कांग्रेस की कथनी और करनी में बड़ा अंतर, दिल्ली में फ्री बिजली का चुनावी वादा तो राजस्थान में जनता को लगाया करंट

दिल्ली में अभी चुनाव हैं तो बिजली फ्री करने की घोषणा कर दी गई और चूंकि राजस्थान में अभी चुनाव में हैं चार साल बाकी तो यहां जो चाहो वो करो, गहलोत ने 'आप' के दावे को किया सही साबित

गहलोत सरकार ने बिजली में प्रति यूनिट 95 पैसे की बढोतरी की
गहलोत सरकार ने बिजली में प्रति यूनिट 95 पैसे की बढोतरी की

पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो. दिल्ली विधानसभा चुनाव मेें 300 यूनिट तक फ्री बिजली के साथ कैश बैक और विभिन्न स्तरों तक बिजली के बिल में कई प्रतिशत तक की छूट देने की घोषणा करने वाली कांग्रेस पार्टी की राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने बिजली के दामों को फ्री या कम करना तो दूर, इसके उलट प्रति यूनिट में 95 पैसे की बढोतरी कर दी है. यही नहीं गहलोत सरकार ने कीमत में बढोतरी के साथ सरचार्ज (स्थायी शुल्क) भी 125 रूपए तक बढ़ा दिया है.

ऐसा भी नहीं है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली चुनाव में प्रचार करने नहीं गए थे. वहीं यह कहना भी गलत होगा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र की उनको कोई जानकारी नहीं होगी. आइए आपका पहले बताते हैं कि दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस ने बिजली को लेकर क्या-क्या घोषणाएं की हैं.

  • कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में फ्री बिजली के मामले में आप को पीछे छोडते हुए दिल्ली की जनता को 200 यूनिट फ्री बिजली की जगह 300 यूनिट प्रति माह फ्री बिजली देने की घोषणा की है.
  • वहीं 300 से 400 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करने पर 50 प्रतिशत और 400 यूनिट से अधिक के इस्तेमाल करने पर जनता को बिजली बिल में 25 प्रतिशत छूट रहेगी. यही नहीं 300 यूनिट से कम उपभोग पर लोगों को प्रति यूनिट 3 रूपए का कैश बैक भी दिया जाएगा.

कांग्रेस द्वारा दिल्ली चुनाव के लिए घोषणा पत्र घोषित करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फ्री 300 यूनिट बिजली देने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पहले कांग्रेस उनके द्वारा शासित प्रदेशों की जनता को यह फायदा देकर बताए. आप प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा 300 यूनिट तो क्या कांग्रेस पहले कांग्रेस शासित राज्यों में 30 यूनिट ही बिजली फ्री करके दिखा दे. राजस्थान की गहलोत सरकार ने आम आदमी पार्टी के दावे को सच साबित करते हुए फ्री बिजली देने की बात तो छोडिए सरकार ने प्रति यूनिट 95 पैसे की बढोतरी करके आमजन का बिजली बिल 25 से 30 प्रतिशत महंगा करने की तैयारी कर दी है.

अब गहलोत सरकार की घोषणा के बाद समझिए कि राजस्थान में मध्यम वर्गीय परिवारों को कितना तगडा करंट लगने वाला है-

  • जनता को पहले 50 यूनिट तक 3 रुपए 85 पैसे के स्थान पर अब 4 रुपए 75 पैसे देने होंगे, वहीं सरचार्ज भी 100 रुपए की जगह 125 रुपए देना होगा.
  • 51 से 150 यूनिट तक 6 रुपए 10 पैसे के स्थान पर अब 6 रुपए 50 पैसे देने होंगे, वहीं सरचार्ज भी 200 रुपए की जगह 230 रुपए देना होगा.
  • 151 से 300 यूनिट पर 6 रूपए 40 पैसे के स्थान पर अब 7 रूपए 35 पैसे देने होंगे, वहीं सरचार्ज भी 220 रूपए की जगह 275 रुपए देना होगा.
  • 301 से 500 यूनिट पर 6 रूपए 70 पैसे के स्थान पर अब 7 रूपए 65 पैसे देने होंगे. वहीं सरचार्ज भी 265 रूपए की जगह 345 रुपए देना होगा.
  • 500 से ऊपर यूनिट पर 7 रूपए 15 पैसे के स्थान पर अब 7 रूपए 95 पैसे देने होंगे, वहीं सरचार्ज भी 285 रूपए की जगह 400 रूपए देना होगा.

दिल्ली विधानसभा के लिए 8 फरवरी यानि कल शनिवार को चुनाव होने हैं, ठीक उससे एक दिन पहले केन्द्र सरकार के खिलाफ हर वक़्त महंगाई और बेरोजगारी का रोना रोने वाली राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार ने बिजली के दामों में भारी बढोत्तरी करके यह तो बता दिया है कि दिल्ली की जनता से किया हुआ वादा सिर्फ चुनावी वादा है, ऐसा होना-जाना कुछ नहीं है. वहीं बिजली की दरों को लेकर दिल्ली में कांग्रेस द्वारा किए गए वादे और राजस्थान में अशोक गहलोत द्वारा किए गए इम्प्लीमेंटेशन से यह बात भी निकलती है कि शायद कांग्रेस को यह पक्का अहसाह है कि दिल्ली में कांग्रेस की हार पक्की है, ऐसे में घोषणा करने में जा भी क्या रहा था.

यह भी पढ़ें: लोगों को धीरे से बिजली का जोरदार झटका देने की तैयारी में गहलोत सरकार

वहीं यह बात भी काबिल-ए-गौर है कि दिल्ली में अभी चुनाव है तो बिजली फ्री करने की घोषणा कर दो और चूंकि राजस्थान में अभी चुनाव में लगभग चार साल बाकी हैं तो यहां जो चाहो वो करो. और फिर जब यहां भी चुनाव का समय नजदीक आ जाएगा तो फिर से घोषणा कर देंगे कि बिजली फ्री देंगे या कीमत कम कर देंगे, जनता तो है ही बेचारी भोली-भाली, आ जाएगी फिर से चुनावी बातों में. लेकिन ऐसा यह सरकारें सोच सकती है, आज की जनता पहले जैसी नहीं है, सब समझती है, और ये बात तो सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र पर आरोप लगाने के दौरान खुद बोलते हैं.

खैर, जो भी हो लेकिन यह घटनाक्रम कांग्रेस की कथनी और करनी में बहुत भारी फर्क दर्शाने वाला सबसे बड़ा उदाहरण बनने जा रहा है, साथ ही दोहरी मानसिकता का भी. एक तरफ मुख्यमंत्री गहलोत केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के आरोप लगाते रहते हैं और दूसरी तरफ खुद अपने राज्य में मध्यम वर्ग की कमर तोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. क्या मुख्यमंत्री गहलोत को राजस्थान में दिल्ली से ज्यादा सम्पन्नता नजर आती है?

यह भी पढ़ें: गहलोत सरकार को भारी पड़ेगा बिजली महंगी करने का फैसला

एक और बात राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने दिल्ली चुनाव से ठीक एक दिन पहले बिजली की दरों में बढोतरी करके खुद आगे से दिल्ली की जनता को यह मौका दे दिया कि वो सही गलत का आंकलन कर सकें. वहीं दिल्ली में आम आदमी पार्टी के दावों को भी कांग्रेस के मुख्यमंत्री गहलोत ने सही साबित कर दिया है.

Leave a Reply