Lakshman Acharya Latest News – लक्ष्मण प्रसाद आचार्य असम के राज्यपाल है. सत्तर के दशक में राजनीति में कदम रखने वाले लक्षण ने अपने करियर की शुरुआत एक स्कूल के शिक्षक के तौर पर की थी. बाद में, वे उत्तर प्रदेश के दो कार्यकालों के लिए लगातार एमएलसी भी चुने गए. वे भाजपा की उत्तर प्रदेश राज्य इकाई के उपाध्यक्ष भी रह चुके है. इस लेख में हम आपको असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य राय की जीवनी (Lakshman Acharya Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.
लक्ष्मण आचार्य की जीवनी (Lakshman Acharya Biography in Hindi)
| पूरा नाम | लक्ष्मण प्रसाद आचार्य |
| उम्र | 70 साल |
| जन्म तारीख | 3 अक्टूबर 1954 |
| जन्म स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
| शिक्षा | – |
| कॉलेज | – |
| वर्तमान पद | असम के राज्यपाल |
| व्यवसाय | राजनीतिक |
| राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| पिता का नाम | स्वर्गीय कालिदास खरवार |
| माता का नाम | स्वर्गीय श्रीमती प्यारी देवी |
| पत्नी का नाम | कुमुद देवी |
| बेटें का नाम | – |
| बेटी का नाम | श्रद्धा |
| स्थाई पता | – |
| वर्तमान पता | राजभवन, गुवाहाटी, असम, भारत |
| फोन नंबर | – |
| ईमेल | – |
लक्ष्मण आचार्य का जन्म और परिवार (Lakshman Acharya Birth & Family)
लक्ष्मण प्रसाद आचार्य का जन्म 3 अक्टूबर 1954 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था. ‘लक्ष्मण प्रसाद आचार्य’ को ‘लक्षण आचार्य’ के नाम से जाना जाता है.
लक्ष्मण आचार्य के पिता का नाम स्वर्गीय कालिदास खरवार और माता का नाम स्वर्गीय श्रीमती प्यारी देवी है. लक्ष्मण प्रसाद के दादा कन्हैया प्रसाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में सुरक्षाकर्मी थे.
लक्ष्मण प्रसाद दो भाई और एक बहन हैं जिनके नाम, श्रीराम प्रसाद शीतला प्रसाद और विंध्वासिनी वर्मा है. लक्ष्मण आचार्य की शादी वर्ष 1987 में कुमुद देवी से हुई है. उनकी एक बेटी श्रद्धा है. लक्ष्मण आचार्य हिन्दू है और जाति से खरवार (पिछड़ा वर्ग-SC) है.
लक्ष्मण आचार्य का शुरूआती जीवन (Lakshman Acharya Early Life)
लक्ष्मण प्रसाद आचार्य शुरूआती दिनों में शिक्षा से जुड़े रहे. इसी के तहत उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वाराणसी के रामनगर स्थित ‘भारतीय शिशु मंदिर’ स्कूल में एक शिक्षक की नौकरी करके की थी. एक शिक्षक के तौर पर उन्होंने समाज के सभी वर्गों को शिक्षा प्रदान करने वाले मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
एक शिक्षक रहते वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ गए. 1975 में वे वाराणसी के रामनगर स्थित स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक बनाये गए. उन्होंने शिमला समझौते के विरुद्ध आंदोलनकारियों का साथ दिया जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. उन्होंने आपातकाल में भी भूमिगत रहकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके बाद लक्ष्मण आचार्य 1980 के दशक में विश्व हिंदू परिषद के सदस्य के रूप में श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के सक्रिय सदस्य बन गए और आंदोलन में राममंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
लक्ष्मण आचार्य का राजनीतिक करियर (Lakshman Acharya Political Career)
लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ‘भारतीय जनता पार्टी’ में शामिल होने से पहले ‘जनता पार्टी’ के नेता हुआ करते थे. जनता पार्टी के विघटन के बाद वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. भाजपा में शामिल होने के बाद वे वर्ष 1990 में वाराणसी के भाजपा रामनगर क्षेत्र के मंडल अध्यक्ष बनाये गए. बाद में, वर्ष 1996 में आचार्य को वाराणसी भाजपा ज़िला अध्यक्ष नियुक्त किया गया और उनके बेहतर कार्यो के कारण उन्हें उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह द्वारा ‘उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम लिमिटेड (UPFDC)’ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. लक्षण आचार्य इस पद पर राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी बने रहे थे.
बाद में, वर्ष 2002 में जब केंद्र में अटल की सरकार थी तब लक्ष्मण आचार्य को भाजपा काशी का क्षेत्रीय मंत्री बना दिया गया और वर्ष 2004 में उनकी पद्दोन्नति करके उत्तर प्रदेश भाजपा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
2014 के आम चुनाव में भाजपा के उस समय के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी काशी से चुनाव लड़ रहे थे और फिर बाद में उनकी बड़े अंतर से जीत हुई थी. इसी के साथ दस वर्ष के अंतराल के बाद भाजपा का केंद्र में शासन आया. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के प्रभुत्व वाली एनडीए की सरकार बनने के बाद पार्टी ने लक्ष्मण आचार्य के निष्ठांपूर्ण कार्य को देखते हुए उन्हें 2015 में यूपी एमएलसी (विधान परिषद के सदस्य) के लिए निर्वाचित किया. लक्षण आचार्य पहली बार यूपी एमएलसी के तौर पर जनवरी 2015 में चुने गए.
फरवरी 2018 में लक्षण आचार्य को भाजपा उत्तर प्रदेश का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उसी वर्ष उन्हें 2019 के आम चुनावों के लिए नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी का संयोजक भी नियुक्त किया गया था. बाद में, वे अगस्त 2020 में पहले कार्यकाल के लिए और फिर जनवरी 2021 में दूसरे कार्यकाल के लिए यूपी के विधान परिषद के उपनेता चुने गए थे. लक्षण आचार्य इस पद पर फरवरी 2023 तक रहे. इसी के बाद उन्हें सिक्किम का राज्यपाल मनोनीत किया गया. लक्ष्मण आचार्य को 16 फरवरी, 2023 को सिक्किम का राज्यपाल और फिर 30 जुलाई, 2024 को असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया.
वर्तमान में, लक्ष्मण आचार्य असम के 28वें राज्यपाल है.
इस लेख में हमने आपको असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य की जीवनी (Lakshman Acharya Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.



























