पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राज्यसभा सांसद डॉ किरोडी लाल मीणा के नेतृत्व में दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस हाइवे के लिए अधिग्रहण की गई भूमि का बाजार दर पर मुआवजा नहीं मिलने पर लगातार जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे 101 किसानों ने चौथे दिन ग्रामीणों के साथ सत्याग्रह स्थल पर बनी समाधि पर ही गणतंत्र दिवस मनाया. वहीं प्रशासन ने आंदोलनरत किसानों के प्रतिनिधिमंडल को कल यानी सोमवार को मुख्य सचिव स्तर पर वार्ता के आमंत्रित किया है.
रविवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर आंदोलनरत किसानों ने सत्याग्रह स्थल पर ही किसानों के साथ मिलकर राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के नेतृत्व में झंडारोहण किया और खुशी मनाई. बता दें, तीन-चार डिग्री के तापमान में किसान अपने नेताओं के साथ खुले में रह रहे हैं.
इससे पहले शनिवार को सांसद किरोड़ीलाल, किसान संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक हिम्मतसिंह पाडली के नेतृत्व में हजारों किसानों ने समाधि स्थल से निर्माण कंपनी के बेस कैंप पहुंचकर विरोध जताया था. किसानों ने धरना प्रदर्शन कर कंपनी का प्लांट बंद करा दिया था इस बीच किसानों व पुलिस में धक्का-मुक्की भी हुई.
इससे पहले दौसा कलेक्टर ने सरकार का संदेश सत्याग्रही किसानों तक पहुंचाया, जिसके तहत सरकार ने किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल को इस सम्बंध में वार्ता के लिए आमंत्रित किया. कल सोमवार को सुबह 10 बजे डॉ किरोडी लाल मीणा के नेतृत्व में किसानों का एक दल सचिवालय में मुख्य सचिव से वार्ता करेगा, उसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी.
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बता दें, बीते शनिवार को आंदोलनरत किसानों ने धान्या का बंध, धनावड़, बड का पाड़ा में भी आंदोलन शुरू कर दिया. लाड़ली का बास में समाधि सत्याग्रह के तीसरे दिन शनिवार को दोपहर बाद सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, जब तक अन्नदाताओं की जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक किसी भी सूरत में कम्पनी के प्लांट नहींं चलने दिए जाएंगे.डॉ किरोड़ी मीणा ने कहा कि किसानों के हक का एक पैसा भी किसी को खाने नहीं देंगे. इसके लिए चाहे उन्हें सैकडों दिन भी खुले आसमान के तले किसानों के साथ जंगल में रहकर रात गुजारनी पड़े तो वो पीछे नही हटेंगे.
चार डिग्री तापमान में सांसद किरोड़ी, हिम्मतसिंह सहित 101 किसान खुले असमान तले सर्द हवाओं के बीच रात गुजार रहे हैं. बता दें, किसानों ने आंदोलन स्थल पर 101 गड्ढे बनाए हैं जिसमें 31 महिलाओं सहित 70 किसानों ने सांकेतिक तौर पर जमीन समाधि ली हुई है. इस सत्याग्रह में कई महिलाएं गोद में छोटे बच्चों को साथ लेकर जमीन के अन्दर बैठी है.