पॉलिटॉक्स न्यूज. उत्तराखंड सरकार के शासनकाल को तीन साल पूरे होने के उपलक्ष में त्रिवेंद्र रावत सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सरकारी सेवाओं में पदोन्नति पर रोक को समाप्त कर दिया है. इसका असर यह होगा कि अब पदोन्नति में आरक्षण नहीं मिलेगा और सामान्य रूप से पदोन्नति हो सकेगी. एससी और एसटी लॉबी को इससे बड़ा झटका लगा है. हालांकि सामान्य तौर पर पदोन्नति मिलने से सभी श्रेणियों को राहत मिली है. करीब तीन हफ़्ते से प्रदेशभर में जनरल-ओबीसी कर्मचारी पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. राज्य कर्मचारियों की ओर से की जा रही हड़ताल और उनकी मांग लगातार उग्र होती जा रही थी.
इससे पहले एक अप्रैल, 2019 को जारी आदेश में नैनीताल हाईकोर्ट ने नए प्रमोशन में आरक्षण लागू करने को लेकर तीन आदेश दिए थे. उसके बाद इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर हुई तो हाईकोर्ट ने सरकार को पहले कर्मचारियों का डाटा कलेक्ट करने का आदेश दिया. इसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार को पदोन्नति में आरक्षण देने के साथ ही रिक्त पदों पर पदोन्नति में आरक्षण देने का आदेश दिया. हाई कोर्ट के इन आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. 2 फरवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के दोनों आदेशों को निरस्त करते हुए याचिकाओं का निपटारा कर दिया.
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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लागू करने की मांग को लेकर उत्तराखंड के कर्मचारी 2 मार्च से हड़ताल पर चले गए. प्रदेश में कोरोना को महामारी घोषित करने के बाद भी कर्मचारी लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. कर्मचारी मास्क लगाकर और सैनिटाइज़र लेकर धरने पर बैठे हुए थे. राज्य सरकार की एक जगह 50 से ज़्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर रोक भी काम नहीं आ रही थी. प्रदेश में कई जगह आंदोलनरत कर्मचारियों ने काम कर रहे कर्मचारियों को जबरन रोका भी था.
जब देहरादून प्रशासन ने धरना स्थल परेड ग्राउंड को लॉक कर दिया तो कर्मचारियों ने सड़क जाम कर दी. तब जाकर परेड ग्राउंड को खोला गया और कर्मचारी धरने पर बैठे. थोड़ी देर बाद राज्य सरकार ने प्रमोशन पर रोक लगाने वाले 11 सितंबर, 2019 के शासनादेश को निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया.