आखिर उद्वव ने पूरा किया बाला साहेब ठाकरे को दिया ‘शिवसैनिक को सूबे का मुख्यमंत्री’ बनाने का वचन

उद्धव ठाकरे अपनी आक्रामक और उग्र रुख के कारण कई बार विवादों में घिर चुके हैं, एक बार उद्धव ने उस समय अपनी ही पार्टी के नेता रहे संजय निरुपम को उनके दांत तोड़ देने की धमकी तक दे दी थी.

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र में पिछले एक महीने से चल रहे सियासी घमासान का आखिर पटाक्षेप हो ही गया. लम्बे समय से पल-पल बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच अब प्रदेश में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के संयुक्त गठबंधन ‘महाविकास अघाड़ी‘ की सरकार बनने जा रही है और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) होंगे सूबे के अगले मुख्यमंत्री. उद्वव ठाकरे को मंगलवार शाम मुम्बई के होटल ट्राइडेंट में हुई शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की संयुक्त बैठक में ‘महाविकास अघाड़ी’ का विधायक दल का नेता चुना गया. बैठक के बाद तीनों दलों के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया. उद्वव ठाकरे का शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार 28 नवम्बर को शिवाजी पार्क में होगा.

इस तरह उद्वव ठाकरे अपने पिता और शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे को इस बार महाराष्ट्र में शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाने का दिया वचन पूरा करने जा रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि चुनाव से पहले और परिणामों के बाद तक शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री की रेस में उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे सबसे आगे थे, लेकिन गठबंधन दलों एनसीपी और कांग्रेस के वीटो के बाद अब महाराष्ट्र में 20 साल बाद शिवसेना के मुख्यमंत्री के रूप में उद्वव ठाकरे का नाम तय हो गया है. इससे पहले 1999 में शिवसेना से नारायण राणे महाराष्ट्र के आखिरी मुख्यमंत्री थे.

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महाराष्ट्र की राजनीति में बिना कुर्सी और बिना कोई पद लिए सूबे की सत्ता को रिमोट कंट्रोल से चलाने वाली बाला साहेब ठाकरे की विरासत को अब उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) कुर्सी पर बैठकर चलाने जा रहे हैं. आदित्य ठाकरे के वर्ली से चुनाव लड़ने से पहले तक ठाकरे परिवार में से किसी ने कोई चुनाव नहीं लड़ा. यहां तक कि जब तक बाला साहेब ठाकरे अपनी फोरम में रहे तब तक महाराष्ट्र में सत्ता किसी की भी रही हो, राज शिवेसना का ही रहा. लेकिन बाला साहेब के अंतिम वर्षों में चीजें धीरे धीरे बदलने लगीं. अब वर्तमान में बाला साहेब के राजनीतिक वारिस उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. ऐसे में वे कुर्सी पर बैठकर सूबे की सत्ता चलाएंगे.

बाला साहेब के राजनीतिक वारिस उद्धव ठाकरे के बारे में वो सब जो आप जानना चाहते हैं:

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) का जन्म 27 जुलाई 1960 को मुंबई में हुआ. उनकी पत्नी का नाम रश्मि ठाकरे हैं, उद्धव और रश्मि ठाकरे के दो बच्चे आदित्य ठाकरे और तेजस ठाकरे हैं. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पार्टी के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के पुत्र हैं. उद्धव ठाकरे को पार्टी की बागडोर बाला साहेब के जीवनकाल में विरासत में मिली है. 19 जून, 1966 को बाला साहेब ने शिवसेना की स्थापना की थी. वर्ष 2004 में बाला साहेब ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को पार्टी प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी. जून 2006 से उद्धव ठाकरे शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादक हैं. सबसे पहले शिवसेना ने उद्धव के नेतृत्व में साल 2002 के बीएमसी चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन किया था.

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) अपनी आक्रामक और उग्र रुख के कारण कई बार विवादों में घिर चुके हैं. एक बार उद्धव ने उस समय अपनी ही पार्टी के नेता रहे संजय निरुपम को चेतावनी देते हुए कहा था, “यदि वो (संजय) मुंबई में किसी भी प्रकार से कार्यों में बाधा डालेंगे, तो मैं उनके दांत तोड़ दूंगा.” उनके इस आक्रामक रुख से आवेश में आकर ही हिंदू और मराठियों के लिए हमेशा मुखर रहने वाले शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने उस समय उत्तर भारतीयों पर हमले को अंजाम दिया था.

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित हुए एक कार्टून के लिए उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगनी पड़ी थी. 25 सितंबर, 2016 को पहले ‘सामना’ में और बाद में ‘दोपहर का सामना’ में मराठा समुदाय पर चित्रित एक विवादास्पद कार्टून प्रकाशित किया गया था जिसके लिए उद्धव को माफ़ी मांगनी पड़ी थी. शिवसेना के 53 साल के इतिहास में पहली बार 2019 के विधानसभा चुनावों में उद्धव ठाकरे के बड़े बेटे आदित्य ठाकरे ने वर्ली से चुनाव लड़ा. आदित्य ठाकरे शिवसेना की प्रदेश इकाई युवा सेना के भी अध्यक्ष रहे हैं.

मंगलवार को महाविकास अघाड़ी का नेता चुने जाने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा- मैं उन सभी सवालों के जवाब देने को तैयार हूं, जो देवेंद्र फड़नवीस ने उठाए, मैं किसी बात से नहीं डरता. झूंठ हिंदुत्व का हिस्सा नहीं हैं, जब आपको जरूरत थी तो आपने गले लगा लिया और जब जरूरत नहीं पड़ी तो आपने हमें छोड़ दिया. ठाकरे ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा- आपने ही दूरी बनाने की कोशिश की. मुझे अब जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, मैं उसे निभाने को तैयार हूं. उन्होंने कहा- मैं अकेला नहीं, मेरे साथ आप सभी मुख्यमंत्री हैं, जो आज हुआ है, वह वास्तविक लोकतंत्र है. हम साथ मिल कर राज्य के किसानों के आंसू पोछेंगे. हम मिल कर एक बार फिर वही महाराष्ट्र बनाएंगे, जिसका सपना छत्रपति शिवाजी महाराज ने देखा था. मैंने कभी भी प्रदेश का नेतृत्व करने का सपना नहीं देखा था. मैं सोनिया गांधी और शरद पवार जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, हम एक-दूसरे पर विश्वास रखते हुए देश को एक नई दिशा दे रहे हैं.

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बता दें, एनसीपी और कांग्रेस से एक-एक उपमुख्यमंत्री बनाया जाना भी तय हुआ है. एनसीपी की ओर से विधायक दल के नेता जयंत पाटिल को उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा वहीं कांग्रेस की ओर से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाला साहेब थोराट को उप मुख्यमंत्री बनाया जाना तय है. इससे पहले मंगलवार को ही थोराट को पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया. सरकार बनाने का फार्मूला तीनों पार्टियां पहले ही तय कर चुकी हैं, जिसके तहत शिवसेना और एनसीपी के 15-15 मंत्री बन सकते हैं और कांग्रेस से 12 मंत्री होंगे. अब केवल कांग्रेस और एनसीपी के बीच विधानसभा अध्यक्ष के मुद्दे पर बात अटकी हुई है, कांग्रेस चाहती है कि स्पीकर का पद उसे मिले और एनसीपी भी.

इससे पहले मंगलवार सुबह सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को फ्लोर टेस्ट करवाने के आदेश के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल बहुत तेज हो गई. एनसीपी नेताओं और परिवार के समझाने के बाद सबसे पहले अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंपा. इसके लगभग एक घण्टे बाद देवेंद्र फड़नवीस ने एक प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का एलान किया और थोड़ी देर बाद राजभवन जाकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इन दोनों के इस्तीफे के बाद शिव सेना प्रवक्ता संजय राउत ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे पूरे पांच साल के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहेंगे.

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याद दिला दें, यह विधानसभा चुनाव शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन में लड़ा था जिसके तहत कुल 288 सीटों में से शिवसेना ने 124 सीटों पर चुनाव लड़कर 56 सीटों पर विजयश्री प्राप्त की, वहीं बीजेपी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़कर 105 सीटों पर जीत दर्ज की. लेकिन चुनाव परिणामों के बाद मुख्यमंत्री के पद पर ढाई-ढाई साल के विवाद के बाद बीजेपी और शिवसेना का ये 30 साल पुराना रिश्ता टूट गया है. फिलहाल बीजेपी से नाता तोड़ उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) एनसीपी और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने जा रहे हैं.

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