बिना नाम लिए विरोधियों पर बरसे गहलोत, विश्वविद्यालयों को बंद करने पर राजे सरकार को लिया आड़े हाथ

दीक्षांत समारोह के मंच से सीएम अशोक गहलोत के सियासी वार, पत्रकारिता और लॉ विश्वविद्यलाय को बंद करने के फैसले पर पूर्ववर्ती राजे सरकार को लिया आड़े हाथ, तो वहीं विरोधियों को दिया संदेश- 36 कौम के आशीर्वाद से तीसरी बा बना सीएम, सियासी जानकार बोले- कोई भी मौका नहीं चूकते हैं सीएम गहलोत

बिना नाम लिए विरोधियों पर बरसे गहलोत
बिना नाम लिए विरोधियों पर बरसे गहलोत

Politalks.News/Rajasthan. डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय (AMBEDKAR LAW UNIVERSITY) का पहला दीक्षांत समारोह गुरुवार को जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया. पहले दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने शिरकत की तो कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलाधिपति राज्यपाल कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) ने की. लॉ यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह में एलएलएम प्रथम बैच के उत्तीर्ण 38 विद्यार्थियों को डिग्रियां दी गई तो वहीं डिस्टिंक्शन लाने वाले तीन विद्यार्थियों को मेरिट प्रमाण पत्र दिए गए. दीक्षांत समारोह के इस मंच से सीएम गहलोत ने अपने विरोधियों पर बिना नाम लिए जमकर निशाने साधे. पत्रकारिता व लॉ विश्वविद्यालय बंद करने के फैसले पर वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की पूर्ववर्ती सरकार को निशाने पर लिया तो खुद की जाति का एक ही विधायक होने के बावजूद 36 कौम के प्यार से तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की बात भी कही. कार्यक्रम सीएम गहलोत के संबोधन के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.

‘वसुंधरा सरकार ने बंद किया था विश्वविद्यालय, आपके आशीर्वाद से सीएम बना तो फिर करवाया शुरू’
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि, ‘ये सपना 10 साल पहले देखा था, जिसे पूरा भी किया गया लेकिन सरकार बदली और सत्ता में आने के साथ ही पिछली सरकार ने पत्रकारिता विश्वविद्यालय और लॉ विश्वविद्यलाय को बंद करने का फैसला लिया‘. सीएम गहलोत ने कहा कि, पिछली सरकार ने ये फैसला क्यों लिया ये तो पता नहीं लेकिन इस फैसले से मुझे बहुत दुख हुआ. आज तक भारत में कोई यूनिवर्सिटी शुरू हुई और वो बंद कर दी गई ऐसा मैंने नहीं देखा है. 2018 में फिर से सत्ता में आने के साथ ही हमने इन दोनों यूनिवर्सिटी को खोलने का फैसला लिया. दोनों ही यूनिवर्सिटी के नाम ऐसे नाम पर हैं, जिनका हर व्यक्ति सम्मान करता है.’ सीएम ने कहा कि, ‘अब जनता और आप सब के आशीर्वाद से हमारी सरकार फिर बनी तो हमने सबसे पहले इन दोनों विश्वविद्यालयों को शुरू करने का काम किया’.

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राजे सरकार के फैसले का उस समय पायलट ने जमकर किया था विरोध

यहां आपको बता दें कि दोनों ही विश्वविद्यालयों को पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने बंद करने का फैसला लिया था, तब उस समय भी राजे सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध हुआ था. तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने सरकार के फैसले की निंदा करते इसे विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करार दिया था. पायलट ने कहा था कि, ‘इस विश्वविद्यालय के माध्यम से राजस्थान में विधि क्षेत्र में स्टूडेंट्स को नए आयाम मिलते. सरकार ने संकीर्ण सोच का परिचय देते हुए इसे बंद करने का फैसला किया जो गलत है‘. अन्य संगठनों की ओर सभी राजे सरकार के फैसले की निंदा की गई थी. वहीं 2018 में जब कांग्रेस सरकार आई तो इन दोनों को फिर से शुरू किया गया है.

‘मेरी जाति का मैं एक ही विधायक, लेकिन 36 कौम के प्यार ने मुझे तीसरी बार बनाया मुख्यमंत्री’

वहीं दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर नाम लिए बिना विरोधियों पर सियासी निशाना साधा है. समारोह को संबोधित करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा- मैं तीसरी बार प्रदेश का सीएम बना. जाति-पाति के हिसाब से तो मैं मुख्यमंत्री बन नहीं पाता, क्योंकि मेरी जाति का एक एमएलए है और वह मैं खुद ही हूं. अगर छत्तीस कौम मुझे प्यार नहीं करती, प्रदेशवासी मुझ पर विश्वास नहीं करते, प्यार नहीं करते तो आज मैं यहां आपके सामने खड़े होकर दो बातें कहने की स्थिति में नहीं होता‘.

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सियासी गलियारों में निकाले जा रहे सीएम के बयान के कई मायने

सियासी गलियारों में चर्चा है कि दीक्षांत समारोह के मंच से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह अपने विरोधियों पर जमकर निशाने साधे. विश्वविद्यालय बंद करने के फैसले को लेकर पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे पर सीधा हमला बोला तो जाति की बात कर अपने विरोधियों का बिना नाम लिए सीएम पद को जनता का आशीर्वाद बता दिया. सीएम गहलोत अपने विरोधियों को बता रहे थे कि वो किसी एक पार्टी के नेता नहीं है बल्कि 36 कौम उन्हें प्यार करती है.

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