गुजरात में अमुमन चुनावी घमासान भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही होता है लेकिन राज्य की सियासत में अबकी बार एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला, जहां आम आदमी पार्टी ने मोदी का किला ढहा दिया. आप के नेता गोपाल इटालिया ने विसावदर विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के गढ़ को ध्वस्त करते हुए भारी अंतर से जीत हासिल की. यह जीत न केवल आप के लिए एक मील का पत्थर है बल्कि बीजेपी के लिए भी एक करारा झटका है, जो दशकों से गुजरात में अजेय मानी जाती रही है. इस जीत ने न सिर्फ आप की साख को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया बल्कि यह भी साबित किया कि गुजरात की जनता अब बदलाव की ओर कदम बढ़ा रही है.
विसावदर विधानसभा सीट जूनागढ़ जिले की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है जो लंबे समय तक बीजेपी का गढ़ रही थी. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल जैसे दिग्गज नेताओं ने इस सीट पर बीजेपी का परचम लहराया था. हालांकि 2007 के बाद से बीजेपी इस सीट पर जीत का स्वाद नहीं चख पाई थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में आप के भूपेंद्र भायानी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी लेकिन दिसंबर 2023 में उनका बीजेपी में शामिल होना आप के लिए एक बड़ा झटका था. इसके बावजूद, पार्टी के गोपाल इटालिया ने न केवल इस सीट को वापस हासिल किया बल्कि बीजेपी को उसकी ही जमीन पर चारों खाने चित कर दिया.
वजह – गुजरात में बीजेपी की सरकार पिछले दो दशकों से सत्ता में है. इस दौरान विकास के बड़े-बड़े दावे किए गए लेकिन ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसरों की कमी आज भी देखी जा रही है. विसावदर जैसे कृषि-प्रधान क्षेत्र में किसानों की समस्याएं सिंचाई की कमी, फसलों का उचित मूल्य न मिलना और कर्ज का बोझ ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गई थी. ऐसे में आप के गोपाल इटालिया ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया और जनता के बीच यह संदेश देने में कामयाब रहे कि पंजाब और दिल्ली की तरह आप उनकी भी आवाज बन सकती है.
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आप के पूर्व गुजरात अध्यक्ष गोपाल इटालिया एक जमीनी नेता के तौर पर जाने जाते हैं और उनकी सादगी, बेबाकी एवं जनता से सीधा संवाद उनकी जीत का सबसे बड़ा हथियार बना. उन्होंने लोगों से घर घर जाकर संपर्क करते हुए दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकारों के काम मुफ्त बिजली, बेहतर स्कूल और मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं को गुजरात की जनता के सामने मॉडल के तौर पर पेश किया. यह रणनीति विसावदर के मतदाताओं, खासकर युवाओं और किसानों के बीच खूब जमी, जिसका परिणाम सब के सामने है.
गोपाल इटालिया को उप चुनाव में 75,942 वोट हासिल हुए जबकि बीजेपी के उम्मीदवार किरीट पटेल को 58,388 वोटों से संतोष करना पड़ा. कांग्रेस के नितिन रणपरिया तो इस दौड़ में कहीं भी नहीं दिखे और उन्हें महज 5,501 वोट मिले. देखा जाए तो बीजेपी के लिए यह हार सिर्फ बाहरी कारणों की वजह से नहीं बल्कि पार्टी के भीतर की गुटबाजी और आपसी समन्वय कमी ने इस हार को और गहरा किया. किरीट पटेल को टिकट देने के फैसले पर स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराज़गी थी.इसके अलावा भूपेंद्र भायानी के आप छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने जिस तरह से उन्हें बढ़ावा दिया, उससे विसावदर की जनता में गुस्सा था. लोगों ने इसे ‘दल बदल की राजनीति’ के तौर पर देखा और बीजेपी को सबक सिखाया.
वहीं विसावदर की इस जीत ने गुजरात की सियासत में कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या बीजेपी का अजेय किला अब कमज़ोर पड़ रहा है. क्या आप गुजरात में कांग्रेस की जगह लेने जा रही है और क्या 2027 के विधानसभा चुनाव में आप बीजेपी के लिए एक मज़बूत चुनौती पेश कर पाएगी. इन सवालों के जवाब तो वक्त देगा लेकिन यह जीत दिल्ली में हासिए पर आ चुकी आम आदमी पार्टी के लिए निश्चित तौर पर के लिए एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाली साबित होगी.