मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने विधायकों का विश्वास खो दिया है और सरकार अल्पमत में आ गई है- सतीश पूनियां

सीएम गहलोत अपनी कुर्सी बचाने की अंतिम कोशिश कर रहे हैं और इसी कारण सरकार कांग्रेस के विधायक और मंत्री बंधक बने हुए है, उन्होंने अभी तक इस बात का जवाब नहीं दिया है कि सरकार कितने दिन बाड़े में बंद रहेगी?- पूनियां

ashok gehlot and satish poonia
ashok gehlot and satish poonia

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में आए सियासी संकट को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते दिन बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा. सीएम गहलोत के इस पत्र के जवाब में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने प्रदेश वासियों के नाम एक पत्र लिखकर कहा कि पिछले 13 दिनों से राजनीतिक रूप से स्थिर एवं शांत प्रदेश में उत्पन्न अस्थिरता के कारणों की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं. आप सब जानते हैं कि प्रदेश में इस अराजकता एवं अस्थिरता कि दोषी कांग्रेस पार्टी स्वयं है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उनकी पार्टी के जिम्मेदार लोग बिना वजह भाजपा को आरोपित कर रहे हैं. स्वयं की में सत्ता खोने के भय ने मुख्यमंत्री गहलोत और उनकी पूरी पार्टी को विचलित कर दिया है.

सतीश पूनियां ने कहा कि आज सीएम गहलोत द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए उनके पत्र और उसकी भाषा से यह स्पष्ट हो गया है कि उन्होंने अपने दल के विधायकों का विश्वास खो दिया है और सरकार अल्पमत में आ गई है. यह पत्र में ऐसे समय में लिख रहा हूं जब प्रदेश में कोरोना मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लोग वैश्विक महामारी की चपेट में आ रहे हैं. प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं. पश्चिमी राजस्थान में टिड्डियों का हमला हो रहा है. विकास के काम ठप्प पड़े हैं और सरकार संवैधानिक संकट का बहाना बनाकर पांच सितारा होटल रूपी बाड़े में बंधे हैं और जनता देख रही है कि किस तरीके से विधायक और मंत्री होटल में मौज मस्ती कर रहे हैं. कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों को राजस्थान की जनता ढूंढ रही है.

सतीश पूनियां ने आगे कहा कि इस कोरोना काल में जब हमारी पार्टी राहत और सहायता पहुंचा रही थी ऐसे समय में अशोक गहलोत के लगातार अपमानजनक बयानों और आचरण ने मुझे लिखने पर मजबूर किया, खास तौर पर इसलिए कि इन दिनों वे राजनीतिक नैतिकता की आड़ में भाजपा के बारे में झूठ फैला रहे हैं. सीएम गहलोत बार-बार राजनीतिक नैतिकता और लोकतंत्र की दुहाई देते हैं. भाजपा के बारे में प्रायोजित रूप से हॉर्स ट्रेंडिंग का ना केवल आरोप लगाते हैं अपितु पार्टी और पार्टी के नेताओं को षडयंत्र पूर्वक बदनाम करने की साजिश भी रचते हैं. यह पिछले दिनों की घटनाओं से साबित हो गया है. जिस तरह से सीएम गहलोत ने बसपा का लोकतांत्रिक तरीके से विलय किया और निर्दलीय एवं छोटे दलों के विधायकों को मैनेज किया वह किसी से छुपा नहीं है.

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बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पूनियां ने आगे कहा कि राजस्थान की राजनीति में सब जानते हैं कि अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते सीएम गहलोत ने किस तरीके से वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया और उन्हें हाशिए पर ला दिया. उसी तरीके से उन्होंने पार्टी के नए नेतृत्व को पनपने देने से रोकने के लिए सारी कोशिशें की. लोकतंत्र की बात करने वाले गहलोत भूल जाते हैं कि 1975 में देश में आपातकाल इन्हीं की पार्टी के शासनकाल में लगा तथा 91 बार देश में संविधान के अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग करते हुए चुनी हुई सरकारों को अस्थिर किया गया. सब जानते हैं कि किस प्रकार से देश में विभिन्न राज्यों के राज भवनों को कांग्रेस कार्यालयों में परिवर्तित किया गया.

सतीश पूनियां ने कहा कि लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित जनादेश को जबरन अपवित्र गठजोड़ करने का ताजा उदाहरण महाराष्ट्र में देखा गया जहां इस अवसरवादी गठबंधन में कांग्रेस नेतृत्व भी शामिल था. इसी तरह 2018 में कर्नाटक में कांग्रेस की अगुवाई में तिगड़म और छल कपट देखा गया जबकि जनादेश भाजपा के पक्ष में था. लेकिन कांग्रेस ने अपवित्र चाल चलते हुए अवसरवादी गठबंधन बनाकर जनादेश का अपमान किया. 1957 से लेकर 1990 तक अनेकों ऐसे उदाहरण है जब कांग्रेस पार्टी ने अनेकों प्रदेशों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई क्षेत्रीय दलों की सरकारों को गिराने का षडयंत्र किया. ऐसे ही धारा 356 का दुरुपयोग करते हुए 93 बार विभिन्न राज्य सरकारों को अस्थिर करने का षडयंत्र भी कांग्रेस द्वारा ही किया गया.

पूनियां ने कहा कि आज जबकि देश के लोकतंत्र और संविधान के प्रति किए गए पापों की सजा कांग्रेस पार्टी भुगत रही है. किसी समय पूरे देश में राज करने वाली कांग्रेस पार्टी विचार और व्यवहार से पूरे देश में नकार दी गई और केवल चंद प्रदेशों में अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है. इसका कारण कांग्रेस पार्टी स्वयं है. अपने आंतरिक संकट को भाजपा पर आरोपित करके सहानुभूति बटोरने का विफल प्रयास कर रही है. कोरोना जैसी महामारी के दौरान जहां केंद्र सरकार ने पीएम मोदी के नेतृत्व में राजस्थान को भरपूर मदद देने की कोशिश की वहीं मुख्यमंत्री गहलोत ऐसे संकट के समय में भी घटिया बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे है.

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सीएम गहलोत द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए पत्र से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार अल्पमत में है और अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही है. सीएम गहलोत ने अपने ही दल के विधायकों का विश्वास खो दिया है. वो कुर्सी बचाने की अंतिम कोशिश कर रहे हैं और इसी कारण सरकार कांग्रेस के विधायक और मंत्री बंधक बने हुए हैं. सीएम गहलोत ने अभी तक इस बात का जवाब नहीं दिया है कि सरकार कितने दिन बाड़े में बंद रहेगी? इस संवैधानिक संकट का समाधान कब करेगी? बाहर आकर जनता की सेवा कब करेगी? मुख्यमंत्री जी को आजकल अनेकों बार बोलते हुए सुना है. वो कुर्सी बचाने के लिए तो बोलते हैं प्रधानमंत्री जी, गृहमंत्री एवं भाजपा के खिलाफ तो बोलते हैं लेकिन भ्रष्टाचार, किसान कर्ज माफी, बिजली बिल और विकास कार्य पर नहीं सुने जाते है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

पुनियां ने अंत में कहा कि भाजपा ने अपने जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जागरूकता और सहायता के काम जारी रखें. जनता की समस्याओं के समाधान के लिए कोशिश करते रहे. मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं कि भाजपा इस संक्रमण काल में और संवैधानिक संकट के समय राजस्थान की जनता के साथ खड़ी है. जनता के हितों के लिए हमसे जितना हो सकेगा करेंगे.

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