Arif Mohammad Khan Latest News – आरिफ मोहम्मद खान भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और वर्तमान में बिहार के राज्यपाल के पद पर आसीन है. जनता पार्टी से अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत करने वाले आरिफ कांग्रेस व सपा में भी रह चुके है. राजीव गांधी से मतभेद के बाद इन्होने कांग्रेस छोड़ दिया था और फिर जनता दल में शामिल हो गए थे. आरिफ केंद्र में मंत्री भी रह चुके है. इस लेख में हम आपको बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान राय की जीवनी (Arif Mohammad Khan Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.
आरिफ मोहम्मद खान की जीवनी (Arif Mohammad Khan Biography in Hindi)
| पूरा नाम | आरिफ मोहम्मद खान |
| उम्र | 73 साल |
| जन्म तारीख | 18 नवंबर 1951 |
| जन्म स्थान | बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश |
| शिक्षा | – |
| कॉलेज | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय |
| वर्तमान पद | बिहार के राज्यपाल |
| व्यवसाय | राजनीतिक |
| राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| पिता का नाम | – |
| माता का नाम | – |
| पत्नी का नाम | रेशमा आरिफ |
| बेटें का नाम | – |
| बेटी का नाम | – |
| स्थाई पता | – |
| वर्तमान पता | – |
| फोन नंबर | – |
| ईमेल | – |
आरिफ मोहम्मद खान का जन्म और परिवार (Arif Mohammad Khan Birth & Family)
आरिफ मोहम्मद खान का जन्म 18 नवंबर 1951 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में हुआ था. आरिफ मोहम्मद खान की पत्नी का नाम रेशमा आरिफ है. उनके छोटे भाई का नाम आसिफ मुहम्मद खान है, जो पूर्व विधायक हैं. आरिफ मोहम्मद खान मुस्लिम है.
आरिफ मोहम्मद खान की शिक्षा (Arif Mohammad Khan Birth Education)
आरिफ मोहम्मद खान ने जामिया मिलिया इस्लामिया स्कूल, दिल्ली से और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ से पढाई की. बाद में शिया कॉलेज, लखनऊ विश्वविद्यालय से आगे की पढाई की.
आरिफ मोहम्मद खान का राजनीतिक करियर (Arif Mohammad Khan Political Career)
आरिफ मोहम्मद खान भारतीय जनता पार्टी के नेता है. उन्हें केंद्रीय नेतृत्व से निकटता है. अब यही कारण रहा है कि उन्हें राज्यपाल जैसे गरिमामय पद पर नियुक्त किया गया.
आरिफ मोहम्मद खान राजनीतिक यात्रा सत्तर के दशक से शुरू हुई. वे मुस्लिम है और भारतीय जनता पार्टी आरिफ को बड़ा पद देकर मुस्लिमो के बीच यह संदेश देना चाहती है कि वह अच्छे विचार वाले मुस्लिम की विरोधी नहीं है. ऐसा करके पार्टी मुस्लिम मतदाता के बीच भी पहुंच बनाना चाहती है जो अभी तक संभव नहीं हो पाया है. मोदी की ‘सबका साथ, सबका विकास’ वाला नारा कोई काम नहीं आया. मुस्लिम भाजपा से पहले ही तरह ही दुरी बनाकर रखा, इससे यह अवश्य हुआ कुछ कट्टर हिन्दू भाजपा से नाराज हो गए. पर भाजपा अपनी रणनीति पर आगे बढ़ रही है. इसी के तहत आरिफ मोहम्मद को बड़ा पद ऑफर किया जाता रहा है.
आरिफ मोहम्मद खान ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप में की थी. वे 1972 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे. बाद में एक वर्ष बाद वे सचिव बन गए. आरिफ मोहम्मद खान ने ‘भारतीय क्रांति दल’ से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के ‘स्याना विधानसभा क्षेत्र’ से अपने जीवन का पहला विधानसभा चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिली. हालांकि वे 1977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीतने में सफल रहे.
उस समय वे जनता पार्टी में थे जनता पार्टी के टिकट पर ही पहली सफलता पायी पर बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए क्योकि बाद के वर्षो में जनता पार्टी बिखर सी गई थी. परिणामतः आरिफ ने कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस के टिकट पर लोक सभा का चुनाव लड़ा.
आरिफ मोहम्मद खान पहली बार 1980 में कांग्रेस के टिकट पर कानपुर से संसद सदस्य बने. उसके बाद 1984 में उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर उत्तर प्रदेश के ‘बहराइच से लोकसभा सीट’ से चुनाव लड़ा और संयोग से इस बार भी उन्हें जीत मिली. इसी वर्ष इंदिरा गांधी की हत्या हो गई थी और इसी के बाद राजनीति से दुरी बनाये रखने वाले उनके बड़े बेटे राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बनाये गए.
आरिफ मोहम्मद खान का कांग्रेस के साथ मतभेद तब सामने आया जब राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वर्ष 1986 में शाहबानो केस आया. राजीव गांधी ने इसके लिए संविधान तक में संशोधन करवा दिया था. चूंकि उन दिनों दोनों ही सदनों में कांग्रेस का वर्चस्व था इसलिये इसे आसानी से अंजाम दे दिया गया. राजीव गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को कानून में बदलाव करके पलट दिया. इसी के बाद आरिफ मोहम्मद ने कांग्रेस छोड़ दिया और जनता दल में शामिल हो गए.
आरिफ मोहम्मद खान जनता दल में शामिल होकर फिर से लोकसभा का सदस्य बन गए. क्योकि राजीव गांधी की मनमानी के कारण जल्द ही जनता का कांग्रेस से मोह भंग हो गया था और जनता दल का प्रभुत्व बढ़ गया. जनता दल ने 1989 में केंद्र में सरकार बनाया था और बीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री थे. उस दौरान आरिफ मोहम्मद नागरिक उड्डयन मंत्री थे. बाद में जनता दल छोड़कर वे मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए. इसी के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा में शामिल होने पर उन्हें पहले केरल का राज्यपाल फिर बाद में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया.
आरिफ मोहम्मद खान सितंबर 2019 में केरल के राज्यपाल बनाये गए, इस पद पर वे दिसंबर 2024 तक रहे. इसी के बाद आरिफ मोहम्मद खान को राष्ट्रपति द्वारा 24 दिसंबर 2024 को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया और उन्होंने 2 जनवरी, 2025 को बिहार के राज्यपाल के तौर पर पदभार ग्रहण किया.
वर्तमान में, आरिफ मोहम्मद खान बिहार के राज्यपाल है.
इस लेख में हमने आपको बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की जीवनी (Arif Mohammad Khan Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.



























