मुकुल रॉय की फिर फिसली जुबान या रणनीति! बीजेपी की जीत वाले बयान को बेटे ने बताया ‘कैमिकल लोचा’

मुकुल रॉय की फिसल रही है जुबान या रणनीति, बंगाल उपचुनाव में बीजेपी की जीत का कर देते हैं दावा, बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज कर TMC में घर वापसी कर चुके हैं रॉय, बेटा सुभ्रांशु बोला- 'पत्नी की मौत के बाद डिप्रेशन में हैं, शरीर में हुआ है 'कैमिकल लोचा'

मुकुल रॉय की फिर फिसली जुबान या रणनीति!
मुकुल रॉय की फिर फिसली जुबान या रणनीति!

Politalks.News/Bungal. पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर तृणमूल कांग्रेस में वापसी करने वाले मुकुल रॉय चर्चाओं में हैं. मुकुल रॉय की एक बार फिर से जुबान फिसल गई है. मुकुल रॉय ने शुक्रवार को नया विवाद उत्पन्न करते हुए कहा कि, ‘उनकी सीट पर होने वाले विधानसभा चुनाव में भगवा पार्टी की जीत होगी’. एक हफ्ते में दूसरी बार मुकुल रॉय ने ऐसा कहा है मुकुल रॉय को ममता बनर्जी ने अगले साल त्रिपुरा में होने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का झंडा फहराने की जिम्मेदारी दी है. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तपस रॉय ने मुकुल रॉय के बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया जबकि भाजपा ने कहा कि, ‘जनता ऐसे बयानों पर फैसला करेगी’.

इससे पहले मुकुल रॉय ने छह अगस्त को नदिया जिले के कृष्णानगर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि, ‘भाजपा राज्य में होने वाले उपचुनाव में जीत दर्ज करेगी’. हालांकि, जैसे ही उन्हें गलती का एहसास हुआ, उन्होंने भूल सुधार करते हुए कहा कि उनका अभिप्राय तृणमूल कांग्रेस से था. वरिष्ठ नेता रॉय वर्ष 2017 में ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे लेकिन दो मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के करीब एक महीने बाद वह वापस तृणमूल में शामिल हो गए. हालांकि, आधिकारिक रूप से वह अब भी कृष्णानगर उत्तर सीट से भाजपा के विधायक हैं और उन्हें विधानसभा की लोकलेखा समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.

‘कृष्णानगर उपचुनाव में जीतेगी भाजपा’- मुकुल रॉय
विधानसभा परिसर में लोकलेखा समिति की बैठक में हिस्सा लेने के बाद शुक्रवार को पत्रकारों से रॉय ने कहा, ‘अगर कृष्णानगर उत्तर सीट पर उपचुनाव होते हैं तो भाजपा जीतेगी’ जब उनसे सवाल किया कि अगर तृणमूल कांग्रेस वहां से नहीं जीतती तो उन्होंने कहा कि, ‘इसका फैसला वहां की जनता करेगी’. मुकुल रॉय से जब पूछा गया की वह किस पार्टी के विधायक हैं तो रॉय ने कहा, ‘मैं भाजपा का विधायक हूं’. उन्होंने कहा, ‘अगर पार्टी जो कहेगी करूंगा, वह त्रिपुरा जाकर तृणमूल कांग्रेस के लिए काम करेंगे. रॉय ने दावा किया कि, ‘भाजपा त्रिपुरा में अच्छा नहीं कर रही है हमारी पार्टी अगले चुनाव में बेहतर करेगी’

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TMC असमंजस में, तपस बोले- ‘उनसे ही पूछो’
मुकुल रॉय के बयान के बारे में पूछे जाने पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के उप मुख्य सचेतक तपस रॉय ने कहा, ‘यह उचित होगा कि आप मुकुल रॉय से पूछें कि वह क्या कहना चाहते हैं. मैं चूंकी उस बातचीत के वक्त उपस्थित नहीं था, इसलिए मैं टिप्पणी नहीं करूंगा.’ भाजपा विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि, ‘भाजपा के टिकट पर जीतकर वह तृणमूल कार्यालय गए तो उनका गर्मजोशी से स्वागत हुआ’. शुवेंदु ने निशाना साधते हुए कहा कि, ‘अब अगर वह ऐसे बयान दे रहें है, तो यह लोगों पर है कि वे कैसे आंकलन करते हैं. राज्य सरकार ने उन्हें भारी सुरक्षा मुहैया कराई है. उन्हें लोकलेखा समिति का अध्यक्ष बनाया है. अब तृणमूल कांग्रेस को देखने दें’. आपको बता दें कि भाजपा ने मुकुल रॉय को दल-बदल कानून के तहत विधानसभा सदस्य से अयोग्य करार देने और लोकलेखा समिति अध्यक्ष के पद से हटाने की मांग की है. भाजपा ये मामला कोर्ट भी लेकर गई है.

पत्नी की मौत के बाद से डिप्रेशन में, शरीर में बिगड़ा केमिकल संतुलन- सुभ्रांशु
अपनी ग़लतियों को महसूस करते हुए रॉय ने खुद को सही करते हुए कहा था कि उनका मतलब वास्तव में टीएमसी से था. इसके बाद में रॉय के बेटे सुभ्रांशु ने भी अपने पिता के बयान पर सफाई दी और कहा कि, ‘वो पत्नी की मौत के बाद से डिप्रेशन में हैं और इस दौरान उनके शरीर में केमिकल का संतुलन कुछ बिगड़ गया है’. सुभ्रांशु ने कहा, ‘मेरे पिता के शरीर में अत्यधिक सोडियम पोटेशियम असंतुलन है, जिससे बहुत सारी समस्याएं हो रही हैं. वो सब कुछ भूल रहे हैं. इसकी शुरुआत मेरी मां की मौत से हुई है. हम वास्तव में उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं. लिहाजा उनके बयान का कोई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए’.

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क्या कहते हैं बंगाल के राजनीतिक पंडित?
बंगाल के सियासी गलियारों में ये चर्चा चल रही है कि क्या रॉय की जुबान फिसल गई या फिर ये उनकी रणनीति का हिस्सा है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक ये रॉय की भाजपा से निपटने की रणनीति हो सकती है. दरअसल वो अपने पीएसी नामांकन और विधायक पद को लेकर खुद को मुश्किल में देख रहे हैं. भाजपा उनकी पीएसी अध्यक्षता के खिलाफ अदालत में गई है और एक विधायक के रूप में उनकी योग्यता पर विधानसभा में सुनवाई चल रही है, जिसका बीजेपी भी विरोध कर रही है. क्या तकनीकी रूप से ये दिखाने की रॉय की रणनीति है कि वो भाजपा में हैं? विश्लेषकों ने अनुमान लगाया कि उन्होंने स्पष्ट रूप से उत्तर दिया कि उन्हें भाजपा से पीएसी अध्यक्ष पद के लिए नामांकित किया गया है.

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