पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते आए इस संकट के समय में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सोच रही की प्रदेश में कोई भी भूखा नहीं रहे. इसके लिए सीएम गहलोत ने प्रदेश के भामाशाहों और प्रदेशवासियों से भी अपील करते हुए अनेकों बार कहा कि सभी सक्षम लोग ध्यान रखें की आपके आस पास कोई भूखा नहीं सोए. इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा भी जरूरत मंदों को राशन वितरित किया गया और लॉकडाउन के चलते बाहरी राज्यों में फंसे मजदूरों को घर वापिस लाने की मुहिम में सीएम गहलोत का अहम योगदान रहा. परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि जरूरतमंदों को राशन वितरण और मजदूरों को घर पहुंचाने में राजस्थान देश में सबसे अच्छा काम करने वाले राज्य में शामिल हो गया है.
मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि लॉकडाउन के पहले दिन से ही राज्य सरकार ने बड़ा संकल्प लिया कोई भूखा नहीं सोएगा, इसी को आधार बनाकर प्रदेश सरकार ने एक करोड़ लोगों के खाते में सीधा पैसा डाला और 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को राशन कार्ड के आधार पर फ्री में गेहूं उपलब्ध कराया. प्रदेशभर में जो लोग फ्री में गेहूं नहीं ले पाए उन लोगों को पूरे राजस्थान में राशन के किट वितरित किए गए. इस दौरान किसी भी नागरिक को भोजन और राशन के लिए परेशान नहीं होना पड़ा.
प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि राज्य सरकार ने मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए श्रमिक बसें लगाई, मजदूरों के लिए कैंप लगाए गए, कैंपों में उनके रहने सोने और खाने के साथ-साथ उन्हें राशन सामग्री पहुंचा कर बसों ट्रेनों के जरिए लाखों मजदूरों को घर पहुंचाया गया और यह काम अभी भी लगातार जारी है. मंत्री खाचरियावास ने आगे कहा कि राजस्थान पहला राज्य बन गया जहां मोक्ष कलश स्पेशल बस सेवा शुरू करके मुफ्त में प्रदेश के लोगों को हरिद्वार ले जाना शुरु किया गया. यह बस प्रदेश के सभी रोडवेज डिपो से लोगों को फ्री में हरिद्वार लेकर जा रही है.
प्रदेश के भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए खाचरियावास ने कहा कि राजस्थान प्रदेश भाजपा के नेता और सभी 25 सांसद व केंद्रीय मंत्री कोरोना संकट के समय में पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुए. यह लोग घरों से बाहर नहीं निकले. कार्यालय और घरों में बैठकर सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी करते रहे. प्रवासी मजदूरों की घर वापसी, प्रदेश में गेहूं और आर्थिक पैकेज की मांग तक भी केंद्र सरकार से नहीं कर पाए.
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खाचरियावास ने आगे कहा कि इस समय पूरा देश मजदूरों का दर्द, परेशानी और उनके पैदल घर तक जाने की परेशानियों को देख रहा है लेकिन इन सबके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के मंत्रियों का अभी तक दिल नहीं पसीजा. आज तक मजदूरों के दर्द को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री सहित केंद्र के किसी नेता ने बयान तक नहीं दिया. प्रधानमंत्री की चुप्पी से यह साबित हो गया है की सड़क पर पैदल चलकर दर्द से परेशान मजदूरों के दुख से उन्हें कोई लेना देना नहीं है.