गवर्नर दे देते कानून को परमिशन तो किसानों की जमीन नहीं होती नीलाम- खाचरियावास के निशाने पर राज्यपाल

जमीन नीलामी प्रकरण में गर्माई मरुधरा की सियासत, दौसा-थानागाजी प्रकरण में भाजपा के निशाने पर गहलोत सरकार, सीएम गहलोत के बाद अब खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास का हमला, राज्यपाल की भूमिका को लेकर उठाए सवाल, भाजपा और कांग्रेस के नहीं होते राज्यपाल

‘गवर्नर दे देते कानून को परमिशन तो...’
‘गवर्नर दे देते कानून को परमिशन तो...’

Politalks.News/Rajasthan. दौसा और थानागाजी में कर्ज नहीं चुकाने पर किसानों की जमीन नीलाम होने के मामलें से प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. हालांकि इस पूरे मामले के सामने आने के बाद राजस्थान के संवेदनशील मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तुरंत ही कृषि भूमि नीलामी रोकने के अधिकारीयों को निर्देश दे दिए. साथ ही सीएम गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा था कि विधानसभा से 5 एकड़ तक जमीन वाले किसानों की जमीन नीलाम नहीं करने का विधेयक विधानसभा से पास हो गया लेकिन वह अभी राज्यपाल के पास अटका हुआ है. इसके चलते कानून नहीं बन सका जिसका उन्हें दुख है. अब इस मामले को लेकर खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी भाजपा पर पलटवार किया है. खाचरियावास ने कहा कि, ‘अगर गवर्नर परमिशन दे देते तो प्रदेश में जमीन नीलाम नहीं करने का कानून लागू हो जाता और आज किसानों की जमीन नीलाम नहीं होती.’

गहलोत सरकार में खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि, ‘चाहे राज्यपाल हो, प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री वह भले ही किसी भी पॉलीटिकल पार्टी के बैकग्राउंड हों लेकिन वह किसी पार्टी से जुड़े हुए नहीं होते. वे प्रदेश की जनता के राज्यपाल, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री होते हैं. हमारे देश के संविधान के अनुसार हर प्रदेश सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि पब्लिक वेलफेयर के बिल नहीं रुके.’ खाचरियावास ने कहा कि, ‘प्रदेश में गवर्नर भाजपा बैकग्राउंड से आए हैं. लेकिन राजप्रमुख कभी भी भाजपा या कांग्रेस का नहीं होता.’

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खाचरियावास ने कहा कि, ‘मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री भी कभी बीजेपी या कांग्रेस में नहीं बंट सकते वे देश और प्रदेश की जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं. पार्टी का एजेंडा भी हम लोग संविधान के जरिए ही लागू कर सकते हैं. राजस्थान में जो कानून प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लेकर आए वह एक पब्लिक वेलफेयर का कानून था. जिसमें किसान की 5 एकड़ तक की जमीन नीलाम नहीं हो सकती थी. विधानसभा से एक्ट पास भी हो गया और गवर्नर के पास परमिशन के लिए गया. अगर गवर्नर परमिशन दे देते तो वह कानून लागू हो जाता और आज किसानों की जमीन नीलाम नहीं होती.’

खाचरियावास ने आगे कहा कि, ‘अगर कोई सरकार, कोई मुख्यमंत्री अच्छा काम कर रही है जनता के लिए तो केंद्र सरकार और गवर्नर की यह जिम्मेदारी है कि वह उसका सहयोग करें. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अगर राजस्थान में 5 एकड़ का कानून लागू हो जाएगा तो प्रधानमंत्री को भी यह कानून पूरे देश में लागू करना पड़ेगा और इससे प्रदेश ही नहीं देश भर के किसानों का भला होगा. ऐसे में मैं भाजपा के लोगों से यह कहना चाहता हूं कि वह बातें कम करें और काम करके दिखाएं. प्रधानमंत्री जी से कहें कि पब्लिक वेलफेयर के इस कानून को लागू करें.

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आपको बता दें कि दौसा और थानागाजी में कर्ज के नाम पर कुछ किसानों की जमीन नीलाम करने के मामले ने बुधवार को तूल पकड़ लिया. रामगढ़ पचवारा में एक किसान ने सरकार द्वारा किसानों के कर्ज माफी की घोषणा के कारण बैंक केसीसी नहीं चुकाई, जिसकी कीमत उसे जमीन नीलाम कराकर चुकानी पड़ी. इस मामले में पीड़ित परिवार के आत्महत्या करने की चेतावनी देने के बाद मामला गरमा गया. इस पुरे मामले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा अधिकारियों को इसे रोकने के निर्देश दिए हैं.

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