जेएनयू हिंसा पर तेज हुई सियासी बयानबाजी, JNUSU ने एबीवीपी को बताया जिम्मेदार, वहीं एबीवीपी ने लेफ्ट विंग पर लगाया आरोप

जेएनयू हिंसा पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से बात की है और उन्हें आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, देर रात कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी घायलों से मिलने एम्स अस्पताल पहुंचीं

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में एक बार फिर हिंसा की घटना हुई है. जेएनयू में रविवार रात उस वक्त हिंसा भड़क उठी जब डंडों से लैस नकाबपोश लोगों ने छात्रों एवं शिक्षकों पर हमला किया और परिसर की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, जिसके चलते प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी. जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष समेत कम से कम 18 लोग घायल हो गए. जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) ने दावा किया है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने हिंसा को अंजाम दिया है. वहीं, ABVP ने लेफ्ट विंग पर मारपीट करने का आरोप लगाया है. इस हिंसा में करीब 25 छात्रों के घायल होने की खबर है.

रविवार देर शाम जेएनयू विश्वविद्यालय कैंपस में नकाबपोश हमलावरों ने छात्रों को न केवल मारा पीटा बल्कि बुरी तरह से कैंपस में तोड़फोड़ भी की. नकाबपोश पूरी तैयारी के साथ आए थे. कैंपस के भीतर छात्रों ने जो वीडियो शेयर किए हैं, उसमें साफ दिख रहा है कि हमलावर पूरी तैयारी के साथ आए थे. छात्रों के साथ ऐसी मारपीट हुई है, कि कई गंभीर रूप से जख्मी हो गए हैं. इस घटना पर देशभर में लोग विरोध जता रहे हैं और केंद्र सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी घायलों से मिलने एम्स अस्पताल पहुंचीं, वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी समेत कई विश्वविद्यालयों के छात्र दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे. कई विश्वविद्यालयों के छात्र और अध्यापक भी अब जेएनयू छात्र संघ के समर्थन में आ गए हैं. वहीं घटना को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. देशभर के सभी पार्टी नेताओं ने इस घटना पर बयान दिया, आइए आपको बताते हैं किसने क्या कहा-

विदेश मंत्री एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी ट्वीट किया, “जेएनयू में जो हुआ उसकी तस्वीरें देखीं. हिंसा की स्पष्ट तौर पर निंदा करते हैं. यह विश्वविद्यालय की संस्कृति एवं परंपरा के पूरी तरह खिलाफ है.”

बीजेपी नेत्री एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

बीजेपी की वरिष्ठ नेता एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हिंसा को “खौफनाक” बताया और कहा कि मोदी सरकार चाहती है कि सभी छात्रों के लिए विश्वविद्यालय सुरक्षित स्थान रहें. सीतारमण ने ट्वीट किया, “जेएनयू से बहुत ही खौफनाक तस्वीरें सामने आईं हैं – वह जगह जिसे मैं जानती हूं और ऐसी जगह के तौर पर याद करती हूं जिसे निर्भीक चर्चाओं एवं विचारों के लिए याद किया जाता था, लेकिन हिंसा कभी नहीं. मैं आज हुई हिंसा की स्पष्ट तौर पर निंदा करती हूं.यह सरकार, पिछले कुछ हफ्तों में जो कुछ कहा गया उसके बावजूद, चाहती है कि विश्वविद्यालय सभी छात्रों के लिए सुरक्षित रहें.”

पूर्व कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ‘हमारे देश को नियंत्रित कर रही फासीवादी ताकतें’ बहादुर बच्चों की आवाज से डरती हैं लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी ने घटना में ‘टुकड़े टुकड़े गिरोह’ की भूमिका की जांच करने की मांग की. उन्होंने ट्वीट किया, “नकाबपोश लोगों द्वारा जेएनयू छात्रों और शिक्षकों पर किया गया नृशंस हमला चौंकाने वाला है जिसमें कई गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. हमारे देश को नियंत्रित कर रही फासीवादी ताकतें, बहादुर विद्यार्थियों की आवाज से डरती हैं. जेएनयू में आज हुई हिंसा उस डर को दर्शाती है.”

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा जेएनयू परिसर में हुई हिंसा में घायल छात्रों से मुलाकात करने के लिए दिल्ली के एम्स पहुंचीं. उन्होंने कहा कि कई घायल छात्रों के हाथ पैर टूटे हैं, और उनके सिर पर चोटें हैं. प्रियंका गांधी ने कहा कि यह किसी सरकार के बारे में बेहद ही शर्मनाक है कि उसने अपने ही बच्चों पर हिंसा होने दी.

मुख्यमंत्री दिल्ली, अरविंद केजरीवाल, आप

जेएनयू कैंपस में हुए इस हमले को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हैरानी जताई है. सीएम केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”जेएनयू में हुई हिंसा को जानकर मैं बहुत हैरान हूं. छात्रों पर बुरी तरह से हमला किया गया. पुलिस को तुरंत हिंसा को रोक शांति बहाल करनी चाहिए. अगर हमारे छात्र यूनिवर्सिटी के कैंपस में सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो देश कैसे तरक्की करेगा?”

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी

मनोज तिवारी ने कहा कि ये कहीं से भी उचित नहीं है, ये बहुत दुखद है और कुछ लोग जानबूझकर इसे राजनीतिक हवा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों को हिंसा से कोई ना जोड़े. भारतीय जनता पार्टी इस घटना की कड़ी निंदा करती है और सख्त जांच की मांग करती है, ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो.

पूर्व क्रिकेटर और भाजपा सांसद गौतम गंभीर

गौतम गंभीर ने घटना की निंदा करते हुए ट्वीट किया है और कहा है कि यूनिवर्सिटी कैंपस में इस तरह की हिंसा देश की मूल्यों के खिलाफ है. गौतम गंभीर ने अपने ट्विटर पर लिखा, यूनिवर्सिटी कैंपस में इस तरह की हिंसा पूरी तरह से इस देश के मूल्यों के खिलाफ है. कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या विचारधारा या आपका झुकाव किस तरफ है, छात्रों के साथ इस तरह की हिंसा नहीं की जा सकती. इन गुंडों को सख्त सजा दी जानी चाहिए, जिन्होंने यूनिवर्सिटी में प्रवेश करने का साहस किया है.’

वरिष्ठ कांग्रेसी सांसद शशि थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने लिखा, यह विश्वास से परे है. यह जर्मनी वाली चाल है, यह 1930 के जर्मनी से है 2020 के भारत से नहीं. मैंने इसे रोकने के लिए अधिकारियों से अपील की है. वे लोकतंत्र को नष्ट कर रहे हैं, दुनिया भर में हमारे देश की लोकतांत्रिक छवि बनी है.

वरिष्ठ माकपा नेता सीताराम येचुरी

माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि खबरों से मालूम चलता है कि छात्रों एवं शिक्षकों पर हिंसा करने के लिए प्रशासन और एबीवीपी के “गुंडों” के बीच साठगांठ है. उन्होंने कहा कि यह सत्ता में बैठे लोगों का सुनियोजित हमला है जो उसके हिंदुत्व के एजेंडे की राह में बाधा डाल रहे जेएनयू से डरते हैं.

पूर्व गृहमंत्री एवं कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि जेएनयू के छात्रावासों में नकाबपोश लोगों के घुसने और छात्रों पर हमले करने का सीधा प्रसारण टीवी पर देखना भयावह था और ऐसा केवल सरकार की मदद से ही हो सकता है.

बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली

BJP प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि किसी भी रूप में हिंसा की निंदा की जानी चाहिए लेकिन साथ ही कहा कि यह गौर करना भी उतना ही जरूरी है कि जेएनयू में लोगों के एक एक खास समूह की, “मानसिकता ऐसी है जो भारत के टुकड़े करने की अपील करती है और उच्चतम न्यायालय द्वारा एक ज्ञात आतंकवादी को सुनाई गई मौत की सजा को हत्या मानते हैं.” उन्होंने कहा कि इन लोगों को अक्सर ‘टुकड़े टुकड़े गिरोह’ कहा जाता है और कहा, “निश्चित तौर पर उनकी विचारधारा शांति की नहीं हो सकती. हिंसा की इस संस्कृति में उनकी क्या भूमिका है, यह पता लगाना जरूरी है खासकर आज की घटना में.”

नेता प्रतिपक्ष तमिलनाडु विधानसभा एम के स्टालिन

द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने भी जेएनयू परिसर में हुई हिंसा की रविवार को निंदा की और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता स्टालिन ने इसे विवादित नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बाद हुई हिंसा करार दिया और इसकी निंदा की. स्टालिन ने कहा, “नकाबपोश शरारती तत्वों के परिसर के भीतर जेएनयू छात्रों पर हमला करने की तस्वीरें देख कर सदमे में हूं.”

आखिर क्यों हुआ बवाल

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में फीस बढ़ोतरी को लेकर लंबे समय से प्रोटेस्ट चल रहा है. बताया जा रहा है कि शनिवार को जेएनयू छात्र संघ ने सर्वर रूम को लॉक कर दिया था. इसको लेकर एबीवीपी और लेफ्ट विंग के स्टूडेंट्स में हल्की झड़प हुई थी. रविवार को जेएनयू छात्र संघ की ओर से साबरमती हॉस्टल से मार्च निकाला जाना था. इस दौरान यहां हिंसा हुई. इसके बाद देर शाम कुछ नकाबपोश हमलावरों ने विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर साबरमती छात्रावास के छात्रों को निशाना बनाया. नकाबपोश पुरुषों और चेहरा ढकी महिलाओं ने छात्रावास के कमरे में तोड़फोड़ की और छात्रों की पिटाई की.

बहरहाल, जेएनयू हिंसा पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से बात की है और उन्हें आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. अमित शाह ने एक संयुक्त सीपी स्तर के अधिकारी से जांच कराने का आदेश दिया है और जल्द से जल्द एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है. जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर पुलिस के पास तीन शिकायतें आई हैं. हालांकि, अभी तक कोई केस दर्ज किया गया है या नहीं, इसपर अपडेट आना बाकी है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि हमें JNU की हिंसा पर कई शिकायतें मिली हैं जिन पर हम जांच शुरू करेंगे. जल्द ही इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाएगी. दिल्ली पुलिस की सीपी शालिनी सिंह की अगुवाई में जो जांच होगी, उसमें 4 इंस्पेक्टर और दो एसीपी शामिल रहेंगे.

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