गहलोत सरकार का फ्यूल सरचार्ज बढाना जनविरोधी, जेब पर डाका डाल तिजोरी भरने की तैयारी- राठौड़

बिजली कम्पनियों द्वारा 'फ्यूल सरचार्ज' बढ़ाने को लेकर गहलोत सरकार निशाने पर, राजेन्द्र राठौड़ बोले- बिजली बिल में अतिरिक्त भार डालना गलत, कांग्रेस को जनजागरण अभियान चलाने का नहीं है अधिकार, अर्थव्यवस्था को संभालने के बजाय कमजोर करने में जुटी सरकार, उधर पहले से महंगाई की मार झेल रहे आमजन की कराह- दीवाली के बाद दिवाला निकाल रही गहलोत सरकार

दिवाली के बाद अब निकलेगा दिवाला
दिवाली के बाद अब निकलेगा दिवाला

Politalks.News/Rajasthan. पहले से महंगाई की मार झेल रहे प्रदेशवासियों को गहलोत सरकार ने अब ‘फ्यूल सरचार्ज‘ के नाम पर तगड़ा करंट लगने की तैयारी कर ली है. वहीं उपचुनाव के परिणाम के बाद से प्रदेश के हर मुद्दे पर अकेले बैटिंग कर रहे राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने इस मुद्दे पर गहलोत सरकार को घेरते हुए कहा है कि, ‘बढ़ती महंगाई को लेकर कांग्रेस का 14 नवंबर से 29 नवंबर तक चल रहे जनजागरण अभियान ने प्रदेश की जनता को महंगाई का बूस्टर डोज देकर अच्छी तरह से जागरूक कर दिया है. क्योंकि राज्य सरकार ने राजस्थान में एक बार फिर 33 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज के माध्यम से प्रदेश के 1 करोड़ 52 लाख विद्युत उपभोक्ताओं को 550 करोड़ रुपये का जोरदार करंट देने की तैयारी कर ली है.’

राजस्थान में बिजली का करंट, उपभोक्ताओं पर 550 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार
दरअसल, दिवाली निकलते ही बिजली कम्पनियों ने राजस्थान के लाखों उपभोक्ताओं को बिजली का करंट दे दिया है. इससे पहले राजस्थान में पिछले तीन माह बिजली संकट के दौरान जमकर बिजली कटौती करके उपभोक्ताओं को भारी परेशानी में डाला गया और अब उपभोक्ताओं की जेब पर बिजली के बिल का भार डाला जा रहा है. राजस्थान में ‘फ्यूल सरचार्ज‘ के नाम पर बिजली महंगी हो गई है और अगले तीन माह तक प्रति यूनिट 33 पैसे वसूलने की तैयारी हो चुकी है. ऐसे में उपभोक्ताओं पर 550 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा और यह राशि अगले तीन माह के दौरान वसूली जाएगी. उधर, पेट्रोल-डीजल के चलते पहले से खस्ताहाल चले रहे आमजन का कहना है कि दिवाली निकलते ही बिजली कम्पनियां लोगों का दिवाला निकालने पर तुल गई हैं. वहीं बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ ने सरकार के इस फैसले को जनविरोधी करार दिया है साथ ही महंगाई के लिए गहलोत सरकार की नीतियों को आड़े हाथ लिया है. राठौड़ ने फ्यूल चार्ज के नाम पर सरकार पर अपनी तिजोरी भरने का आरोप लगाया है.

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‘बिजली बिल का अतिरिक्त भार डालना जनविरोधी निर्णय’

उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने गहलोत सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि, ‘राजस्थान की जनता ने पिछले तीन महिने में अभूतपूर्व बिजली संकट झेला है. पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं खरीदने से उत्पन्न हुए बिजली संकट के दौरान जमकर विद्युत कटौती की गई और आम आदमी को संकट में डाला गया. अब जब कोयला आपूर्ति होने के बाद बिजली उत्पादन सुचारू है तो दीपावली का त्यौहार निकलने के तुरंत बाद ही राज्य सरकार ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर जनवरी से मार्च 2022 यानी 3 माह के लिए उपभोक्ताओं की जेब पर बिजली बिल का अतिरिक्त भार डालने का जनविरोधी निर्णय लिया है’.

‘महंगाई के लिए गहलोत सरकार की गलत नीतियां जिम्मेदार’

भाजपाई दिग्गज राजेन्द्र राठौड़ ने महंगाई के मुद्दे पर गहलोत सरकार को घेरते हुए कहा कि, ‘महंगाई के लिए कांग्रेस पार्टी को जनजागरण अभियान निकालने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि राज्य में बढ़ती महंगाई के लिए सीधे तौर पर गहलोत सरकार की गलत नीतियां ही जिम्मेदार है. पेट्रोल-डीजल पर वैट में कमी नहीं करना और बार-बार फ्यूल सरचार्ज के जरिए विद्युत उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार लादना, कुल मिलाकर गहलोत सरकार की मंशा आमजन की लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को सुधारने की बजाय उसे कमजोर करने की है’.

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‘शुल्क लगाकर तिजोरी भरने में जुटी सरकार’

विधायक राजेन्द्र राठौड़ ने गहलोत सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि,’राज्य सरकार प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर विभिन्न प्रकार के शुल्क लगाकर अपनी तिजोरी भरने में लगी हुई है. राज्य सरकार फ्यूल सरचार्ज के अलावा शहरी सेस के नाम पर 15 पैसे प्रति यूनिट,विद्युत शुल्क के नाम पर 40 पैसे प्रति यूनिट, जल संरक्षण उपकर के नाम पर 10 पैसे प्रति यूनिट और अडानी कर के नाम पर 5 पैसे प्रति यूनिट जैसे कई तरह से शुल्क बिजली बिलों में लगाकर विद्युत उपभोक्ताओं से वसूल रही है’.

‘महंगी बिजली खरीदे निगम, भुगते उपभोक्ता, दुर्भाग्यपूर्ण’

उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि,’डिस्कॉम द्वारा बिजली उत्पादन कंपनियों से महंगी दरों पर बिजली खरीदने का खामियाजा आम उपभोक्ता को भुगतना पड़ रहा है. महंगी दरों पर बिजली खरीदना हो या बिजली चोरी व छीजत रोकने में नाकामी इससे उत्पन्न घाटे की भरपाई का वित्तीय भार ईमानदार उपभोक्ताओं पर लादने की कार्यशैली दुर्भाग्यपूर्ण है’.

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