सरकार छिपा रही है मौतों के असल आंकड़े, दूसरी लहर में चुनावी रैलियां बनी ‘रियल सुपर स्प्रेडर’- पित्रोदा

भारत में कोरोना वायरस से मरने वालों का जो आधिकारिक आंकड़ा दिया जा रहा है, वह सही नहीं है, टीकाकरण अभियान को राजनीतिक लोगों से दूर रखना होगा, कोरोना की दूसरी लहर की 'रियल सुपर स्प्रेडर' जनसभाएं रहीं, जिसमें पीएम मोदी का मास्क नहीं पहनना और अनुशासन का अभाव रहा- सैम पित्रोदा

दूसरी लहर के दौरान चुनावी रैलियां बनी 'रियल सुपर स्प्रेडर'- पित्रोदा
दूसरी लहर के दौरान चुनावी रैलियां बनी 'रियल सुपर स्प्रेडर'- पित्रोदा

Politalks.News/Delhi. देश भर में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है. पुरे भारत वर्ष में ऑक्सीजन बेड और दवाइयों के अभाव के कारण लोग मर रहे हैं. इसे लेकर लगातार विपक्ष केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है. इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने हाल ही में विधानसभा चुनावों के दौरान हुई ‘चुनावी जनसभाओं को कोरोना के संक्रमण का जिम्मेदार माना’. वहीं कोरोना टीकाकरण को लेकर पित्रोदा ने कहा कि ‘यह एक जटिल प्रक्रिया है इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए’. जब पित्रोदा से एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘यह विचार पूरी तरह भारत के केंद्रीकरण की और इशारा करता है’.

देश भर में बढ़ते कोरोना संक्रमण और उससे हो रही मौतों को लेकर गांधी परिवार के काफी नजदीकी सैम पित्रोदा ने केंद्र सरकार पर कोरोना के कारण होने वाली मौतों को लेकर आंकड़े छुपाने के आरोप लगाए. पित्रोदा ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस से मरने वालों का जो आधिकारिक आंकड़ा दिया जा रहा है, वह सही नहीं है. भारत में आम दिनों में रोजाना औसतन 30 हजार लोगों की मौत होती है. यानी इतने लोगों का अंतिम संस्कार प्रतिदिन होता है.

पित्रोदा ने कहा कि अब देखा गया कि अंतिम संस्कार के लिए कतारें लग गईं, जबकि सिर्फ तीन हजार लोगों की मौत कोविड से होने की बात की गई. अगर तीन हजार अतिरिक्त लोगों की मौत हो गई तो अंतिम संस्कार के लिए कतारें कैसे लग रही हैं? इसका मतलब यह है कि मरने वालों का जो आंकड़ा बताया जा रहा है, वह सही नहीं है.

यह भी पढ़े:- अगस्त तक 10 लाख लोगों के मरने का अनुमान, माफी के लायक नहीं प्रधानमंत्री मोदी के काम- द लेंसेट

वहीं देश भर में जारी टीकाकरण अभियान को लेकर सैम पित्रोदा ने कहा कि ‘टीकाकरण एक जटिल प्रक्रिया है. निर्माण और वितरण को देखना होता है. अगर किसी चीज का निर्माण करते हैं तो आपको यह देखना होगा कि इसकी आपूर्ति कैसे करनी है. हम यह कर सकते हैं. भारत में बहुत प्रतिभा है. लेकिन इस प्रक्रिया को राजनीति से अलग रखना होगा. इस प्रक्रिया को विशेषज्ञों को देखना होगा, राजनीतिक लोगों के इससे दूर रखना होगा.

भारत में कोरोना की दूसरी लहर से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, ‘कोरोना की दूसरी लहर की ‘रियल सुपर स्प्रेडर’ जनसभाएं रहीं. प्रधानमंत्री ने मास्क नहीं पहना और इससे संदेश गया कि अब कोई दिक्कत नहीं है. अनुशासन का अभाव रहा. वहीं पित्रोदा ने कहा कि भारत में एक दिक्कत यह है कि बहुत ज्यादा लोगों को पृथक नहीं कर सकते क्योंकि संयुक्त परिवार होते हैं…. इन सब कारणों से यह दूसरी लहर आई है.

यह भी पढ़े:- कोविड मरीजों की भर्ती व उनके समुचित इलाज के लिए नोडल अधिकारियों को सीएम गहलोत के निर्देश

सैम पित्रोदा ने एक यूट्यूब चैनल को दिए अपने इस इंटरव्यू में भविष्य की राजनीति के बारे में कहा कि हाइपर कनेक्टिविटी के कारण भविष्य में चुनावी राजनीति बदलने जा रही है….. इससे लोकतंत्र पूरी तरह से बदलने वाला है. अगर मेरे पास विकल्प हो तो मैं मोबाइल फोन के जरिए मतदान कराऊंगा क्योंकि यह ईवीएम से ज्यादा सुरक्षित है. ईवीएम अतीत की तकनीक है और इसपर बहुत विवाद भी होता हैं. मोबाइल फोन के माध्यम से मतदान कराने से आपको मतदान केंद्र की जरूरत नहीं होगी. लोग कहीं से भी मतदान कर सकते हैं. अगर मेरे पास विकल्प हो तो मैं चुनावी सभाओं को प्रतिबंधित करूंगा और विज्ञापनों पर रोक लगाऊंगा. अगर कोई नेता कुछ कहना चाहता है तो वह अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया के जरिए बात कर सकता है.

पित्रोदा ने एक राष्ट्र एक चुनाव के सवाल पर कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव का विचार पूरी तरह केंद्रीकरण के बारे में है. हमें आगे विकेंद्रीकरण और लोकतंत्रीकरण की जरूरत है. मैं किसी भी चीज के केंद्रीकरण के खिलाफ हूं. मेरे पास विकल्प हुआ तो मैं भारत को जिले के स्तर पर चलाऊंगा.

Leave a Reply