पॉलिटॉक्स ब्यूरो. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के साथ एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है. इससे पहले केरल और पंजाब सरकार ने केवल नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ही विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है. राजस्थान की 15वीं विधानसभ के चौथे सत्र के दूसरे दिन शनिवार को सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया. इस दौरान सदन में विपक्ष ने जमकर हंगामा मचाया. बीजेपी ने सीएए के खिलाफ कांग्रेस की ओर से प्रस्ताव लाने को देश विरोधी बताया. वहीं सीएए से पहले विधानसभा में एससी-एसटी आरक्षण को बढ़ाने वाला 126वां संशोधन प्रस्ताव पारित किया गया. सीएए के खिलाफ संकल्प पत्र पारित होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही को 10 फरवरी सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

राजस्थान सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के साथ NRC और NPR के खिलाफ भी विधानसभा में संकल्प पारित कर दिया. सदन में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव के दौरान बीजेपी ने जमकर विरोध किया और हंगामा मचाया. जैसे ही संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव रखा, वैसे ही बीजेपी सहित सभी विपक्षी मुख्यत: रालोपा विधायकों ने बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां के अगुवाई में प्रस्ताव के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पर सदन में सतीश पूनियां ने कहा कि जब संसद ने यह कानून पारित कर दिया तो आप इसे लागू क्यों नहीं कर रहे हैं. पूनियां ने कहा कि यह कानून तो आपके फूफा को भी लागू करना पड़ेगा, दुनिया की कोई ताकत इसे नहीं रोक सकती. कांग्रेस को शर्म आनी चाहिए, इतने सारे तथ्यों के बावजूद पीड़ितों के आंसू पोंछने के बजाय सीएए का विरोध कर रहे हैं. पूनियां ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा पाकिस्तान में 1941 में 13 फीसदी हिंदू थे, जबकि अब पाकिस्तान में महज 1.6 फीसदी हिंदू रह गए.

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सीएए के खिलाफ संकल्प पत्र पर बहस करते हुए सतीश पूनियां ने कहा कि सीएए इतिहास में हुई गलतियों को सुधारने का कानून है. यह कानून पीड़ित अल्पसंख्यकों को राहत देने वाला है. कांग्रेस के जनघोषणा पत्र के बिंदु 34 में पाक विस्थापितों के सर्वांगीण विकास का दावा किया गया था, अब कांग्रेस अपने वादे से पलट गई है, नेहरू लियाकत समझौते का भारत ने सम्मान किया. इस तरह सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाने के दौरान विधानसभा में खूब हंगामा हुआ. सदन में बीजेपी नेताओं ने सरकार के कदम का विरोध जताया. बीजेपी विधायकों ने विधानसभा में जमकर नारेबाजी की. वहीं बीजेपी के अमीन खां ने कहा कि हम सब एक हैं मैं हिंदुओं के समर्थन से ही चुन कर यहां आया हूं.

वहीं राजस्थान सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि नया नागरिकता कानून संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है. नागरिकता संशोधन अधिनियम के माध्यम से हाल में किए गए संशोधन धार्मिक आधार पर लोगों में भेदभाव करते हैं. सदन में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, सीएए पर केन्द्र सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए. हम धार्मिक आधार पर नागरिकता देने का विरोध करते है. हमने राजतंत्र देखा है, प्रजातंत्र देख रहे है, आप क्या अब संघतंत्र दिखाना चाह रहे हो?

शांति धारीवाल ने कहा हाल ही संसद द्वारा अनुमोदित सीएए के जरिए धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों को निशाना बनाया गया है. धर्म के आधार पर ऐसा भेदभाव ठीक नहीं है. यह संविधान की धर्मनिरपेक्ष वाली मूल भावना के खिलाफ है. शांति धारीवाल ने आगे कहा कि यही कारण है कि सीएए के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रस्ताव में एनआरसी और असम का भी जिक्र किया गया है.

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इस तरह भारी हंगामें और हो-हल्ले के बीच बहुमत सरकार के पक्ष में होने के चलते सीएए, एनआरसी और एनारपी के खिलाफ संकल्प पत्र पारित कर दिया गया. इस तरह राजस्थान नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाला तीसरा राज्य बन गया, जबकि तीनों सीएए, एनआरसी और एनआरपी के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला पहला राज्य बन गया.

बता दें कि केरल और पंजाब सरकार भी नागरिकता कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर चुकी है. केरल सरकार इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख भी कर चुकी है. केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्ताव पास करने को असंवैधानिक बताया था. उन्होंने सरकार के शीर्ष अदालत जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था, राज्य सरकार की ओर से उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई.

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