अपने तीखे तेवरों के लिए मशहूर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि उन्होंने गृहमंत्री से से मिलकर एनआरसी यानि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर चिंता व्यक्त की. इससे पहले ‘ममता दीदी’ ने बुधवार को दिल्ली पहुंच पीएम आवास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से भी मुलाकात की.

अब राजनीतिक गलियारों में इस बात पर चर्चा तेज हो चली है कि लोकसभा चुनाव में जिस महिला ने अमित शाह और नरेंद्र मोदी जैसी हस्तियों को नाकों चने चबवाए, ऐसी ममता दीदी का अचानक मोदी-शाह से मिलने के क्या मायने हैं. लोकसभा चुनाव और उसके बाद भी कई मौकों पर कभी मोदी और शाह को नाकों चने चबवाने वाली ‘बंग्ला शेरनी’ का ये अवतार अब किसी से गले नहीं उतर रहा . ऐसे में पीएम मोदी से मिलने के बाद अचानक से शाह से मिलने का प्लान बनना किसी ओर ही घटनाक्रम का इशारा कर रहा है.

दरअसल, ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) का मोदी-शाह से मिलने का कार्यक्रम उस समय बना है जब सीबीआई कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार (Rajiv Kumar) के खिलाफ हथौड़ा चला रही है. बता दें, शारदा चिटफंड मामले (Sharda chit fund case) में कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार का पता लगाने के लिए सीबीआई ने एक विशेष टीम का गठन किया है. तीन समन मिलने के बाद भी जब राजीव कुमार पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए, उसके बाद उनका पता लगाने के लिए एक विशेष टीम बनाकर उनकी गिरफ्तारी के लिए भेजा गया है.

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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कोलकाता के पूर्व कमिश्नर राजीव कुमार की तलाश में उनसे जुड़े 5 ठिकानों पर छापेमारी की है. एक अन्य टीम उनके कोलकाता स्थित 34, पार्क स्ट्रीट आवास पर डटी हुई है. ऐसे में अंदाजा यही लगाया जा रहा है कि राजीव कुमार की गिरफ्तारी किसी भी वक्त हो सकती है.

राजीव कुमार बंगाल मुख्यमंत्री के काफी करीबी और राज़दार माने जाते हैं. वर्ष 2013 में शारदा चिट फंड और रोज वैली घोटाले (Rose Valley Scam) की जांच का जिम्मा प.बंगाल की ममता सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को दिया था जिसके मुखिया राजीव कुमार थे. शारदा स्कैम करीब 2500 करोड़ रुपये और रोज वैली स्कैम करीब 17,000 करोड़ रुपये से अधिक का स्कैम है. अगले साल यानि साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ये दोनों मामले सीबीआई को सौंप दिए. प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआई ने आरोप लगाया कि राजीव कुमार ने कई डॉक्‍यूमेंट, लैपटॉप, पेन ड्राइव और मोबाइल फोन उसे नहीं सौंपे. इसके बाद उन्हें कई बाद पूछताछ के लिए समन भेजे गए लेकिन वे सीबीआई के समक्ष पेश नहीं हुए.

सीबीआई ने अपनी जांच में ये भी बताया कि दोनों चिटफंड घोटालों के तार कहीं न कहीं टीएमसी से जुड़े हुए हैं. इस मामले में सीबीआई ने पूर्व वित्तमंत्री पी.चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किया हुआ है. बीते कुछ महीनों पहले जब सीबीआई ने राजीव कुमार को पहली बार पूछताछ के लिए बुलाया था तो ममता बनर्जी सीबीआई और मोदी सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गई थीं.

अब ये मामला ममता की साख पर बन आया है. यदि राजीव कुमार के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाता है तो यह न केवल प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी बल्कि बंगाल सरकार और खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए बड़ी शर्मिंदगी के तौर पर देखा जाएगा. ममता ये भी अच्छी तरह जानती एवं समझती है कि इसका नुकसान उन्हें और उनकी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में उठाना पड़ सकता है. ऐसे में सियासी गलियारों में ये भी कानाफूसी चल रही है कि ममता की मोदी-शाह से मुलाकात केवल एनआरसी और प्रदेश की परियोजनाओं को लेकर नहीं अपितु इसके मायने केवल और केवल सीबीआई की ओर से राजीव कुमार पर हो रही कार्यवाही को लेकर है.

बता दें, अमित शाह से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने कहा, ‘मैं पहली बार गृहमंत्री से मिली, मेरा अक्सर दिल्ली आना नहीं होता. बुधवार को मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिली थी. यह मुलाकात गृह मंत्री के साथ संवैधानिक दुरुपयोग समेत कई मामलों को लेकर हुई, मैंने उनसे एनआरसी को लेकर चिंता जाहिर की.’

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इससे पहले 18 सितम्बर को नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात करते हुए ममता बनर्जी ने राज्य में कुछ रुकी हुई परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने की अपील की. उन्होंने बताया कि हमने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला करने पर चर्चा की और उन्होंने इसके बारे में कुछ करने का वादा भी किया है. इसके साथ ही रेलवे और खनन से संबंधित रुकी हुई परियोजनाओं व कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के विनिवेश के संबंध में भी बातचीत हुई. ममता ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताते हुए प्रदेश के लिए इसे सकारात्मक मुलाकात बताया.

लेकिन जानकारों की मानें तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मोदी 2.0 सरकार के तीन महीने से ऊपर यानि 100 दिन पूरे होने के बाद अब पीएम मोदी से शिष्टाचार मुलाकात करने की अचानक कैसे सूझी? वहीं पश्चिम बंगाल का नाम बंगाल करने का मुद्दा भी कोई नई बात नहीं है. तो वहीं पहले से गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात का कोई इरादा नहीं था और पीएम मोदी से मुलाकात के बाद अचानक ही उनकी शाह से मिलने की इच्छा क्यों हुई? माना जा रहा है कि ममता दीदी जिस उद्देश्य के लिए पीएम मोदी से रिक्वेस्ट करने आईं थीं वो अमित शाह से रिक्वेस्ट करे बिना पूरा नहीं सकता है. मतलब साफ है कि राजीव कुमार पर शिकंजा कम-ज्यादा करने की चाबी गृहमंत्री अमित शाह के पास ही है.

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