नीति आयोग की बैठक में CM गहलोत ने मजबूती से रखा राजस्थान का पक्ष, PM मोदी से मांगा अपना हक

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित हुई नीति आयोग की छठी बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 2018 में किया अपना वादा याद दिलाते हुए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को जल्द से जल्द राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का आग्रह किया

CM गहलोत ने PM मोदी को अपना वादा याद दिलाते हुए
CM गहलोत ने PM मोदी को अपना वादा याद दिलाते हुए

Politalks.News/Rajasthan. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना वादा याद दिलाते हुए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को जल्द से जल्द राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का आग्रह किया है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में आयोजित हुई नीति आयोग की छठी बैठक में जल आवश्यकताओं की पूर्ति को लेकर मजबूती से राजस्थान का पक्ष रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि 7 जुलाई, 2018 को जयपुर में और 6 अक्टूबर, 2018 को अजमेर में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए आपने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक इस पर कोई क्रियान्विति नहीं हो सकी है.

बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बताया कि इस परियोजना से इन 13 जिलों में 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी. इसके साथ ही, केन्द्र प्रवर्तित योजना जल जीवन मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए भी जल स्रोत की आवश्यकता पूरी हो सकेगी. केन्द्र सरकार ने पूर्व में विभिन्न राज्यों की 16 बहुउददेशीय सिंचाई परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजनाओं का दर्जा दिया है. सीएम गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का अनुमानित खर्च करीब 40 हजार करोड़ रूपये है, जो राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाना संभव नहीं है, इसलिए राज्य हित में इस प्रोजेक्ट की महत्ता को देखते हुए केन्द्र सरकार इसमें सहयोग प्रदान करे.

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मुख्यमंत्री गहलोत ने पीएम मोदी से आग्रह करते हुए कहा कि राज्य के 13 जिलों (झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा एवं धौलपुर) को पेयजल एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण इस नहर परियोजना को को जल्द से जल्द राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा दिया जाए.

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में देश का 10 प्रतिशत भू-भाग है, जबकि देश का केवल 1 प्रतिशत पानी यहां उपलब्ध है. राजस्थान रेगिस्तानी एवं मरूस्थलीय क्षेत्र होने के साथ ही यहां सतही एवं भू-जल की भी काफी कमी है. वहीं गांव-ढाणियों के बीच दूरी अधिक होने के साथ ही विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां घर-घर पेयजल उपलब्ध करवाने में लागत अन्य राज्यों के मुकाबले काफी ज्यादा आती है. इसे देखते हुए केन्द्र सरकार उत्तर पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों की तरह प्रदेश को भी जल जीवन मिशन में 90ः10 के तहत सहायता उपलब्ध कराई जाए.

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नीति आयोग की इस छठी बैठक में सीएम गहलोत ने आगे कहा कि दुर्लभ खनिज पोटाश के मामले में हमारा देश पूरी तरह आयात पर निर्भर है. राजस्थान में इस खनिज के अथाह भण्डार मौजूद हैं और हमारा प्रयास है कि इसका समुचित दोहन हो और पूरे देश को इसका लाभ मिले. भारत सरकार के मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड एवं भारतीय भू-विज्ञान सर्वेक्षण के माध्यम से इस खनिज के दोहन की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है. केन्द्र सरकार इस कार्य में भी आवश्यक सहयोग प्रदान करे.

इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी से कहा कि कोविड-19 महामारी के गंभीर संकट के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ ही रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराना जरूरी है. सीएम गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार इस दिशा में भी सकारात्मक पहल कर राज्यों को राहत प्रदान करे.

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