Floor Test in Maharashtra
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अयोध्या रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवादित भूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को 16वें दिन की सुनवाई हुई. आज हुई सुनवाई में श्री रामजन्म भूमि पुनरुत्थान समिति के वकील पी.एन. मिश्रा ने अदालत में अपनी दलीलें पूरी की. इसके बाद हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने अपनी बातें रखीं. इस दौरान उनकी तरफ से कई ऐतिहासिक तथ्यों का जिक्र किया गया. लंच के बाद जब अदालत में इस मामले की फिर से सुनवाई हुई तो शिया वक्फ बोर्ड के काउंसल ने बहस की अपील की. उन्होंने कहा कि वह हिंदू पक्ष का समर्थन करते हैं और अपनी बात अदालत में रखना चाहते हैं. हालांकि चीफ जस्टिस ने उन्हें बैठ जाने को कहा क्योंकि शिया वक्फ बोर्ड इस केस में कोई पार्टी नहीं है.

इससे पहले शुक्रवार को सुनवाई की शुरूआत करते हुए श्री रामजन्म भूमि पुनरुत्थान समिति के वकील पी.एन. मिश्रा ने कहा कि हिंदू सदियों से वहां पूजा करते आ रहे हैं. वहां मुसलमानों का कब्जा कभी नहीं रहा. केवल मुसलमान शासक होने की वजह से वहां पर जबरन नमाज़ की जाती थी. मिश्रा ने कोर्ट में दावा किया कि 1856 से पहले वहां कोई नमाज नहीं होती थी. 1934 तक वहां सिर्फ जुमे की नमाज़ होती रही. 1934 में दंगे होने के बाद वहां कोई नमाज़ नहीं हुई. 1949 में जन्मस्थान पर फिर से रामलला की पूजा शुरू हो गई और 1961 तक किसी ने पूजा पाठ का कोई विरोध नहीं किया.

न्यायमूर्ति बोबड़े के कहने पर वकील मिश्रा जिला भूमि राजस्व के रिकॉर्ड पेश किए जिसमें इस स्थान का ज़िक्र है. उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में मूल लिखाई को रगड़कर मिटाया गया है और उस पर जुमा मस्जिद का नाम जोड़ा गया है. स्याही और लिखावट भी बदली हुई है. बदलाव की लिखाई हल्के रंग और बड़े अक्षर में है. मिश्रा ने कोर्ट को ये भी बताया कि आखिरी बार 16 दिसंबर, 1949 को वहां नमाज़ अदा की गई. इसके बाद ही दंगे हुए और प्रशासन ने नमाज़ बंद करा दी. यहां भगवान रामलला के वकील सी.एस.वैद्यनाथन ने भी मिश्रा का समर्थन करना चाहा लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें टोकते हुए बिठा दिया.

इसी तरह के हवाले देते हुए हिंदू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट में कहा कि ये जगह शुरू से हिंदुओं के अधिकार में रही. 1528 से 1885 तक कहीं भी और कभी भी मुसलमानों का यहां कोई दावा नहीं था. किताबों में भी हिंदू पूजा की कहानियां हैं. मुस्लिम इतिहासकारों ने भी कभी मस्जिद का ज़िक्र नहीं किया.

लंच की सुनवाई के बाद शिया वक्फ बोर्ड के काउंसल ने बहस की अपील करते हुए कहा कि वे हिंदू पक्ष का समर्थन करते हैं और अपनी बात अदालत में रखना चाहते हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने उन्हें केस में पार्टी न होने की वजह से शांत कर दिया. हिंदू महासभा के वकील ने हरिशंकर जैन ने कोर्ट में कहा कि राम और कृष्ण हमारे देश की संस्कृति की धरोहर हैं. ये स्थापित दलील है कि बाबर ने मन्दिर तोड़कर मस्जिद का रूप दिया. सभी ग्रंथ यही कहते हैं. संविधान की मूल प्रति के तीसरे चैप्टर में भी राम की तस्वीर है.

पिछली सुनवाई के लिए पढ़ें यहां

सोमवार से शिया सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील एमसी धींगरा सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें रखेंगे. अभी तक निर्मोही अखाड़ा और रामलला के वकील अपनी दलीलें पूरी कर चुके हैं.

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