देश विरोधी भाषण देने वाले शरजील इमाम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 4 राज्यों को जारी किए नोटिस

जेएनयू का छात्र है शरजील इमाम, सीएए विरोधी आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा भी बनकर उभरा था ये शख्स, असम से भारत को काटने वाले बयान के बाद आया था चर्चा में, फिलहाल तिहाड़ जेल में है बंद

शरजील इमाम
शरजील इमाम

पॉलिटॉक्स न्यूज. देश विरोधी भाषण देने के आरोपी और जेएनयू के छात्र शरजील इमाम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चार राज्यों को नोटिस जारी किया है. शरजील इमाम ने अपने अपने खिलाफ दर्ज सभी 5 FIR की एक साथ दिल्ली में जांच की मांग की है. इससे पहले पहले कोर्ट ने सिर्फ दिल्ली को नोटिस जारी किया था. मंगलवार को आरोपी की याचिका पर अदालत ने यूपी, असम, अरुणाचल और मणिपुर को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा. मामले पर 2 हफ्ते बाद सुनवाई होगी. शरजील इमाम असम से भारत को काटने वाले बयान के बाद चर्चा में आया था.

सीएए विरोधी आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा बन कर उभरे शरजील ने दिल्ली के जामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 2 भड़काऊ भाषण दिए थे. एक भाषण में उसने पूर्वोत्तर भारत को बाकी देश से जोड़ने वाले संकरे कॉरिडोर को काट देने तक की बात कही थी. इसके लिए शरजील पर दिल्ली सहित 5 जगहों पर एफआईआर दर्ज हुई. कुछ दिन फरार रहने के बाद उसे 28 जनवरी को बिहार से गिरफ्तार किया गया. शरजील फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. दिल्ली पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद शरजील पर UAPA (गैरकानूनी गतिविधि निषेध अधिनियम) की धाराएं भी लगाई हैं. उस पर हिंसा भड़काने की कोशिशों में सीधे तौर पर शामिल होने का भी आरोप लगाया गया है.

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सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में शरजील ने कहा कि 2 भाषणों के लिए 5 FIR दर्ज होना उचित नहीं है. उन भाषणों को उसने इंटरनेट पर अपलोड भी नहीं किया. उसकी दलील है कि सभी मामलों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए, ताकि एक साथ जांच हो सके.

इस मामले में 1 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. आज दिल्ली सरकार के लिए पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनका जवाब तैयार है. उसे कल दाखिल कर दिया जाएगा. बाकी राज्यों को सुने बिना आदेश जारी करना उचित नहीं होगा. उन्हें भी नोटिस जारी किया जाना चाहिए. इसका विरोध करते हुए शरजील के वकील ने अर्नब गोस्वामी केस का हवाला दिया. कहा कि उस मामले में राज्यों को नोटिस जारी किये बिना कई FIR को रद्द किया गया.

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सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि दोनों मामलों के तथ्य बिल्कुल अलग हैं. अर्नब के मामले में सभी FIR एक दूसरे की फोटोस्टेट कॉपी थे. कोर्ट ने इसलिए 1 FIR को बना रहने दिया और बाकी को निरस्त किया. यहां देश विरोधी गतिविधि की बात है. राज्यों में FIR दर्ज हुए काफी समय हो चुका है. वहां जांच चल रही है. उनका पक्ष सुन्ना ज़रूरी है. इस पर कोर्ट ने इससे सहमति जताते हुए 4 राज्यों को नोटिस जारी कर दिया. मामले में अगली सुनवाई जून के दूसरे सप्ताह में होगी.

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