढ़िवादी, नस्लभेदी, काइयां, दोहरे चरित्र का व्यक्ति और व्याभिचारी बताया गया है. पंडित नेहरू के बारे में लिखा है कि, ‘उन्होंने परिवार और ब्राह्मणवाद को हवा दी’. आपको बता दें कि इस सम्मेलन में केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते (Faggan Sing Kulste), गहलोत सरकार के मंत्री परसादी लाल मीणा (Parsaadi Lal meena) सहित कांग्रेस और भाजपा के कई दिग्गज नेता शामिल हुए. इन सब दिग्गजों के बीच बंटी इस बेहद विवादित किताब पर विवाद होना तय माना जा रहा है. कई ब्राह्मण संगठन इस किताब को लेकर आक्रोशित हैं. ब्राह्मण नेताओं ने लेखक रूपचंद वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की तैयारी कर ली है.
रिटायर्ड आईआरएस रूपचंद वर्मा ने लिखी है किताब ‘अधूरी आजादी’
जयपुर में हुए आदिवासी विकास परिषद के सम्मेलन में रिटायर्ड आईआरएस रूपचंद वर्मा की यह किताब ‘अधूरी आजादी’ बांटी गई. सम्मेलन का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा ने किया था. मंगलवार को समापन सत्र में केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते शामिल हुए थे. दो दिन तक चले इस सम्मेलन में कांग्रेस-बीजेपी के कई नेता शामिल हुए. सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया था, लेकिन वे नहीं गए. बताया जाता है कि विवाद की आशंका के चलते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सम्मेलन में मुख्य अतिथि बनाने के बावजूद नहीं गए.
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‘ब्राह्मण ऐसे आक्रांता आर्य लोगों का समूह जो यूरेशिया से भारत में घुसे’
‘अधूरी आजादी’ किताब के पेज 15 पर लिखा है कि, ‘ब्राह्मण ऐसे आक्रांता आर्य लोगों का समूह है जो करीब पांच हजार साल पहले यूरेशिया से भारत में घुसे थे. इसी तरह पेज 11 पर लिखा है कि, ‘जयपाल सिंह ने संविधान सभा में कहा था कि सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास बताता है कि नवागंतुक आर्यों ने सिंधु सभ्यता को नष्ट करके आदिवासियों को मैदानों से दूर जंगलों में खदेड़ कर उन्हें हर तरह से प्रताड़ित किया. यहां बैठे अधिकांश लोग ऐसे ही घुसपैठिए हैं’.
ब्राह्मणों पर अहिंसक बौद्ध भिक्षुओं के कत्लेआम का आरोप
किताब के पेज 13 पर लिखा है कि, ‘ऐतिहासिक झरोखे से देखने पर साफ नजर आता है कि मुट्ठीभर ब्राह्मण अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए मौके के हिसाब से रणनीतियां और चालें बदलते रहे हैं. यह सिलसिला बौद्धकाल से लेकर आज तक चालू है. बौद्ध धर्म के बढ़ते प्रभाव से घबराए ब्राह्मणों ने क्रूरता की हदें लांघकर निहत्थे, अहिंसक बौद्ध भिक्षुओं का कत्लेआम किया. धर्म ग्रंथों को जलाया. नालंदा, तक्षशिला विश्वविद्यालयों को बर्बाद किया. बौद्ध अनुयाइयों को अछूत घोषित कर उन्हें मैला उठाने के लिए मजबूर किया.
लेखक ने महात्मा गांधी को बताया काइयां और दोहरे चरित्र का व्यक्ति
किताब के पेज नंबर 8 और 9 में महात्मा गांधी के बारे में कई आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं. किताब में गांधी के लिए लिखा है कि, ‘अंग्रेज गांधी को बहुत काइयां और दोहरी बात कहने वाला राजनीतिज्ञ मानते थे. उनमें सच्ची संतवृत्ति नाम मात्र की भी नहीं थी. बाबा साहेब अंबेडकर ने भी गांधी को दोहरे चरित्र का व्यक्ति बताया है. गांधी ने वर्ण जाति आधारित समाज का कट्टर समर्थक बनकर ब्राह्मणवाद बढ़ाया, लेकिन पश्चिमी दुनिया को दिखाने के लिए उदारवादी लोकतंत्रवादी बन गए थे’.
किताब में महात्मा गांधी के चरित्र पर उठाए सवाल
‘अधूरी आजादी’ किताब में महात्मा गांधी के चरित्र पर गंभीर सवाल उठाते हुए पेज नंबर 9 पर लिखा है कि, ‘लंगोटी पहनकर फकीरी के दावेदार गांधी को उद्योगपति बिरला के दिल्ली स्थित आलीशान बंगले में निवास करने और ब्रह्मचर्य का प्रयोग करने के लिए अपनी जवान पोती के साथ सोने में कोई परहेज नहीं था. अरुंधति रॉय ने गांधी और अंबेडकर में गांधी के महात्मा के चोले को उतारकर उन्हें तथ्यों के आधार पर नस्लभेदी और रुढिवादी इंसान बताया है. गांधी मनुस्मृति की सीढीनुमा जाति व्यवस्था को बनाए रखना चाहते थे’.
किताब में दावा- नेहरू ने परिवार और ब्राह्मणवाद को दी हवा
‘अधूरी आजादी’ किताब के भारतीय लोकतंत्र पर हावी ब्राह्मणवाद चैप्टर में लिखा है कि, ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजाद भारत की बागडोर संभालते ही ब्राह्मणवाद और परिवारवाद को खूब हवा दी. नेहरू ने 1952 के आम चुनावों में 3.5 प्रतिशत ब्राह्मणों को 60 प्रतिशत टिकट देकर 47 प्रतिशत को जिताया. प्रधानमंत्री के तौर पर नेहरू चार दशकों तक देश की सत्ता पर काबिज रहे. इस दौरान ब्राह्मणों ने देश की कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका, संपत्ति पर वर्चस्व कायम कर लिया. मुख्यमंत्री, राज्यपाल सहित सभी पदों पर ब्राह्मण छा गए’.
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नेहरू ने किसी आदिवासी को अपनी कैबिनेट में मंत्री नहीं बनाया
‘अधूरी आजादी’ किताब में लिखा है कि, ‘इतिहास पर नजर डालने पर गांधी, नेहरू और कांग्रेस के दोगलेपन और धोखेबाजी का खुलासा होता है. इन्होंने अंबेडकर और जयपाल सिंह को धोखा दिया, नेहरू ने अपनी कैबिनेट में किसी आदिवासी को मंत्री नहीं बनाया. जवाहरलाल नेहरू का ब्राह्मणवादी दोगलापन भूप्रबंधन, शिक्षा, कश्मीर समस्या, इंडियन सिविल सर्विस की अंग्रेज प्रशासनिक व्यवस्था में साफ दिखाई देता है’.
ब्राह्मणवादी कांग्रेस के प्रयासों से आजादी मिलने का भ्रम फैलाया
किताब में पेज 6 पर लिखा है कि, ‘ब्राह्मणवादी इतिहासकारों ने यह भ्रम फैलाया कि आजादी गांधी और ब्राह्मणवादी कांग्रेस के प्रयासों से मिली थी. वास्तव में यह विश्व युद्ध से बर्बाद ब्रिटिश अर्थव्यवस्था, सुभाष बोस की आजाद हिंद फौज, और नौ सेना की बगावत जैसे ऐतिहासिक कारणों का मिलाजुला परिणाम थी’.
किताब में बंटवारे को बताया गया षड्यंत्र
किताब में लिखा है- षडयंत्रकारी बंटवारे के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में पिशाची नरसंहार हुआ. करोड़ों लोगों की जान माल की क्षति हुई. इसे साबरमती के तथाकथित संत गांधी की बिना खड़ग बिना ढाल की अहिंसक आजादी नहीं कह सकते हैं’.
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घुमरिया बोले- वर्मा हैं विद्वान, रिसर्च के बाद ही लिखा होगा
पुस्तक के विवाद को लेकर अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के प्रदेश अध्यक्ष के सी घुमरिया से फ़ोन पर बात की गई. उन्होंने कहा कि, ‘लेखक रूपचंद वर्मा विद्वान हैं और काफी रिसर्च के बाद ही उन्होंने पुस्तक में कुछ लिखा होगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि, ‘पुस्तक के विवाद के बारे में वर्मा से ही बात करें, क्योंकि वर्मा ने कुछ लोगों को यह पुस्तक कार्यक्रम में दी थी’.