विधायकों के बाद उद्धव को पार्षदों का झटके पे झटका तो अब आदित्य ‘निष्ठा यात्रा’ से बचाएंगे शिवसेना!

विधायकों के बाद पहले 66 पार्षद और अब शिवसेना के लगभग 12 सांसद भी ठाकरे गुट को छोड़ सकते हैं, यही वजह है कि अब ठाकरे फैमिली पार्टी बचाने की हरसम्भव कोशिश में जुट गई है, आदित्य ठाकरे ने इसी मोर्चे पर काम करते हुए 'निष्ठा यात्रा' निकालने का ऐलान किया है, शुक्रवार से यात्रा पर निकल रहे हैं आदित्य ताकि पार्टी के काडर को साधा जा सके

विधायकों के बाद उद्धव को पार्षदों का झटके पे झटका
विधायकों के बाद उद्धव को पार्षदों का झटके पे झटका

Politalks.News/MaharashtraPolitics. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के चलते जहां महाविकास अघाड़ी महाराष्ट्र की सरकार से बाहर हो गई है, तो वहीं विधायकों के बाद पहले 66 पार्षद और अब शिवसेना के लगभग 12 सांसद भी ठाकरे गुट को छोड़ सकते हैं. यही वजह है कि अब ठाकरे फैमिली पार्टी बचाने की हरसम्भव कोशिश में जुट गई है. उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफे के दौरान एकनाथ शिंदे गुट की ओर इशारा करते हुए कहा था कि उन्हें सत्ता के पेड़े मुबारक हों, लेकिन मेरे शिवसेना है. अब आदित्य ठाकरे ने इसी मोर्चे पर काम करते हुए ‘निष्ठा यात्रा’ निकालने का ऐलान किया है. बता दें आदित्य कल यानी शुक्रवार से यात्रा पर निकल रहे हैं ताकि पार्टी के काडर को साधा जा सके.

दरअसल, महाराष्ट्र में सियासी संग्राम के बाद अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को झटके पर झटका लग रहा है. बता दें शिवसेना के 40 विधायकों ने बगावत करके एकनाथ शिंदे के साथ जाने का फैसला कर लिया था. अब ठाणे नगर निगम पर उद्धव ठाकरे का नियंत्रण नहीं रहा है. दरअसल ठाणे नगर निगम के 67 में से 66 पार्षद शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं. यह उद्धव गुट के लिए तगड़े झटके के समान है. इससे पहले शिंदे गुट में जाने वाले 66 पार्षदों ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे से बुधवार को मुलाकात की थी. बता दें कि उद्धव ठाकरे लगातार अपने गुट में इस बात का संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि उनका गुट कार्यकर्ता और संगठन के मामले में अब भी मजबूत है. सिर्फ बागी विधायक ही शिंदे गुट में गये हैं.

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12 सांसद जा सकते हैं शिंदे गुट में: फिलहाल उद्धव ठाकरे की मुश्किलें यहीं कम होती नहीं दिख रही है. उद्धव के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में मंत्री रहे गुलाबराव पाटिल ने दावा किया है कि शिवसेना के बागी खेमे में 55 में से 40 विधायक हैं. और 18 में से 12 सांसद भी हैं. इनमें से चार सांसदों से मैं व्यक्तिगत रूप से मिल चुका हूं. इसके अलावा हमारे साथ 22 पूर्व विधायक भी हैं.

ऐसे में पार्टी में पकड़ को मजबूत बनाए रखने के लिए उद्धव ठाकरे और बेटे आदित्य ठाकरे ऐक्टिव हो गए हैं. दरअसल एकनाथ शिंदे समर्थक विधायकों ने अपने क्षेत्रों में जाकर बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे की विरासत की बात करना शुरू किया है. इसके चलते शिवसैनिकों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है. काडर में इसी संशय की स्थिति को दूर करने के लिए आदित्य ठाकरे ने मोर्चा संभाला है और निष्ठा यात्रा निकालेंगे. कहा जा रहा है कि वह इस यात्रा के दौरान शिवसैनिकों को एकनाथ शिंदे गुट की ‘गद्दारी’ के बारे में बताएंगे. ठाकरे परिवार का कहना है कि निष्ठा यात्रा के जरिए काडर को साधने में मदद मिलेगी. इसके अलावा बीएमसी चुनाव को लेकर भी शिवसेना इस यात्रा को अहम मान रही है.

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गौरतलब है कि शिवसेना विधायकों की बगावत के बाद से आदित्य ठाकरे काफी आक्रामक हैं. गुरुवार को उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि गद्दार तो गद्दार ही होते हैं. आदित्य ठाकरे ने कहा कि जो आना चाहते हैं, उनके लिए मातोश्री के दरवाजे खुले हैं. बता दें कि बागी विधायक लगातार आरोप लगा रहे हैं कि उद्धव ठाकरे दरबारियों से घिरे हुए हैं और यदि उन्हें अलग करके बात की जाए तो वे पार्टी में आने पर विचार कर सकते हैं.

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