ज्योतिरादित्य सिंधिया: तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं दावा किताबी है, देश का अन्नदाता पेड़ों से लटककर सो रहा है, अच्छे दिन के सपने देख बस राह देख रहा है…

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