सुनियोजित षडयंत्र था करौली कांड, सिमी और PFI से जुड़े हैं तार, सार्वजनिक हो वीडियोग्राफी- राठौड़

करौली में नवसंवत्सर की रैली पर पथराव और हिंसा पर गर्माई सियासत, भाजपा जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट के आधार पर गहलोत सरकार पर साधा निशान, बोले राठौड़- 'पुलिस जानबूझकर रैली में शामिल निर्दोष लोगों को फंसा रही है, कांग्रेस की ओर से जिस कमेटी का गठन किया गया था, उसकी रिपोर्ट को मुख्यमंत्री ने सही मानकर जो बयान दिया वह बेहत ही निंदनीय है'

करौली हिंसा पर राठौड़ का बड़ा खुलासा
करौली हिंसा पर राठौड़ का बड़ा खुलासा

Politalks.News/Rajasthan. करौली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. बीते शनिवार को जब हिन्दू संगठनों द्वारा नवसंवत्सर पर आयोजित एक बाइक रैली समुदाय विशेष बहुल इलाके से गुजर रही थी, तभी कुछ शरारती तत्वों ने पथराव किया. इसके बाद हिंसा बहुत तेजी से भड़क गई और लाठी, डंडों, सरियों के वार के साथ आसपास की कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया. इस पुरे मामले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी अपनी जांच समिति का गठन किया था. भाजपा की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह को सौंप दी है. जांच समिति के सदस्यों का आरोप है कि करौली हिंसा की घटना के तार सिमी और पीएफआई जैसे संगठनों से जुड़े हैं. इस जांच समिति के अध्यक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गुरूवार को पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि, ‘घटना से एक दिन पहले पीएफआई और उससे जुड़े लोगों की बैठक हुई थी और तमाम जानकारी के अनुसार यह कहा जा सकता है कि यह घटना पूर्व नियोजित षड्यंत्र ही था. इस पुरे मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए.’

करौली हिंसा को लेकर प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा. राठौड़ ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि, ‘इस मामले की पूरी जांच के दौरान समिति के सदस्य स्थानीय दुकानदारों, पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारियों और घायल लोगों से भी मिले और उस क्षेत्र का दौरा भी किया, जहां यह पथराव और आगजनी की गई थी. उसी के अनुसार घटना से एक दिन पहले पीएफआई और उससे जुड़े लोगों की बैठक हुई थी और तमाम जानकारी के अनुसार यह कहा जा सकता है कि यह घटना पूर्व नियोजित षड्यंत्र ही था.’

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इस दौरान दिग्गज बीजेपी नेता राठौड़ ने पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए. राठौड़ ने कहा कि, ‘रैली को जिला प्रशासन ने अनुमति दी थी और रैली की वीडियोग्राफी खुद पुलिस कर रही थी. उस वीडियोग्राफी के दौरान जो कुछ हिंसा हुई, उसके आधार पर पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन पुलिस राजनीतिक दबाव के कारण ऐसा नहीं कर रही. भाजपा द्वारा बनाई गई जांच समिति ने पीड़ित लोगों से भी बात की, जिसमें सामने आया कि पीड़ितों की सुनवाई तक पुलिस नहीं कर रही. यहां तक कि दुकानों से जो माल लूटा गया है, वो कहां है यह भी पीड़ित व्यक्ति बताने को तैयार हैं.’ इस दौरान भाजपा नेताओं ने पुलिस द्वारा की गई वीडियोग्राफी को सार्वजनिक करने की मांग की.

इस पुरे मामले में जयपुर ग्रेटर से मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर का भी नाम FIR में है. फिलहाल पुलिस राजाराम गुरजार की तलाश कर रही है. वहीं जब राजेंद्र राठौड़ से पुरे मामले राजाराम गुर्जर का नाम आने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘पुलिस जानबूझकर रैली में शामिल निर्दोष लोगों को फंसा रही है. राजाराम गुर्जर रैली में शामिल थे, लेकिन उन्होंने घायल लोगों की मदद का काम किया है.’

पत्रकार वार्ता के दौरान राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस जांच समिति की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि, ‘कांग्रेस की ओर से जिस कमेटी का गठन किया गया था, उसकी रिपोर्ट को मुख्यमंत्री ने सही मानकर जो बयान दिया वह बेहत ही निंदनीय है. खुद जो पुलिसकर्मी इस रैली के साथ चल रहा था वो यह बात कह रहा है कि रैली पर छत के ऊपर से पत्थर बरसाए गए और हथियारबंद लोगों ने आकर मारपीट की लेकिन बावजूद इसके, मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि रैली के दौरान की गई नारेबाजी से यह मामला भड़का है.’

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राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि, ‘मुख्यमंत्री इस मामले का दोषी बीजेपी को करार देते हैं जो पूरी तरह से गलत है. क्योंकि हम चाहते हैं कि इस प्रकार की घटनाएं ना हों और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम बने. अब कोरोना का कालखंड खत्म हो चुका है और बीजेपी इन मामलों को लेकर फिजिकली रूप से सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है. वहीं पत्रकार वार्ता के दौरान राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस द्वारा बढ़ती महंगाई के खिलाफ किये गए प्रदर्शन पर भी निशाना साधा. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि, ‘कांग्रेस की महंगाई रैली अपने आप में ही मजाक बन गई है.’

पत्रकार वार्ता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि, ‘कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में महंगाई रोकने के लिए ठोस कदम उठाने का वादा किया था और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की बात भी कही थी. लेकिन घोषणापत्र के वादों के आधार पर राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए. राजस्थान में सर्वाधिक पेट्रोल-डीजल पर वैट लग रहा है और सबसे ज्यादा महंगी बिजली भी राजस्थान में है. सरकार अपने प्रायोजित लोगों और मनरेगा से कुछ लोगों को लाकर महंगाई के विरोध में रैली करने का स्वांग करती है, जबकि सरकार के कई मंत्री तो महंगाई के विरोध में इस मंच पर बोलने से भी असहमति जता चुके हैं.’

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