प्रधानमंत्री मोदी: भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता, भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है, जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारतभूमि, जब आत्मनिर्भर बनती है, तब उससे एक सुखी-समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है, जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर बदल जाती है, टीबी हो, कुपोषण हो, पोलियो हो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही पड़ता है, भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है, भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत के कार्यों का प्रभाव, विश्व कल्याण पर पड़ता है