महाराष्ट्र के सियासी घमासान के बीच चुनाव आयोग (ईसीआई) ने उद्धव ठाकरे गुट को दिया बड़ा झटका, आयोग ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी का नाम “शिवसेना” और प्रतीक “तीर-कमान” रहेगा एकनाथ शिंदे गुट के पास, आयोग ने कहा कि बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से किया गया है नियुक्त, इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में रहती है विफल, चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में संशोधित शिवसेना का संविधान नहीं दिया गया है भारत के चुनाव आयोग को, आयोग के आग्रह पर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा लाए गए 1999 के पार्टी संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के कार्य को इन संशोधनों ने कर दिया था खत्म, अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से लाया गया वापस, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई, इन तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में कर चुका है नामंजूर, इसी के साथ महाराष्ट्र में शिवसेना से अब उद्धव गुट की दावेदारी मानी जा रही है खत्म, महाराष्ट्र में शिवसेना के एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे दोनों गुट लड़ रहे हैं पार्टी के धनुष और तीर के निशान के लिए, भारत के चुनाव आयोग ने पाया कि शिवसेना का वर्तमान संविधान है अलोकतांत्रिक, वहीं फैसले पर उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा- आदेश वही है जिसका हमें अंदेशा था, हम कहते रहे हैं कि हमें चुनाव आयोग पर हमें नहीं है भरोसा, जब मामला सुप्रीम कोर्ट के पास हैविचाराधीन, और नहीं लिया गया है कोई अंतिम निर्णय, तो चुनाव आयोग द्वारा यह जल्दबाजी दिखाती है कि यह केंद्र सरकार के तहत भाजपा के एजेंट के रूप में करता काम, हम करते हैं इसकी निंदा