शनिवार शाम को हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की दूसरी बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया की यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेसी नेताओं के पांच पैनल के आधार पर ली गई राय में सोनिया गांधी का नाम ही अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सामने आया. पहले तो सोनिया गांधी ने मना किया, लेकिन पार्टी नेताओं के आग्रह पर उन्होंने अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए हां कर दी.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद और हरीश रावत ने बैठक ख़त्म होने के बाद जानकारी देते हुए कहा कि सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया गया है और अध्यक्ष पद से दिया गया राहुल गांधी का त्यागपत्र भी स्वीकार कर लिया गया है.

बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल और पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए बताया कांग्रेस कार्यसमिति की दूसरी बैठक में सर्वसम्मति से तीन प्रस्ताव पारित किए गए.

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पहला प्रस्ताव यह पारित हुआ कि राहुल गांधी उम्मीद की नई किरण के रूप में सामने आए और पार्टी का शानदार नेतृत्व किया. इसके लिए पार्टी ने उनका धन्यवाद किया. लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने इसकी ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़ा दिया था. उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया गया है. हालांकि उनसे गुज़ारिश की गई है कि वो पार्टी को आगे भी रास्ता दिखाते रहें. राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में व्यापारियों, किसानों, मजदूर, दलित, महिलाओं, आदिवासियों के लिए आवाज उठाई.

दूसरा, कार्यसमिति ने कांग्रेस के सभी प्रदेश नेताओं के विचार जाने और प्रस्ताव पारित किया कि सभी की इच्छा है कि राहुल अपने पद पर बने रहें. राहुल गांधी को इस्तीफ़ा वापिस लेने के लिए अपील की गई जिसे उन्होंने ठुकरा दिया और कहा कि ज़िम्मेदारी की कड़ी की शुरुआत उनसे होनी चाहिए. इसके बाद सर्वसम्मति से सोनिया गांधी से अपील की गई कि वो पार्टी का कार्यभार संभालें और उन्हें तब तक के लिए पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया है जब तक एक पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता.

तीसरा, कार्यसमिति में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा हुई और तीसरा प्रस्ताव पारित किया गया कि सरकार से गुज़रिश की जाएगी कि विपक्षी पार्टियों के एक दल को हालात का जायज़ा लेने के लिए जम्मू कश्मीर भेजा जाए. बैठक के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बैठक से बाहर आकर मीडिया को बताया कि बैठक में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हुई.

राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को चुनने के लिए चल रही बैठक के बीच में जम्मू कश्मीर के कुछ इलाकों में हिंसा होने और कुछ लोगों की मौत की ख़बरें आईं जिसके बाद उन्हें वहां बैठक में बुलाया गया और इसीलिए वो बैठक में आए. राहुल गांधी ने मीडिया को बताया कि “जम्मू कश्मीर में हालात काफी ख़राब हो गए हैं जिसके बाद बैठक में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा हुई. ज़रूरी है कि पूरी पारदर्शिता के साथ प्रधानमंत्री और सरकार देश को बताएं कि जम्मू कश्मीर में क्या हालात हैं.”

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इससे पहले शनिवार सुबह हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में नेताओं के पांच समूह बनाए गए थे, जिन्होंने देश भर के नेताओं की राय जानी. इन पांच समूहों की रिपोर्ट शाम को हुई बैठक में रखी गई. सूत्रों के मुताबिक लगभग सभी नेताओं ने राहुल गांधी से अध्यक्ष बने रहने की मांग की थी. राहुल के विकल्प पर नेताओं ने ये भी कहा कि नया अध्यक्ष राहुल गांधी या फिर सीडब्ल्यूसी तय करे.

इसके बाद शनिवार शाम को दूसरी बार रात 8 बजे कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक हुई, जिसमें यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, ज्योतिरादित्य सिंधिया और एके एंटनी समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे. बैठक में काफी देर तक राहुल गांधी नहीं पहुंचे, हालांकि सभी बैठक में राहुल गांधी का इंतजार करते रहे. काफी कहने के बाद राहुल गांधी बैठक में पहुंचे.

गौरतलब है कि सोनिया गांधी इससे पहले 1998 में पार्टी की तब बागडोर संभाल चुकी हैं. उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की थी और 2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस की अगुआई में केन्द्र में यूपीए की सरकार भी रही. सोनिया गांधी के नाम सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहने का रेकॉर्ड है. वह 1998 में अध्यक्ष बनीं और 2017 तक वह इस पद पर बनी रहीं. इसके बाद राहुल गांधी ने पार्टी की बागडोर अपने हाथ में ली, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

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