'लोकतंत्र में बिके हुए लोग टिकते हैं कहां, हम हर उधार का हिसाब रखते हैं बराबर'
'लोकतंत्र में बिके हुए लोग टिकते हैं कहां, हम हर उधार का हिसाब रखते हैं बराबर'

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