राजस्थान की राजनीति से जुडी बड़ी खबर, चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के बेटे धनंजय सिंह खींवसर ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल को लेकर दिया बड़ा बयान, सांसद बेनीवाल को धनंजय सिंह खींवसर ने खुले मंच पर बहस करने की दी चेतावनी, सोशल मीडिया पर लिखा- न नेता न नायक सिर्फ स्वार्थ के सौदागर, सत्ता के प्रलोभन में जनता के साथ अन्याय और सरकारी संसाधनों का दोहन – यही आपकी विचारधारा, धनंजय सिंह खींवसर ने लिखा- माननीय हनुमान बेनीवाल जी, सत्ता के प्रलोभन में जनता के साथ अन्याय और सरकारी संसाधनों का दोहन – यही आपकी विचारधारा है शायद! आपको शायद यह नहीं पच रहा कि माननीय भजनलाल जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में खींवसर सहित पूरे क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो रहा है, लोगों के जीवन में खुशहाली आ रही है और खींवसर एवं प्रदेश की जनता अब विकास को स्वीकार कर चुकी है और आपको नकार चुकी है, हनुमान जी, अब जवाब देना ही होगा, आपने जो राजनीति चुनी, वह न नेतृत्व की रही, न जनसेवा की, सिर्फ़ अवसरवाद, भ्रम और निजी हितों की सौदेबाज़ी बनकर रह गई है, महापुरुषों के अपमान से आपसी भाईचारा बिगड़ना, वैमनस्य फैलाना, जनता के धन और सरकारी संसाधनों का खुला दोहन, यही आपकी राजनीतिक पहचान बन चुकी है, खींवसर ने आगे लिखा- मैंने 5 साल पहले संकल्प लिया था कि आपको खींवसर से बाहर करेंगे और द्वेष की राजनीति को समाप्त कर विकास का नवीन अध्याय लिखेंगे, जो हमने कर दिखाया है, भाजपा की छाया में पले, उसी को ठुकराया, कांग्रेस को कोसा, फिर उसी के समर्थन से संसद पहुँचे, और अब उस कुर्सी पर बैठकर सबका विश्वास तोड़ रहे हैं, आपने राजनीति को निजी लाभ और सत्ता की होड़ का मैदान बना दिया है, लेकिन अब आपकी चालें पूरी तरह जनता के सामने बेनकाब हो चुकी हैं, खींवसर का चुनाव परिणाम आपकी करारी शिकस्त और जनता की चेतावनी था, लेकिन आप अब भी नहीं समझे, अब नागौर की जनता पूरे मानचित्र से आपको मिटा देने को आतुर है, खींवसर में आपकी यह सिर्फ़ हार नहीं, जनता का ऐलान है, युवाओं को बुरी तरह गुमराह किया गया, उन्हें बेवजह कानूनी पेचीदगियों में फँसाया गया, अपने राजनीतिक स्वार्थ में जाट और राजपूत भाइयों के भाईचारे को बिगाड़ा, यह आपकी सबसे दुर्भाग्यपूर्ण कृत्य है, आप आज उस अंधे जैसे हो चुके हैं जो आँखें खुलते ही सबसे पहले उस छड़ी को फेंक देता है जिसने उसे रास्ता दिखाया था, जिसने आपका साथ दिया, आप उसी को सबसे पहले धोखा देते हैं, जनता को आपने जनसेवा का माध्यम नहीं, सिर्फ़ अपने स्वार्थ की सीढ़ी समझा, सरकारी बंगलों पर अवैध कब्जा, लाखों के बिजली बिल बकाया, क्या यही है आपकी जवाबदेही? क्या आप खुद को जनता के धन का रखवाला समझते हैं या लुटेरा? महापुरुषों की आलोचना कर आपने समाज में ज़हर घोला है, आपका राजनीतिक व्यवहार आज न विचारधारा से जुड़ा है, न नीति से सिर्फ़ स्वार्थ, भ्रम और द्वेष का पर्याय बन चुका है, अपनी राजनीतिक कार्यकाल की उपलब्धियाँ गिनाइए और खुले मंच पर आमंत्रित करता हूँ, आइए खींवसर के विकास पर बहस करें, अब जनता पूछ रही है, और यह वही जनता है जो चुप नहीं बैठेगी,
जवाब दीजिए हनुमान जी…!