हरियाणा प्रदेश कांग्रेस (Haryana Congress) अध्यक्ष कुमारी शैलजा (Kumari Selja) ने विधानसभा चुनाव का टिकट चाहने वालों के सामने ऐसी अव्यावहारिक शर्तें रखी हैं, जिनसे हरियाणा में पहले ही सत्ता से बाहर हो चुकी कांग्रेस की परेशानियां और बढ़ जाएंगी. कांग्रेस के टिकट के लिए आवेदन करने वालों को यह घोषणा करनी होगी कि वे शराब नहीं पीते हैं और खादी पहनते हैं. इस समय हरियाणा में कांग्रेस के 14 विधायक हैं. अगर शैलजा की तरफ से लागू शर्तों का सख्ती से लागू किया गया तो इनमें से आठ-दस विधायकों को फिर से टिकट मिलना मुश्किल हो जाएगा.

शैलजा ने एक ट्वीट के जरिए चुनाव लड़ने के लिए लागू मापदंडों की जानकारी दी है, जो पार्टी के दशकों पुराने संविधान के अनुरूप है. एक कांग्रेस नेता का कहना है कि ये नियम बहुत पहले लागू हुए थे. अब समय बदल गया है. लेकिन पार्टी के नेता चाहते हैं हम उस पुरानी छवि से चिपके रहें. शैलजा ने एक फार्म भी जारी किया है, जो सभी उम्मीदवारों को भरना पड़ेगा, जिसमें उन्हें अपनी जाति का भी उल्लेख करना होगा. गौरतलब है कि चुनावों में टिकट वितरण में जाति को भी महत्व दिया जाता है.

हालांकि कांग्रेस नेता यह कहते नहीं थकते कि वे समानता पर आधारित एक जाति विहीन, वर्ग विहीन समाज चाहते हैं. लेकिन एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता कहते हैं कि आजकल के राजनीतिक माहौल में सार्वजनिक जीवन में जाति को बाहर रखना उचित नहीं है. कांग्रेस के संविधान में शराब का सेवन नहीं करने, खादी पहनने, समाजसेवा करने और ऐसे ही कई नियम हैं, जिनको लेकर लकीर के फकीर बने रहने में फायदा कम नुकसान ज्यादा है. अगर टिकट बांटने में जाति का ध्यान रखा जाता है, तो इन सभी नियमों को अक्षरः लागू करना चाहिए.

समझा जा सकता है कि कुमारी शैलजा (Kumari Selja) की तरफ से थोपी जा रही आचार संहिता लागू हुई तो पार्टी के लिए जीतने लायक उम्मीदवार तलाशना बहुत मुश्किल हो जाएगा. वह पहले ही पिछले विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हो चुकी है और हरियाणा का राजनीतिक वातावारण जातिवाद पर आधारित है. यहां जाटों का अच्छा-खासा दखल है. ऐसे समय में जब भाजपा हरियाणा के साथ ही केंद्र में भी सरकार चला रही है. चुनाव जीतने के लिए पूरी तरह से आक्रामक मुद्रा में है, ऐसे में शैलजा की पुराने जमाने की नियमावली कांग्रेस के लिए अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारने जैसी है.

कांग्रेस इस समय गंभीर वित्तीय संकट से भी गुजर रही है. चुनाव में टिकट के लिए आवेदन करने वाले सामान्य दावेदारों को आवेदन के साथ पांच हजार रुपए और एससी-एसटी व महिला उम्मीदवारों को दो हजार रुपए पार्टी फंड में जमा करने के लिए कहा गया है. चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों के लिए टिकट के आवेदन के साथ यह राशि जमा करवाना कठिन नहीं होगा, लेकिन इससे पार्टी की वित्तीय आवश्यकताएं भी संतोषजनक ढंग से पूरी नहीं होगी.

हरियाणा में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले बहुत कम हैं. कांग्रेस की यह छवि बन चुकी है कि हरियाणा (Haryana) में उसकी स्थिति कमजोर है और उसके सत्ता में लौटने की उम्मीद करना दिन में सपने देखने की तरह लगता है. कई गंभीर प्रत्याशी, पूर्व विधायक, वरिष्ठ नेता चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं. अगर शैलजा ने शराब नहीं पीने की शर्त सख्ती से लागू करने का प्रयास किया तो पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री, मौजूदा विधायकों सहित कई नेताओं के टिकट काटने पड़ेंगे. शैलजा को हरियाणा में पार्टी की स्थिति मजबूत करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. वह इस तरह कांग्रेस को मजबूत करने के लिए जुट गई है.

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