Politalks.News/PunjabPolitics. कांग्रेस पार्टी अपनी आंतरिक कलह में इस कदर उलझी हुई है कि निकलने का नाम ही नहीं ले रही. अगर हम पिछले एक वर्ष से बात करें तो इस पार्टी को अपने नेताओं ने ही सबसे अधिक ‘नुकसान‘ पहुंचाया है. केंद्रीय नेतृत्व से लेकर राज्य स्तर पर कांग्रेस के नेताओं ने हाईकमान के लिए मुसीबत बढ़ा रखी है. वहीं मोदी सरकार कांग्रेस का देश से ‘नामो-निशान‘ मिटाने में तुली हुई है. पिछले वर्ष अगस्त में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा समेत 23 पार्टी के असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी को कम करने में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी बहुत हद तक सफल हुईं हैं, जिसके बाद लगने लगा था कि अब कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में सब कुछ ठीक हो चला है.
लेकिन अब एक बार फिर पंजाब के कांग्रेसी नेताओं ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए ‘नई मुसीबत‘ खड़ी कर दी है. जिसका सीधा असर दिल्ली आलाकमान पर दिखाई दे रहा है. यानी ‘एक बार फिर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सामने अपने ही नेताओं को एकजुट करने की बड़ी चुनौती सामने आ खड़ी हुई है. आइए अब बात को आगे बढ़ाते हैं.
अगले साल शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के साथ पंजाब में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पंजाब सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार में भी उथल-पुथल मची हुई है. इसका कारण सीधा है कि होने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य कांग्रेस की ‘अगुवाई कौन करेगा’? पंजाब विधानसभा चुनाव से आठ महीने पहले कांग्रेस के नेताओं के बीच ‘सत्ता की लड़ाई‘ चल रही है, लेकिन, मुद्दा गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का बना दिया गया है. ‘बता दें कि पिछले दो वर्षों से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू की शुरू हुई जुबानी जंग लगातार बढ़ती चली गई‘.
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आपको बता दें, वर्ष 2017 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस के टिकट पर अमृतसर से विधायक चुने गए थे. सिद्धू अमिंदर सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने. लेकिन 2 वर्ष बाद ही कैप्टन से ‘मतभेदों‘ के बाद सिद्धू ने वर्ष 2019 में मंत्री पद से ‘इस्तीफा‘ दे दिया था. तभी से दोनों के बीच ‘तनातनी‘ चली आ रही है. अब दोनों नेता खुलकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में लगे हुए हैं. राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान ने इन दोनों नेताओं को एकजुट करने को लेकर दो दिनों से राजधानी दिल्ली में मोर्चा संभाल रखा है.
सोनिया गांधी और राहुल ने पंजाब कांग्रेस में चल रहे विवाद को समाप्त करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है. गांधी परिवार ने इसके लिए एक अपने खास नेताओं का ‘पैनल‘ भी तैयार किया है. कांग्रेस के इस पैनल में मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा, पंजाब के प्रभारी हरीश रावत और पूर्व सांसद जय प्रकाश शामिल हैं. मंगलवार को नवजोत सिंह सिद्धू दिल्ली पहुंचे और पैनल के सामने नवजोत सिंह ने सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर गंभीर आरोप लगाए. अब गुरुवार को अमरिंदर पैनल मीटिंग में शामिल होंगे. इसके साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी निजी तौर पर पंजाब के कांग्रेस विधायकों और नेताओं को फोन करके मामले को शांत करने में लगे हुए हैं.
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गुरुग्रंथ साहिब बेअदबी मामले में पंजाब के दिग्गज नेताओं में ठनी
बीजेपी से कांग्रेसी बने पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर गुरुग्रंथ साहिब बेअदबी और पुलिस फायरिंग केस में ‘बादल परिवार को बचाने का आरोप लगाया है‘. बैठक के बाद सिद्धू ने कहा कि वह हाईकमान के बुलाने पर यहां आए थे. उन्होंने कहा कि ‘मेरा स्टैंड वही था, वही है और वही रहेगा. लोगों की लोकतांत्रिक शक्ति जो टैक्स के रूप में सरकार के पास जा रही है उसे लोगों के पास लौटना चाहिए. प्रत्येक नागरिक को विकास पथ का शेयर होल्डर बनाना चाहिए. सच को दंडित किया जा सकता है लेकिन हराया नहीं जा सकता.
दूसरी ओर ‘पंजाब कांग्रेस के 25 विधायकों की पैनल संग बैठक के साथ जालंधर कैंट से विधायक परगट सिंह ने भी कैप्टन के खिलाफ आक्रामक रुख बरकरार रखा. 25 विधायकों के अलावा पांच सांसद और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी पैनल से मुलाकात की. परगट सिंह ने मीटिंग के बाद कहा कि कांग्रेस विधायकों की शिकायत मुद्दों पर आधारित है और इनका समाधान किया जाना बाकी है.
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आपको बता दें कि सिद्धू ने बेअदबी के मामले में सीएम अमरिंदर सिंह की खुलकर आलोचना की थी, दोनों के बीच इस मुद्दे पर जुबानी जंग भी देखने को मिली थी. पिछले दिनों से गुरुग्रंथ साहिब बेअदबी मामले को लेकर पंजाब कांग्रेस के भीतर ‘हंगामा‘ मचा हुआ है. गौरतलब है कि हाल ही में उच्च न्यायालय ने 2015 में फरीदकोट में प्रदर्शनकारियों पर गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी और प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने की घटना की जांच के लिए बनाई गई विशेष जांच टीम (एसआईटी) की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. पिछले विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर समेत पूरी कांग्रेस ने इस मामले में सुखबीर बादल को जिम्मेदार ठहराया था. अब साढ़े चार साल बाद भी बादल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इसी को लेकर सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर के बीच सियासी घमासान मचा हुआ है.