उपचुनाव के नतीजे क्या आप के लिए साबित होंगे बूस्टर डोज?

चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों के नतीजे आप के लिए सुखद, आगामी विधानसभा चुनावों में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाली साबित होगी जीत

arvind kejriwal
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देश के चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनावों में आम आदमी पार्टी ने दो सीटों पर अपना कब्जा जमाया है. आप ने पंजाब की लुधियाना वेस्ट और गुजरात की विसावदर में जीत का परचम लहराया है. इन दोनों सीटों पर क्रमश: आम आदमी पार्टी के संजीव अरोड़ा और गोपाल इटालिया ने जीत हासिल की. चूंकि दोनों राज्यों में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इस उप चुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है. ऐसे में पांच में से दो सीटों पर जीत हासिल करना केजरीवाल एंड पार्टी के लिए संजीवनी की तरह साबित होगा.

विसावदर सीट हासिल करने के बाद गुजरात में आप की सीटों की संख्या एक बार फिर पांच पर आ पहुंची है. 2022 में हुए गुजरात विस चुनावों में यहां से आप के भूपेंद्र भायानी ने जीत दर्ज की थी लेकिन दिसंबर 2023 में उनका बीजेपी में शामिल होना आप के लिए एक बड़ा झटका था. यह सीट दशकों से भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है. इसके बावजूद, गोपाल इटालिया ने न केवल इस सीट को वापस हासिल किया बल्कि बीजेपी को उसकी ही ज़मीन पर चारों खाने चित कर दिया. इटालिया ने बीजेपी के उम्मीदवार किरीट पटेल को करीब 25 हजार से अधिक वोटों से हराया. किरीट को 58,388 वोटों से संतोष करना पड़ा.

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बात करें पंजाब की तो लुधियाना वेस्ट सीट एक बार फिर सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के नाम गयी. यहां आप, कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर थी, जिसमें आप ने बाजी मारी. यहां से राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा जीते जबकि कांग्रेस के भारत भूषण आसु दूसरे नंबर पर रहे. अब माना यह जा रहा है कि आप में नंबर दो मनीष सिसोदिया खाली सीट पर राज्यसभा जाएंगे और राष्ट्रीय राजनीति में शामिल होंगे. वजह – आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने उच्च सदन जाने से इनकार कर दिया है.

खैर, नतीजे कुछ भी रहे हों लेकिन दिल्ली विस चुनाव में हार का दंश झेल चुकी आम आदमी पार्टी के लिए उप चुनाव के नतीजे बूस्टर डोज की तरह साबित होंगे. पंजाब में भगवंत मान की सरकार है. ऐसे में उन्हें यहां ज्यादा दिक्कत नहीं आयी है लेकिन इस जीत ने साबित किया है कि उनकी नीतियां बीजेपी और कांग्रेस पर भारी पड़ रही है. वहीं गुजरात में अपनी खोई सीट को वापिस पाना कार्यकर्ताओं में हौसला अफजायी करेगा. यह बूस्टर डोज दोनों राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए एक संजीवनी मिलने के समान साबित होगा.

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