पॉलिटॉक्स ब्यूरो. प्रदेश में पंचायत राज चुनावों की घोषणा के बाद भाजपा ने पंचायत चुनाव की तारीखों और चुनाव कार्यक्रम को लेकर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल ने उठाना शुरू कर दिए हैं. प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि सरकार ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए केवल पंच और सरपंचों के चुनाव की घोषणा की है जबकि जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनावों की घोषणा नहीं की गई है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस तरह सरकार सरपंचों पर दबाब बनाएगी.
वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देश पर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत राज संस्थाओं के मात्र पंच व सरपंच के चुनाव की घोषणा की गई है. चुनाव कार्यक्रम को संविधान के 73वें संशोधन की मूल भावना के विरूद्ध बताते हुए राठौड ने कहा कि इसे गहलोत सरकार द्वारा पिछले दरवाजे से पंचायत राज संस्थाओं पर कब्जा करने का प्रयास किया है. प्रदेश की 11 हजार 142 ग्राम पंचायतों में से मात्र 9 हजार 171 ग्राम पंचायतों के चुनाव की घोषणा करना व शेष रही लगभग 1 हजार 971 ग्राम पंचायतों के चुनाव अधरझूल में छोड़ना तथा पहली बार पंचायत समितियों और जिला परिषदों के चुनाव से पहले पंच व सरपंच का चुनाव करवाना पंचायत राज संस्थाओं को कमजोर करने का कदम है.
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गौरतलब है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने राजस्थान में हाने वाले पंचायतीराज चुनावों का कार्यक्रम गुरूवार को घोषित कर दिया है. जिसके तहत राजस्थान में 9171 पंचायतों के 90400 वार्ड के लिए तीन चरणों में चुनाव संपन्न होगें. पहले चरण का मतदान 17 जनवरी, दूसरे चरण का 22 जनवरी, तीसरे चरण का चुनाव 29 जनवरी 2020 को सुबह 8 से 5 बजे तक होगा. पंचों का निर्वाचन बैलट से तो वहीं सरपंच का चुनाव ईवीएम से होगा. चुनाव में सरपंच के लिए खर्च की सीमा अधिकतम 50 हजार रुपये होगी वहीं पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार द्वारा सरपंच पद के चुनाव लडने के लिए लगाई गई 8वीं कक्षा तक की शैक्षिक योग्यता को निर्वाचन आयोग ने समाप्त कर दिया है.