खट्टर सरकार पर मंडराया सरकार जाने का खतरा, दुष्यंत चौटाला ने दी इस्तीफे की धमकी

कृषि बिल ने बढ़ाई खट्टर सरकार की मुश्किलें, जजपा प्रमुख की धमकी के बाद बढ़ी विपक्षी दल में सियासी हलचल, अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद बढ़ने लगा दबाव, चौटाला ने की खट्टर से मुलाकात

Dushyant Choutala
Dushyant Choutala

Politalks.News/Haryana. संसद में किसान संबंधी बिल पास होने के बाद देशभर में बवाल मचा हुआ है. सदन में विपक्ष और सड़क पर किसान संगठन केंद्र की मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. एनडीए की सहयोगी अकाली सांसद हरसिमरत कौर ने इस बिल के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि सरकार के साथ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी केंद्र सरकार के इस फैसले का बचाव करते हुए बिल को अन्नदाता के हित में बताया है. इधर, हरियाणा में खट्टर सरकार में सहभागी जजपा के दो विधायकों ने भी बिल का विरोध किया है. इस बीच जजपा प्रमुख दुष्यंत चौटाला ने धमकी भरे स्वर में कहा कि बिल में अगर एमएसपी से छेड़छाड़ हुई या न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई खतरा मंडराया तो वे अपना पद छोड़ देंगे. खट्टर के लिए ये चेतावनी खतरे की घंटी है. दुष्यंत चौटाला प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं.

दुष्यंत चौटाला ने अपने एक बयान में कहा, ‘संसद द्वारा पारित किसानों को लेकर बिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली को समाप्त करने का कोई उल्लेख नहीं है. अगर एमएसपी सिस्टम पर कोई भी खतरा मंडराया तो मैं उसी दिन अपना पद छोड़ दूंगा.’ चौटाला की धमकी के बाद विपक्षी खेमे में सियासी हलचल बढ़ने लगी है. गौरतलब है कि हरियाणा-पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्यों में किसानों से जुड़े बिलों के खिलाफ सबसे ज्यादा विरोध-प्रदर्शन हो रहा है. हरियाणा के जींद जिले में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू), आढ़ती व अन्य संगठनों ने रविवार को 15 स्थानों पर नेशनल हाईवे और राज्य मार्ग को बाधित कर प्रदर्शन किया गया है.

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प्रदर्शन के चलते जींद-रोहतक, जींद-पटियाला, जींद-कैथल, जींद-करनाल, जींद-सफीदों, असंध-पानीपत, जींद-हिसार मार्ग तीन घंटे तक बाधित रहे. अध्यादेशों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर बैठकर धरना दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) सांसद और मोदी सरकार में तत्कालीन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर के कृषि विधेयकों का विरोध करते हुए इस्तीफा दिए जाने के बाद दुष्यंत चौटाला पर भी इस्तीफे का दबाव बढ़ने लगा है. इसकी वजह ये है कि जजपा की राजनीति हमेशा से किसान आधारित रही है और उनका अधिकांश वोट बैंक ग्रामीण स्तर पर है.

किसानों समेत राजनीति से जुड़े कई लोगों ने राज्य के डिप्टी सीएम चौटाला से मनोहर लाल खट्टर सरकार से समर्थन वापस लेने का दबाव बनाया है. इस बीच, चौटाला ने पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री खट्टर से मुलाकात भी की थी जिसके बाद इस तरह की अटकलों को अधिक बल मिला है.

इस बीच जजपा नेता दिग्विजय चौटाला ने दुष्यंत चौटाला के इस्तीफा मांगने वालों को करारा जवाब देते हुए कहा, ‘हमारे इस्तीफा देने से न तो इस विधेयक पर असर पड़ता है और न ही इसकी वोटिंग पर. हमारे इस्तीफे से केवल सरकार गिर जाएगी और कांग्रेस को सरकार बनाने का अवसर मिल जाएगा.’

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दिग्विजय चौटाला ने ये भी कहा कि हमसे इस्तीफा मांगने का औचित्य केवल और केवल भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सत्ता में लाना है. दिग्विजय ने अपने चाचा अभय चौटाला पर भी सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने अब तक जनता का कौनसा मुद्दा उठाया, सरकार की कौनसी खामियां गिनाई जबकि दुष्यंत ने खुद अपने महकमे की खामियों को उजागर करते हुए उसे ठीक किया और क्रेडिट कोई और ले रहा है. पार्टी विधायकों की नाराजगी और विधेयक पर विरोध करने को लेकर जजपा नेता ने कहा कि कोई विधायक नाराज नहीं है और सब कुछ ठीक है.

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