jagdeep dhankad vice president of india
jagdeep dhankad vice president of india

राज्यसभा चेयरमैन को पद से हटाने के लिए विपक्ष की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का गुस्सा फूटा है. कांग्रेस पर अपनी भड़ास निकालते हुए उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ दिया गया नोटिस सब्जी काटने का चाकू भी नहीं था, उसमें जंग लगी हुई थी. अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ का यह पहला बयान था. उपराष्ट्रपति निवास में महिला पत्रकारों के एक डेलिगेशन के साथ बातचीत करते उन्होंने अपनी खीज बयां की.

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘उपराष्ट्रपति के खिलाफ दिया गया नोटिस तो देखिए आपको हैरानी होगी. वह बहुत जल्दबाजी में दिया गया था. जब मैंने उसे पढ़ा तो हैरान रह गया, लेकिन सबसे ज्यादा जिस बात से मुझे हैरानी हुई वो यह है कि आपमें से किसी ने उसे नहीं पढ़ा. अगर पढ़ा होता, तो आप कई दिन सो नहीं पातीं.’ उन्होंने आगे कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी ने एक बार कहा था कि सब्जी काटने के चाकू का इस्तेमाल कभी भी बायपास सर्जरी के लिए न करें. दरअसल, इस अविश्वास प्रस्ताव में कई खामियां होने की बात कही गई थी, जिसके चलते इसे खारिज किया गया.

अपनी बात से पहले दूसरों की सुनें

महामहीम ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी की जरूरत है क्योंकि यह डेमोक्रेसी की परिभाषा है. अगर इस अभिव्यक्ति को सीमित किया जाता है, इससे समझौता किया जाता है या इसे डराया-धमकाया जाता है तो लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट होती है. लोकतंत्र को आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन ये उसके उलट बात है. हालांकि अपनी आवाज का इस्तेमाल करने से पहले आपको अपने कानों से दूसरे की बात सुननी चाहिए. इन दोनों चीजों के बिना लोकतंत्र न तो विकसित हो सकता है और न ही फल-फूल सकता है.

शीतकालीन सत्र में खारिज हुआ था प्रस्ताव

सदन में पक्षपात का आरोप लगाते हुए विपक्षी सांसदों ने शीतकालीन सत्र में 10 दिसंबर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. 20 दिसंबर को राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी ने बताया कि इस प्रस्ताव को उप-सभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया है. स्पष्टीकरण देते हुए उप-सभापति ने बताया कि यह नोटिस विपक्ष का गलत कदम है. इसमें उपराष्ट्रपति का नाम तक गलत लिखा गया है और नोटिस के लिए 14 दिन का नोटिस पीरियड भी नहीं दिया गया है. यह सिर्फ सभापति की छवि खराब करने के मकसद से लाया गया है. ये नोटिस देश के संवैधानिक संस्थानों को बदनाम करने और वर्तमान उपराष्ट्रपति की छवि धूमिल करने की साजिश का हिस्सा है.

विपक्ष ने लगाया था अपमानित करने का आरोप

राज्यसभा के सभापति एवं देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर ‘इंडिया ब्लॉक’ ने 11 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. पीसी में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं. विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं. सभापति सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी के तौर पर देखते हैं. सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं. उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं.’

खड़गे सहित विपक्ष के अन्य नेताओं ने भी धनखड़ पर सत्तापक्ष की पैरवी करने एवं प्रधानमंत्री का गुणगान करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि सदन में एक्सपीरियंस्ड नेता हैं, जर्नलिस्ट हैं, लेखक हैं, प्रोफेसर हैं. कई फील्ड में काम कर सदन में आए हैं. 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं को भी सभापति प्रवचन सुनाते हैं. अगर सभापति ही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा.

याद दिला दें कि 13 दिसंबर को सदन में सभापति धनखड़ और खड़गे के बीच जोरदार बहस हुई थी. दोनों ने एक दूसरे को तीखे स्वरों में काफी कुछ कह दिया था. बाद में खड़गे ने मीडिया को बताया कि उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है. देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचार कर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है. हालांकि राज्यसभा में एनडीए को पूर्ण बहुमत हासिल है. ऐसे में ये केवल विपक्ष की विरोध प्रदर्शन करने का तरीका मात्र रहा.

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