CAA और NRC पर ‘जनमत संग्रह’ वाले बयान पर फंसी ममता, स्पष्ट किया अपना रूख, बीजेपी ने किया पलटवार

स्मृति-जावडेकर ने ममता पर किया जवाबी हमला, कुमार विश्वास ने 'विदेश पंच' से कसा तंज, विजयवर्गीय ने बताया सस्ती राजनीति

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) पर संयुक्त राष्ट्र (UN) की निगरानी में जनमत संग्रह कराने वाले बयान पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) अब फंसती दिख रही है. यहां तक की विपक्ष ने भी उनके बयान पर चुप्पी साध सीधे-सीधे पल्ला झाड़ लिया. ममता के बयान को आधार बनाकर बीजेपी ने टीएमसी प्रमुख (TMC Chief) पर निशाना साधा और माफी मांगने को कहा. ममता के बयान पर कुमार विश्वास ने करारा तंज मारा. अब ममता बनर्जी ने बैकफुट पर आते हुए बयान पर अपना रूख स्पष्ट करते हुए करते हुए कहा कि उन्होंने स्वतंत्र संस्था की बात कही थी.

दरअसल, बंगाल सीएम ने गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस की रैली में CAA और NRC पर जनमत संग्रह की मांग कही थी. कोलकाता में एनआरसी के खिलाफ तृणमूल की युवा व छात्र इकाई की रैली में उन्होंने कहा था, ‘संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी पर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए. जनमत संग्रह के बाद देखते हैं कि कौन जीतता है. हम भी देखना चाहते हैं कि आखिर सीएए और एनआरसी कितने लोगों को मंजूर है. जो जनमत संग्रह में हारेगा, उसे इस्तीफा देकर चले जाना चाहिए’. इस पर स्पष्टीकरण देते हुए ममता ने कहा कि मैं चाहती हूं कि निरपेक्ष विशेषज्ञों की देखरेख में जनमत हो इसलिए मैंने यूएन का उल्लेख किया. मैंने संयुक्त राष्ट्र का उदाहरण देकर केवल एक स्वतंत्र संस्था की बात कही है.

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ममता पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और प्रकाश जावडेकर ने बंगाल सीएम पर हमला बोला है. जावडेकर ने कहा कि ममता अब पाक की भाषा बोल रही है. ये देश की 130 करोड़ जनता का अपमान है. संयुक्त राष्ट्र भारत के मामलों में झांकने वाला कौन होता है. उन्हें इस बयान पर माफी मांगनी चाहिए. वहीं स्मृति ईरानी ने ममता बनर्जी के जनमत संग्रह वाले बयान को संसद का अपमान बताया.

पूर्व आप नेता कुमार विश्वास ने भी ममता के बयान पर पलटवार करते हुए विदेशी पंच बुलाने की बात को घटिया बताया. कुमार ने कहा कि भारत के आंतरिक मामले में यूएन? विश्वास ने कहा, ‘विद्वेष सब ठीक है दीदी, जमकर करिए, जोरदार जरीके से करिए, सब साथ आएंगे लेकिन देश के आंतरिक मतभेद में विदेशी पंच बुलाने की बात बेहद घटिया और खेदजनक है’. उन्होंने कहा कि यहीं लडिए, जीतिए, कानून बनाइए, बाकी यूएन या किसी भी विदेशी पंच की ऐसी की तैसी’.

वहीं भाजपा के महासचिव एवं बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि वह देश के हित को क्षति पहुंचाकर भी सत्ता में बने रहना चाहती है. ममता सस्ती राजनीति करती रही है. क्या उन्हें पता नहीं कि उनके बयान के क्या अर्थ है और पाक जैसे देश उनके बयान का किस तरह से फायदा उठाने की कोशिश करेगा. उन्हें राजनीतिक स्वार्थ में देशहित नहीं दिखता.

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