कोरोनाकाल में बीजेपी में फिर खुलकर सामने आई गुटबाजी, ‘वसुंधरा जन रसोई’ ने बटोरी सियासी सुर्खियां

एक तरफ तो बीजेपी का संगठन अपने सेवा कार्यों के जरिए 'सेवा ही संगठन' अभियान को आगे बढ़ा रहा है, वहीं वसुंधरा राजे समर्थक कोविड काल की आपदा में जरूरतमंदों तक जहां 'वसुंधरा जन रसोई' के जरिये भोजन पहुंचा रहे हैं, वसुंधरा जन रसोई' के पोस्टर पर न बीजेपी का नाम और लोगो हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री अमित शाह या बीजेपी के राष्ट्रीय और प्रदेशाध्यक्ष का कोई जिक्र

'वसुंधरा जन रसोई' ने बटोरी सियासी सुर्खियां
'वसुंधरा जन रसोई' ने बटोरी सियासी सुर्खियां

Politalks.News/Rajasthan. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर प्रदेश भाजपा ने कोरोना की दूसरी लहर में भी ‘सेवा ही संगठन‘ अभियान चला रखा है. इसके जरिए पार्टी ने चार हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं जिसके जरिए जरूरतमंद लोगों को राशन, दवा, उपचार के जरिये लोगों को राहत दी जा रही है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी की रसोई में तो एक नई खिचड़ी पक रही है. एक तरफ तो बीजेपी का संगठन अपने सेवा कार्यों के जरिए ‘सेवा ही संगठन‘ अभियान को आगे बढ़ा रहा है. वहीं, इस अभियान में ‘वसुंधरा जन रसोई‘ के तड़के ने बीजेपी की खिचड़ी में नया रंग ला दिया है. पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच ही आपस में चर्चा चलने लगी है कि क्या वसुंधरा जन रसोई के जरिए पार्टी के ही कुछ कार्यकर्ता अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं?

आपको बता दें, राजस्थान में 11 से ज्यादा जिलों में ‘वसुंधरा जन रसोई‘ के तहत भोजन पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं. कुछ जगह सूखी राशन सामग्री भी दी जा रही है. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक पूर्व मंत्रियों और विधायकों की भागीदारी दिख रही है. हालांकि, कुछ जगह मौजूदा विधायक और सांसद भी वसुंधरा रसोई के तहत भोजन बांटने में सक्रिय दिखे हैं. इनमें मुख्य रूप से पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ, यूनुस खान, पूर्व संसदीय सचिव कैलाश वर्मा भी सक्रिय दिखे. वहीं, पूर्वी राजस्थान में भी पूर्व विधायकों ने वसुंधरा जन रसोई की कमान संभाल रखी है. कुछ जगह पर स्थाई रसोई के जरिए लोगों को भोजन कराया जा रहा है.

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दरअसल, बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने ‘सेवा ही संगठन अभियान‘ के तहत सभी राज्य इकाइयों को जनता के बीच सेवा कार्य करने के लिए कहा. राजस्थान बीजेपी भी इससे अछूती नहीं थी लेकिन कोरोना के समय में भी सेवा कार्यों के दौरान राजस्थान बीजेपी में दो ध्रुव दिखाई दिए. एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक बीजेपी नेताओं ने लोगों तक भोजन पहुंचाने की जरूरत को समझते हुए वसुंधरा जन रसोई के नाम से अपना अभियान शुरू किया गया. इस अभियान में बीजेपी के आम कार्यकर्ता के साथ ही सांसद, विधायक, पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक भी सक्रिय दिखे. लोगों तक हर विधानसभा क्षेत्र में खाना पहुंचाने की इस मुहिम में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम शामिल होने के साथ ही बीजेपी के संगठन में इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं भी होने लगी.

वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने राजधानी में अलग-अलग मंडल अध्यक्षों को राहत सामग्री पहुंचाने के लिए कमान सौंपी हैं. आमेर में हाथी गांव के महावतों को सतीश पूनिया ने राहत सामग्री दी. बीजेपी ने अपने विधायकों और संगठन के पदाधिकारियों के जरिए इस अभियान को सफल बनाने में लगी हुई है. इसमें निर्माण श्रमिकों को विशेष तौर पर चिन्हित करके भोजन कराया जा रहा है. अस्पतालों में आने वाले मरीजों को भी भोजन बांटा जा रहा है.

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लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ‘वसुंधरा जन रसोई‘ ने प्रदेश के सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है. वसुंधरा राजे समर्थक जहां कोविड काल की आपदा में जरूरतमंदों तक जहां ‘वसुंधरा जन रसोई‘ के जरिये भोजन पहुंचाने का काम कर रहे हैं वहीं इसे सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. ‘वसुंधरा जन रसोई‘ के पोस्टर पर न बीजेपी का नाम और लोगो हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री अमित शाह या बीजेपी के राष्ट्रीय और प्रदेशाध्यक्ष का कोई जिक्र है. यही वजह है कि वसुंधरा राजे पर प्रदेश में पार्टी के समानांतर संगठन के संचालन के आरोप भी लग रहे हैं. हालांकि पार्टी की ओर से इस बारे में अब तक खुलकर कोई सामने नहीं आया है.

इसका जवाब तो वही दे सकते हैं, जिन लोगों ने इस रसोई को शुरू किया- पूनियां
उधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां इस पूरे मामले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. पूनिया ने ‘वसुंधरा रसोई’ के सवाल पर सिर्फ इतना ही कहा कि इसका जवाब तो वही दे सकते हैं, जिन लोगों ने इस रसोई को शुरू किया है. सतीश पूनिया कहते हैं कि केंद्र ने सेवा ही संगठन के तहत जो काम करने का जिम्मा दिया उसको पार्टी के सभी कार्यकर्ता मानते हैं, केंद्रीय नेताओं को फॉलो करते हैं. पूनिया ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व से जो निर्देश मिले हैं उनको संगठन की तरफ से क्रियान्वित भी किया जा रहा है.

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अगर कोई ऐसा कर रहा है तो यह ठीक बात नहीं है- दिलावर
इन चर्चाओं के बीच बीजेपी के प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर कहते हैं कि पार्टी ने केंद्र में मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर सेवा कार्य चलाने का संकल्प लिया था. इसमें सेवा ही संगठन के तहत काम पार्टी और केंद्रीय नेताओं के बैनर तले हुए, लेकिन कुछ कार्यकर्ता ऐसे भी हैं, जो बिना पार्टी के बैनर के काम कर रहे हैं. ‘वसुंधरा रसोई’ का नाम लिए बिना दिलावर कहते हैं कि अगर पार्टी का कोई कार्यकर्ता किसी और बैनर पर काम करता है, जिसमें पार्टी का चुनाव चिन्ह या पार्टी के केंद्रीय नेताओं की फोटो नहीं लगाई जाती, तो यह ठीक बात नहीं है.

वसुंधरा को फिर से सत्ता में वापसी करवाने के लिए आतुर है प्रदेश की जनता
भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने वसुंधरा जन रसोई योजना की तारीफ के पुल बांधे हैं. गुंजल ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार की इंदिरा रसोई योजना और सरकार के कार्यकाल हर मोर्चे पर विफल है. गहलोत सरकार से प्रदेश की जनता ठगा सा महूसस कर रही है. प्रदेश की जनता आतुर है वसुंधरा को फिर से सत्ता में वापसी करवाने के लिए. गुंजल ने कहा 8 जून तक प्रदेश में लॉकडाउन है और तक राजस्थान में वसुंधरा जन रसोई योजना चलेगी.

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