mohan bhagwat biography in hindi
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Mohan Bhagwat Latest News – मोहन भागवत देश का एक जाना माना नाम है. देश का कोई भी राज्य हो मगर वहां के लोग मोहन भागवत के नाम से अवश्य ही परिचित है. मोहन भागवत विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संघठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के छठवें सरसंघचालक (प्रमुख) है. 21 मार्च, 2009 को श्री भागवत को सरसंघचालक के रूप में चुना गया था.  आरएसएस के पांचवें प्रमुख रहें के. एस. सुदर्शन ने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था. मोहन भागवत को 2019 में विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगो की सूची में शामिल किया था.

मोहन भागवत देश के कितने प्रमुख व्यक्ति है, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें 2015 से लगातार चौबीसो घंटे Z + VVIP की सुरक्षा दी गई है. यह भारत में बड़ी हस्तियों एवं सरकारी क्षेत्रों में शीर्ष पर कार्यरत लोगो को दी जाने वाली देश की दूसरी सबसे बड़ी सुरक्षा मानी जाती है. इससे ऊपर केवल प्रधानमंत्री की दी जाने वाली सुरक्षा एसपीजी है.

इस लेख में हम आपको सरसंघचालक मोहन भागवत की जीवनी (Mohan Bhagwat Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.

मोहन भागवत की जीवनी (Mohan Bhagwat Biography in Hindi)

नाम मोहन मधुकर भागवत
उम्र 72 साल
जन्म तारीख 11 सितंबर 1950
जन्म स्थान महाराष्ट्र, भारत
शिक्षा एमएससी
कॉलेज सरकारी पशु चिकित्सा कॉलेज, नागपुर
वर्तमान पद सरसंघचालक (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)
व्यवसाय पशुचिकित्सा और राजनेता
राजनीतिक दल
वैवाहिक स्थिति अविवाहित
पिता का नाम मधुकरराव भागवत
माता का नाम मालतीबाई भागवत
पत्नी का नाम
भाई का नाम तीन भाई
बहन का नाम एक बहन
स्थायी पता 10196, डी बी गुप्ता रोड, झंडेवालान, दिल्ली
वर्तमान का पता
संपर्क नंबर
ईमेल आईडी

मोहन भागवत का जन्म और परिवार (Mohan Bhagwat Birth & Family)

मोहन भागवत का जन्म 11 सितम्बर, 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हुआ. उनके पिता का नाम मधुकर राव भागवत हैं और माता का नाम मालती भागवत था. उनके पिता श्री मधुकर राव भागवत चंद्रपुर क्षेत्र के प्रमुख थे. वे गुजरात के प्रान्त प्रचारक के तौर पर भी काम किया था. बताया जाता है भाजपा के जनक कहे जाने वाले श्री लाल कृष्ण आडवाणी को संघ में लाने व जोड़ने का काम मोहन भागवत के पिता जी ने ही किया था. मोहन भागवत अपने माता पिता के सबसे बड़े संतान है और मोहन भागवत से तीन भाई और एक बहन छोटे है. मोहन भागवत ने विवाह नहीं किया है. श्री भागवत अविवहित हैं.

मोहन भागवत की शिक्षा (Mohan Bhagwat Education)

मोहन भागवत ने प्रारम्भिक शिक्षा अपने गृह नगर के लोकमान्य तिलक स्कुल से प्राप्त किया. बाद में वे अकोला के जनता कॉलेज से पशु चिकित्सा और पशुपालन में स्नातक पूरी की. स्नातक करने के बाद वे मास्टर की डिग्री लेने के लिए सरकारी पशु चिकित्सा कॉलेज में अपना नामांकन कराया मगर वे अपनी पढाई को पूरी नहीं कर पाए. उसी समय देश इंदिरा गांधी के आपातकाल से झुलस रहा था और समूचे देश में तनाव का माहौल था, इस कारण मोहन भागवत ने अपने स्नातकोत्तर की पढाई अधूरी छोड़कर संघ में शामिल हो गए और पूर्णकालिक प्रचारक बन गए.

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखी और लगातार संघ को जनता तक और पास लाने में अपना जीवन न्योछावर कर दिया क्योंकि मोहन भागवत आरम्भ से ही संघ के एक समर्पित कार्यकर्त्ता के रूप में काम करना आरम्भ कर दिया था.

मोहन भागवत का राजनीतिक करियर (Mohan Bhagwat Political Career)

मोहन भागवत ने 1975 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सदस्यता ली थी. इसके बाद वे संघ के लिए लगातार काम करते रहे और 2000 में उन्हें आरएसएस के सहसचिव के रूप में चुन लिया गया.

मार्च 2009 में उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का सरसंघचालक चुन लिया गया. बता दें, आरएसएस में संघ प्रमुख को ‘सरसंघचालक’ के नाम से जाना जाता है. मोहन भागवत संघ के छठवें प्रमुख है. इससे पहले पांच प्रमुख संघ का संचालन कर चुके है.

2017 में वह भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के द्वारा राष्ट्रपति भवन में आधिकारिक रूप से आमंत्रित होने वाले पहले आएसएस प्रमुख बने.

मोहन भागवत के व्यक्तित्व की बात यदि किया जाएँ तो वे अविवाहित, संघ व राष्ट्र के लिए समर्पित, स्पष्टवादी, व्यावहारिक एवं किसी भी राजनीतिक दल से दूर है. हालांकि संघ को बीजेपी से जुड़ा हुआ संघठन माना जाता है मगर संघ प्रमुख इस बात का खंडन कर चुके है. उन्होंने एक बार कहा भी था कि संघ के दरवाजे सभी दलों के लिए खुले है, वे किसी दल विशेष के लिए कार्य नहीं करते है और न ही संघ किसी दल के लिए काम करता है. यही कारण रहा है कि उनका वयान कई बार बीजेपी से अलग होता है. वे केवल और केवल देशहित पर ध्यान देते है, उन्हें राजनीति से कोई मतलब नहीं है. संघ किसी भी प्रकार की राजनीति से अपने आपको दूर रखता है.

मोहन भागवत के साथ एक और अलग बात यह है कि वे  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख चुने जाने वाले सबसे कम आयु के कार्यकर्त्ता है.

यदि संघ प्रमुख मोहन भागवत के प्रमुख विचार पर थोड़ी संक्षिप्त चर्चा करें तो उनमें ये बाते प्रमुख कही जा सकती है, जो देश व धर्म के हित के लिए सर्वोच्च है.

संघ हिन्दू धर्मान्तर के विरुद्ध है और कई बार संघ प्रमुख इसके लिए विरोध दर्ज कर चुके है एक बार उत्तराखंड के हल्द्वानी में संघ के कार्यकर्ताओ को सम्बोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हिन्दुओ में धर्मान्तर को रोकने के लिए बच्चो में अच्छा संस्कार देना आवश्यक है और इसके लिए अभिभावक के साथ साथ समाज को भी आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रत्येक हिन्दू को अपने धर्म पर गर्व करना चाहिए और उन्हें सनातन सभ्यता व संस्कृति से अवगत होनी चाहिए.

उन्होंने महिलाओ के विकास पर भी समाज को जागरूक किया और हल्द्वानी के भाषण में ही कहा था कि आरएसएस का उद्देश्य हिन्दुओ को एकजुट करना है लेकिन जब हम हिन्दू की बात करते है तो हम केवल हिन्दू पुरुष की ही बात नहीं करते बल्कि हिन्दू स्त्रियों की भी बात करते है. हिन्दुओ के विकास के लिए हिन्दू स्त्रियों को भी समाज में आगे आना होगा, क्योंकि परिवार और देश के भविष्य के निर्धारण में उनकी भूमिका भी पुरुषो के सामान है. इसलिए स्त्रियों को हर क्षेत्र में पुरुषो के सामान अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी, तभी हिन्दू आगे आएगा.

उन्होंने देश की समृद्धि पर कहा था कि पहली शताब्दी से 17 वीं शताब्दी तक यानी देश में मुगलो के द्वारा लूटने से पहले भारत आर्थिक रूप से दुनिया का सबसे समृद्ध देश हुआ करता था. अब यही कारण था कि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था. उन्होंने हिदुओ युवाओ के द्वारा ओटीटी प्लेटफॉर्म से भी बच्चो को दूर रहने की सलाह दिया, उनका कहना है कि वहां जो भी चीज दिखाया जाता है, उसका इस बात से कोई नाता नहीं होता कि उसके कंटेंट बच्चो के लिए है.

मोहन भागवत की संपत्ति (Mohan Bhagwat Net Worth)

मोहन भागवत की कोई व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है और अविवाहित होने के कारण उनका कोई व्यक्तिगत परिवार भी नहीं है.

इस लेख में हमने आपको सरसंघचालक मोहन भागवत की जीवनी (Mohan Bhagwat Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.

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