पॉलिटॉक्स ब्यूरो. हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा की तिथि आगे बढाने की मांग सहित अन्य मांगों को लेकर राजस्थान विश्वविद्यालय स्थित पानी की टंकी पर चढ़ी दोनों छात्राएं तीसरे दिन बुधवार को भी टंकी पर ही रहीं. सोमवार दोपहर से टंकी पर चढी दोनों छात्राओं ने मांगे नहीं माने जाने पर आत्मदाह करने की धमकी भी दी थी. वहीं बुधवार शाम राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा भी वहां पहुंचे और छात्राओं के पास टंकी से नीचे उतरने से सम्बंधित मार्मिक अपील का एक पत्र भी पहुंचाया. लेकिन जिद पर अड़ी छात्राओं पर उसका कोई असर नहीं हुआ.
डॉ किरोडी लाल मीणा ने अपने चालीस साल के राजनीतिक करियर में सैकड़ों आंदोलनों के अनुभव और संघर्ष की कहानी का सार पत्र में लिखते हुए छात्राओं से टंकी से नीचे उतरने की अपील करते हुए लिखा कि, “मेरी प्यारी बेटियों, मैं आश्चर्यचकित हूं कि बच्चियों के इस अकल्पनीय कदम के बावजूद वातानुकूलित कमरों में रहने वाले नेताओं के कानों में जूं नहीं रेंगी है. जनसेवा का राग अलापने वाले नेता क्या वाकई इतने निष्ठुर और हठधर्मी होते हैं. मेरी प्यारी बेटियों, मेरे प्रयास में कभी कोई कमी नहीं रही. राजस्थान के शिक्षामंत्री और मुख्यमंत्री तक आपकी बात प्रभावी ढंग से पहुंचाई. उन्होंने अनसुनी की तो आपके साथ कांग्रेस के शीर्ष नेता श्री राहुल गांधी से मिलने और आपकी बात को दमदारी से रखने के लिए नई दिल्ली गया.”
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डॉ मीणा ने आगे लिखा, “बेटियों, मुझे इस बात से भी तकलीफ पहुंची है कि जिस राज्य का मुखिया नारी की कोख से राजा पैदा करने की बात बार बार दोहराता हो, क्या उसे उसी नारी शक्ति के भीषण ठंड में ठिठुरने की खबर नहीं है? मैं बीते कल की भांति आज भी आपके साथ और आपके पास हूं. आपकी जायज मांग को मनवाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हूं. लेकिन बेटियों, मेरी अन्तर्मन से प्रस्फुटित अपील को स्वीकार कर टंकी से नीचे उतर आएं. इस गूंगी-बहरी सरकार के लिए अपने शरीर को कष्ट के तप में इतना न तपाएं कि आपकी जान पर जोखिम बन आए. मैं खुले मन से घोषणा कर रहा हूं कि यदि आप मेरी अपील को स्वीकार कर टंकी से नीचे नहीं उतरीं तो मुझे टंकी के नीचे रात बिताने को विवश होना पड़ेगा.” इस पर छात्राओं ने कहा कि इस बार हमने बिना पूछे यह निर्णय लिया है. लेकिन हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि इस बार हम जीत कर ही उतरेंगे. इस पर सांसद करोड़ी लाल ने छात्राओं से कुछ नहीं कहा और पुलिस से कुछ देर की वार्ता के बाद सांसद मीणा वहां से रवाना हो गए.
इससे पहले दोपहर में एससीपी गांधीनगर की मौजूदगी में भारी पुलिस जाब्ता मौके पर पहुंचा. इस दौरान एसीपी राजवीर चौधरी व गांधीनगर थानाधिकारी ने टंकी पर चढी छात्राओं से लाउड स्पीकर के जरिए नीचे उतरने की अपील की. एसीपी चौधरी ने समझाइश के दौरान कहा कि मैं एक पुलिस अधिकारी की हैसियत से नहीं बल्कि एक भाई की तरह आपको समझाने आया हूं, इस कडाके की ठंड में आपके स्वास्थ्य का ख्याल रखने की भी हमारी जिम्मेदारी है.
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इसके बाद मौके पर एडिशनल डीसीपी अजय पाल लांबा छात्रों को उतारने के लिए बडी सुनार गडर के साथ मौके पर पहुंचे. लेकिन जैसे ही सुनार गडर थोड़ा आगे बढ़ी तो कुछ छात्रों ने पथराव कर दिया. इसके बाद गडर को पीछे हटना पड़ा इससे नाराज डीसीपी अजय पाल लांबा छात्रों के बीच पहुंचे और उन्हें समझाया कि पुलिस आपके साथ हैं लेकिन पथराव करना गलत है. डीसीपी लांबा ने भी इस दौरान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्र नेताओं से बात की और उन्हे समझाया. लेकिन टंकी पर चढी छात्राएं नहीं मानी और मांगे नहीं माने जाने तक टंकी से नीचे उतरने से मना कर दिया. टंकी पर चढी छात्राओं का कहना था कि जब तक सरकार की ओर से प्रेस नोट जारी नहीं हो जाता तब तक वह नीचे नहीं उतरेंगे इस बार हम आर-पार की लड़ाई लड़ने चढ़ी हैं.
बता दें, टंकी पर चढी छात्राओं के परिजन भी वहां पहुंचे, एक छात्रा के पिता और दूसरी छात्रा के फूफा ने उन्हें नीचे उतारने की खूब समझाइश की लेकिन छात्राएं नहीं मानी. परिजनों की समझाइश के बाद छात्राओं का कहना था कि सरकार जब वोट मांगने घर-घर जा सकती है तो यहां क्यों नहीं आ सकती. हमारी एक छोटी सी ही मांग है कि परीक्षा तिथि को आगे बढ़ाया जाए. वहीं छात्राओं ने पुलिस से अनुरोध किया कि वे आंदोलन कर रहे छात्रों के परिजनों पर दबाव नहीं डाले. साथ ही परिजनों से कहा कि आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए.
खबर लिखे जाने तक टंकी पर चढी दोनों छात्राएं टंकी पर ही थी, वहीं सैकडों छात्र टंकी के नीचे मौजूद थे.